नेपाल ने अपने यहां बाघों की संख्या का पता लगाने के लिए तीन महीने चलने वाली एक बाघ गणना शुरू की है। ज्ञात हो कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने 2010 में बाघों को लुप्तप्राय प्रजाति घोषित कर दी थी। मंगलवार को प्रकाशित रपटों में कहा गया है कि सोमवार को पांच संरक्षित क्षेत्रों में बाघ गणना शुरू हुई, जिसमें तीन राष्ट्रीय उद्यान (चितवन, बार्दिया, बांके) तथा दो वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र(शुक्लाफैंटाा और पारसा) हैं।
नेपाल के मृदा संरक्षण एवं वन मंत्री यदुबंश झा ने राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण न्यास तथा वर्ल्ड वाइड फंड(डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए इस बाघ गणना कार्यक्रम की घोषणा की। नेपाल के तराई क्षेत्रों में स्थित घने जंगल, रॉयल बंगाल टाइगर के मुख्य निवास स्थल हैं। इससे पहले हुई गणना में नेपाल में बाघों की संख्या 200 के लगभग थी।
कीमती खाल तथा दूसरे मूल्यवान अंगों की तस्करी के लिए बाघों का शिकार उनके अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। दूसरी तरफ बाघों को उनके रिहायशी क्षेत्रों से बेदखल किए जाने तथा जंगल की कटाई के कारण कई बार ये बाघ मानव बस्तियों में घुस जाते हैं।
समाचार पत्र 'रिपब्लिका' ने शुक्लाफैंटा अभयारण्य के मुख संरक्षण अधिकारी युबराज रेग्मी के हवाले से कहा है, हमने शुक्लाफैंटा अभयारण्य के विभिन्न इलाकों में 50 कैमरे लगाए हैं तथा बाघों को चिन्हित करने के लिए 20 तकनीशियनों की नियुक्ति की है।
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