अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला किसानों के लिए खुशखबरी है। इस मौके पर कॉम्फेड की ओर से आयोजित सेमिनार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के लिए पशुधन वरदान से कम नहीं होता। वैसी महिलाएं जो गाय, भैंस और बकरी खरीदना चाहती हैं उन्हें अनुदान मिलेगा। सरकार सामान्य महिलाओं को 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति और जनजाति के महिलाओं को 58 प्रतिशत अनुदान देगी।
उन्होंने कहा ‘सुधा’ पूर्वी भारत का अव्वल डेयरी ब्रांड है। इसकी सफलता में महिलाओं की अहम भूमिका है। पशुपालन के क्षेत्र में 90 प्रतिशत से अधिक श्रम महिलाओं का है। लेकिन इससे प्राप्त आय पुरुषों के हाथों में है। अब तक दुग्ध सहकारिता से जुड़कर लगभग 1.0 लाख महिलाएं स्वावलंबी हो चुकी हैं। कॉम्फेड की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर ने कहा उनका लक्ष्य है कि अधिक से अधिक महिलाएं डेयरी उद्योग से जुड़कर सशक्त हो सकें। उन्होंने कहा महिलाओं को समानता की संस्कृति चाहिए।
सामाजिक सशक्तीकरण से ही महिलाएं सशक्त होंगी। लेकिन महिलाओं को कभी नहीं भूलना चाहिए। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के प्रधान सचवि ने महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिसा और घटते महिला-पुरुष अनुपात पर चिंता जाहिर की। कॉम्फेड के महाप्रबंधक ए के कुलकर्णी ने महिला डेयरियों के गठन एवं उनके कार्यो पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इससे जुड़ी किस प्रकार स्वावलंबी होकर अपने पूरे परिवार को अपने उद्यम से आगे बढ़ा रही हैं। कॉम्फेड के परियोजना प्रबंधक नाजशि बानो व कई महिला डेयरी उद्यमी उपस्थित रहीं।
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