मध्य प्रदेश में बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए चल रहे बेटी बचाओ अभियान पर नाबालिग लड़कियों के लापता होने की घटनाओं ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते पांच वर्षो में लापता हुई लड़कियों में से 4990 का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। यह खुलासा विधानसभा में सरकार की ओर से दिए गए जवाब में हुआ है।
कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने बुधवार को विधानसभा में मानव तस्करी का मसला उठाया। उनका आरोप था कि राज्य में लड़कियों की मानव तस्करी के वर्ष 2008 से 2013 के बीच बड़ी संख्या में प्रकरण सामने आए हैं। रावत के आरोपों को नकारते हुए गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि पांच वषरें में लड़कियों की मानव तस्करी के 178 मामले ही सामने आए हैं। इनमें 40 वयस्क और 138 नाबालिग लड़कियों से जुड़े प्रकरण हैं।
गुप्ता के जवाब पर सवाल उठाते हुए रावत ने कहा कि कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के जवाब में बताया गया है कि पांच साल में लापता हुई नाबालिग लड़कियों में से 4990 का अब तक पता नहीं चल पाया है, लिहाजा यह भी मानव तस्करी से जुड़े मामले हैं। कांग्रेस के अन्य विधायकों ने भी इस बात का समर्थन किया।
गुप्ता ने बताया कि पांच वर्षो में 29828 नाबालिग लड़कियां लापता हुई थी, इनमें से 4990 अब भी लापता की श्रेणी में है। कई बार गुम हुई लड़कियां घर वापस आ जाती हैं, मगर उनके परिजन पुलिस को सूचित नहीं करते हैं। लापता लड़कियों का सही ब्यौरा तैयार करने के लिए पुलिस द्वारा विशेष अभियान चलाया जाएगा। गुप्ता ने नाबालिग लड़कियों के लापता होने को मानव तस्करी मानने से ही इंकार कर दिया।
गृहमंत्री के जवाब पर कांग्रेस विधायकों ने नाराजगी जताई और कहा कि सरकार एक तरफ बेटी बचाओ अभियान चला कर इस पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर बेटियां लापता हो रही हैं और सरकार उन्हें खोज नहीं पा रही है। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए असंतुष्ट कांग्रेस विधायक सदन से बहिर्गमन कर गए।
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