राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में पिछले कुछ वर्षो में गिरावट आई है, और इस रुख को मोड़ने की जरूरत है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ विद्यार्थियों को ज्ञान व कौशल ही न प्रदान करें, बल्कि उनमें मानवता व सदाचार के मूल्य भी डालें। उन्होंने कहा, "देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने वर्ष 2006 की रिपोर्ट में इसे गहरा संकट करार दिया था। हमें इस रुझान को पलटने की आवश्यकता है। इसके लिए सामूहिक विवेक से काम लेना होगा।"
राष्ट्रपति ने कहा कि अपने नागरिकों को सशक्त बनाने की देश की कोशिशों के लिए ज्ञान तक पहुंच बेहद आवश्यक है। समाज के पिछड़े वर्गो के उच्च शिक्षा में दाखिले की कम संख्या पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "अनुसूचित जनजाति के लोगों का उच्च शिक्षा में पंजीकरण देश के औसत का आधा है।" राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा न केवल देश की प्रौद्योगिकीय एवं आर्थिक उपलब्धियों को हासिल करने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह युवाओं की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए भी जरूरी है।
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