त्रिपुरा सरकार ने प्रमुख विद्रोही नेता रंजीत देबबर्मन की गिरफ्तारी के 17 दिन बाद शुक्रवार को उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत आरोपित किया। बांग्लादेश में छिपे देबबर्मन की गिरफ्तारी तब हो पाई जब वहां के अधिकारियों ने उसे भारतीय क्षेत्र में भेज दिया। पश्चिमी त्रिपुरा जिले के पुलिस प्रमुख आर.जी.के. राव ने शुक्रवार को बताया, "पुलिस की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए जिला दंडाधिकारी एवं कलेक्टर ने जनसंहार सहित कई अपराधों में संलिप्त रहे चरमपंथी नेता पर रासुका लगाया।"
प्रतिबंधित संगठन ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) का प्रमुख देबबर्मन कई जनसंहार और अन्य अपराधों के लिए इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस का सामना कर रहा है। पुलिस एवं खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उससे पूछताछ कर कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की हैं। पुलिस ने हालांकि उन जानकारियों का मीडिया के समक्ष खुलासा करने से इंकार कर दिया।
देबबर्मन को कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत में प्रवेश करते समय उसने संवाददाताओं से कहा था, "बांग्लादेश सुरक्षा बलों ने 16 जनवरी को मेघालय के दावकी स्थित भारत-बांग्लादेश सीमा पर भारतीय क्षेत्र में मुझे वापस भेज दिया। त्रिपुरा पुलिस 18 जनवरी को मुझे यहां ले आई।" खुफिया विभाग के सूत्रों ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने देबबर्मन को उसकी तीन महिला सहयोगियों के साथ पकड़ा था और ढाका में नजरबंद रखा था।
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