इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में सहारा इंडिया परिवार समूह एवं इसके प्रमुख सुब्रत राय द्वारा प्रमुख समाचारपत्रों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ प्रकाशित विज्ञापन को कानून के विरुद्घ बताते हुए सहारा समूह और सुब्रत राय के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका बुधवार को दायर की गई। यह जनहित याचिका लखनऊ निवासी भारतीय पुलिस सेवा(आईपीएस) के अधिकारी अमिताभ ठाकुर एवं उनकी पत्नी नूतन ठाकर की तरफ से दायर की गई है। याचिका की सुनवाई 22 मार्च को संभावित है।
याचिका में कहा गया कि निवेशकों के हितों और शेयर बाजार पर नियंत्रण रखने के लिए विधि द्वारा स्थापित संस्था सेबी के खिलाफ सहारा इंडिया परिवार समूह एवं सुब्रत राय द्वारा 17 मार्च 2013 को प्रमुख समाचारपत्रों में विज्ञापन के माध्यम से स्पष्टतया आपत्तिजनक बातें कही गईं। इस विज्ञापन में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर कार्यरत न्यायाधीश बी.एन. अग्रवाल के कार्यो की भी निंदा की गई है जबकि सेबी और न्यायाधीश अग्रवाल मात्र अपने शासकीय दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। साथ ही प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन भी है, अत: यदि उन्हें कोई बात कहनी थी तो वे इसे सर्वोच्च न्यायालय में कह सकते थे।
विज्ञापन के माध्यम से इस प्रकार खुलेआम आपत्तिजनक बातें करना प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आपराधिक कृत्य और कंपनी कानून का उल्लंघन प्रतीत होता है। याचिका में ठाकुर दम्पत्ति ने प्रार्थना की है कि ऐसे सभी विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए जो किसी संवैधानिक अथवा विधिक संस्था की इस प्रकार विज्ञापन के माध्यम से निंदा करें। साथ ही इस तथ्य की जांच कराकर सहारा इंडिया व इसके प्रमुख सुब्रत राय के विरुद्घ नियमानुसार कार्रवाई कराई जाए।
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