सलमान खान ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में अपने खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का आरोप दर्ज होने को कानूनी तौर पर गलत बताते हुए अदालत से यह इल्जाम खारिज करने की गुहार लगाई है।
हालांकि, सत्र अदालत ने सवाल किया कि क्या उसे सलमान की यह अर्जी सुनने का अधिकार है। सलमान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के भाग-दो के तहत गैर-इरादतन हत्या का आरोप दर्ज करने का निर्देश देने वाली बांद्रा की मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी है।
सलमान के खिलाफ जिस धारा के तहत आरोप लगाए गए हैं उसमें अधिकतम सजा 10 साल तक की हो सकती है। लिहाजा, इस मामले में मुकदमा चलाने का अधिकार मजिस्ट्रेट अदालत नहीं, बल्कि सत्र अदालत के पास है।
मजिस्ट्रेट अदालत ने सलमान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने का मुकदमा चलाया था जिसके तहत दोषी पाए जाने पर उन्हें ज्यादा से ज्यादा दो साल जेल की सजा हो सकती है।
सलमान की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सत्र न्यायाधीश एएन पाटिल ने उनके वकील अशोक मुंदर्गी से कहा कि वह यह बताएं कि इस अदालत के पास किस तरह उनकी याचिका सुनने का अधिकार है। न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाने के लिए सत्र अदालत के पास मामले को भेज दिया है, ऐसे में बंबई हाईकोर्ट ही वह उचित जगह है जहां पुनरीक्षण याचिका या अपील दायर की जा सकती है।
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