भारत ने सोमवार को मॉरीशस से वादा किया है कि वह मजबूत साझेदार बना रहेगा क्योंकि दोनों देशों ने वैश्विक शासन के नियम आधारित ढांचे की पैरवी की है जो आतंकवाद जैसी चुनौतियों के खिलाफ सुरक्षा कवच होगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सोमवार को तीन दिनों के मॉरीशस दौरे पर पंहुचे। यहां मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने उनके लिए भोज रखा जहां मुखर्जी ने दोनों देशों के बीच के पुराने, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के ज्यादातर लोग समान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल से हैं। दोनों देश लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों में विश्वास से बंधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने वैश्विक शासन के नियम आधारित ढांचे की पैरवी की है जो आतंकवाद, गरीबी, मानवाधिकारों का उल्लंघन और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में एक सुरक्षा कवच होगा।
मुखर्जी मंगलवार को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि होंगे। उन्होंने कहा कि 12 मार्च को स्वतंत्रता दिवस के जरिए मॉरीशस के लोगों की ओर से महात्मा गांधी को दी जाने वाली श्रद्धांजलि की भारत की जनता सराहना करती है। 12 मार्च के दिन ही गांधी ने ऐतिहासिक दांडी मार्च आरंभ की थी। मुखर्जी ने कहा कि भारत के महत्व से जुड़े मुद्दों के समर्थन में खड़े रहने को लेकर हम मॉरीशस के आभारी हैं। भारत और मॉरीशस आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के सैद्धांतिक, नैतिक और निरंतर दृष्टिकोण का समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्या के दावे के भारत का समर्थन करने के लिए भी हम आपके आभारी हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंधों में विकास हुआ है, लेकिन अब भी क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। मुखर्जी की मॉरीशस यात्रा राष्ट्रपति बनने के बाद उनका दूसरा विदेश दौरा है। पिछले हफ्ते उन्होंने बांग्लादेश की यात्रा की थी।
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