नेताओं, नौकरशाहों व अपराधियों की सुरक्षा में पुलिस को तैनात करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ी नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सुरक्षा महिलाओं को दी जानी चाहिए। खासकर दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। कोर्ट ने सभी राज्यों के गृह सचिवों से सुरक्षा का ब्योरा तलब किया है।
जस्टिस जी.एस. सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के उस बयान पर संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने बुधवार को कहा था कि हाल में सुरक्षा सुधारों पर विचार के बावजूद राजधानी में महिलाएं असुरक्षित हैं। कोर्ट ने राज्यों के गृह सचिवों से कहा कि वे एक हफ्ते में बताएं कि उनके यहां पुलिस सुरक्षा किसे, कितनी व क्यों मिली है और इस पर कितना खर्च आ रहा है। पीठ ने कहा कि आम आदमी असुरक्षित है और वीआईपी सुरक्षा की विलासिता भोग रहे हैं।
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने शपथपत्र दाखिल कर कहा कि उनके अधिकारी बिना सुरक्षा के काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें हत्या और अपहृत होने का डर रहता है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने अपने शपथपत्र में कहा कि नेता और अधिकारियों को साहसिक फैसले लेने के लिए सुरक्षा दी जाती है। मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें