स्वास्थ्य लोगों के जीवन की गुणवता का महत्वपूर्ण सूचक है, जो राष्ट्र के विकास में अपनी योगदान अनुसार अनुच्छेद 47 एंव 39 (ई) देश के प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान करता है। मानवाधिकार की सर्वभौमिक घोषणा 1948 के अनुच्छेद 25 के अनुसार अपने तथा अपने परिवार की तंदुरूस्ती तथा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार सभी को है, जिसमें रोटी, कपड़ा, मकान, चिकित्सा सुविधा, बिमार और अस्वास्थ्य होने पर सुरक्षा का अधिकार है। और इन सब की व्यवस्था करना सरकार का परम कर्तव्य है।
राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चत करने हेतु जिला, सब डिविजन एंव प्रखंड, पंचायत स्तर पर विशेष चिकित्सकों सहित अच्छे अस्पतालों का होना आवश्यक है। पर अलम यह है कि वर्ष 2000 में झारखण्ड गठन के समय यहां स्वस्थ्य सेवाओं की जो स्थिति थी उसमें बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा ही दयनीय हुई है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार 3 करोड़ जनता महज 2000 सरकारी डॉक्टरों एवं 4000 छोटे-बड़े अस्पातालों के भरोसे है। इस हिसाब से देखे तो 3 करोड़ जनता के स्वास्थ्य का जिम्मेदारी मात्र 2000 डॉक्टरों पर है। सरकार को डॉक्टर खोजे नहीं मिल रहें, तो इसके लिए सरकारी नितियॉ ही जिम्मेदार है। पिछले 11 वर्षों में एक भी कॉलेज नहीं खुला। प्रतिवर्ष सिर्फ 190 नये डॉक्टर ही निकल रहे हैं।
1. स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धताः-
विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार- 18 हजार जनसंख्या पर मात्र 1 सरकारी डॉक्टर है जबकि 3500 की जनसंख्या पर 1 डॉक्टर होना चाहिए। 3 करोड़ जनता महज 2000 सरकारी डॉक्टरों एवं 4000 छोटे-बड़े अस्पातालों के भरोसे है। राज्य में 227 मेडिकल ऑफिसर, 151 विशेषज्ञ मेडिकल ऑफिसर, 801 स्टाफ नर्स, 417 लैब टेक्निशियन, 335 फर्मासिस्ट कंपाउंडर एवं 7076 ए.एन.एम. उपलब्ध हैं। एन.आर.एच.एम. के मापदण्ड के अनुसार राज्य में 7500 के जगह पर मात्र 2700 चिकित्सक कार्यरत हैं। इसी तरह 6074 के जगह पर 5057 ए.एन.एम. कार्यरत हैं एवं 974 ए ग्रेड नर्स के जगह पर 600 नर्स कार्यरत हैं तथा 85 नर्सिंग ट्यूटर के जगह पर 27 कार्यरत हैं।
2. स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धताः-
राष्ट्रीय फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार राज्य मृत्युदर में कमी जरूर आयी हैं। वर्ष 2000 में 20.4 प्रतिशत थी जो अब घटकर 7.3 हो गई है। इसी तरह मातृ मृत्युदर प्रति लाख 371 थी जो घटकर 312 हो गई। इसी तरह शिशु मृत्युदर 1000 की आबादी पर जहां पहले 69 था अब घटकर 46 हो गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को शून्य पर लाना है लेकिन अभी यह दूर की कौड़ी नजर आती है। राज्य में संस्थागत प्रसव 43.52 प्रतिशत एवं बच्चों का टीकाकरण 80 प्रतिशत है। ‘मुख्यमंत्री जननी योजना’ के तहत माताओं को मिलने वाला लाभ उनतक नहीं पहुंच रहा है।
3. आधारभूत संरचनाएंः-
राज्य में 6708 प्राथमिक उप-स्वस्थ्य केन्द्रों के जगह पर सिर्फ 3947 सेंटर ही उपलब्ध हैं, जिसमें वे भी सुचारू रूप से नहीं चलती हैं। इसी तरह यहां 1005 प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्रों की अवश्यकता है, जिसके जगह में मात्र 321 ही उपलब्ध हैं। राज्य में 380 सामुदायिक स्वस्थ्य केन्द्रों के स्थान पर 194 उपलब्ध हैं। 24 जिला अस्पाताल के जगह पर मात्र 21 उपलब्ध हैं। नर्सिंग कॉलेज 3 की जगह पर 1 उपलब्ध है। ए.एन.एम. ट्रेनिंग सेंटर 20 के जगह पर 10 उपलब्ध हैं एवं 6 मेडिकल कॉलेजों की जगह पर मात्र 3 मेडिकल कॉलेज उपलब्ध है।
सारणी 1. झारखण्ड के जिलावर उपलब्ध आधारभूत सरंचना
क्र सं. जिला कुल आबादी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वास्थ्य उपक्रन्द्र
उपलब्ध आवश्यकता उपलब्ध आवश्यकता उपलब्ध आवश्यकता
1. बोकारो 1777662 08 15 16 59 116 175
2. चतरा 791434 06 16 08 26 93 158
3. देवघर 1165390 08 15 05 36 181 229
4. दुमका 1106521 10 19 36 46 258 303
5. जामताड़ा 653081 04 07 15 42 132 283
6. धनबाद 2397102 08 15 28 80 137 479
7. पू. सिंहभूम 1982988 09 17 16 49 242 435
8. प. सिंहभूम 1233945 15 30 15 55 342 417
9. गढ़वा 1035464 08 21 10 36 111 241
10. गिरिडीह 1904430 12 23 15 57 180 381
11. गोड्डा 1047939 07 13 09 40 188 251
12. सिमडेगा 514325 07 13 07 22 155 181
13. गुमला 832447 11 21 13 42 242 283
14. हजारीबाग 2277475 14 27 19 76 203 455
15. कोडरमा 499403 04 07 05 17 65 100
16. लोहरदगा 364551 05 09 10 20 73 108
17. पाकुड़ 701664 06 11 09 35 121 234
18. पलामू 2098359 10 19 21 28 172 321
19. लातेहार 560898 07 13 10 21 99 188
20. रांची 2785064 20 39 32 139 502 928
21. साहेबगंज 927770 07 15 10 40 141 299
22. सरायकेला 873613 08 15 12 39 194 259
कुल 26945829 194 380 321 1005 3947 6708
नोट: खूंटी एवं रामगढ़ जिले का ऑंकड़ा रांची एवं हजारीबाग जिले में शामिल हैं। जनसंख्या जनगणना 2001 के आधार पर।
4. एनआरएचएम की स्थितिः-
झारखण्ड में केन्द्र सरकार प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की स्थिति संतोषजनक नहीं है। झारखण्ड में 40964 स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं लेकिन उनमें से 5964 कार्यकताओं के पास स्वास्थ्य किट उपलब्ध नहीं है। 2005 से 2010 तक सरकारी अस्पतालों में 19.2 लाख महिलाओं का सुरक्षित प्रसव करवाया गया, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। नवसृजित राज्य उतराखंड और छत्तीसगढ़ की तुलना में झारखण्ड काफी पीछे है। एनआरएचएम के तहत गांवों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है। इसका संचालन सरकारी प्राथमिक उप-स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यक से करना है।
सारणी 2. स्वास्थ्य संरचनाओं की तुलनात्मक स्थिति
क््र.सं. आधारभूत संरचना झारखण्ड उतराखंड छत्तीसगढ़
1. सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता 40964 11086 60092
2. किटधारी सा. स्वा. कार्यकर्ता 35000 9983 60092
3. प्राथमिक उप-स्वास्थ्य केन्द्र 3947 1765 4776
4. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 321 239 715
5. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 194 55 144
6. अस्पताल में प्रसव 19.2 लाख 36.1 लाख 15.7 लाख
7. सुरक्षित प्रसव 70.56 प्रतिशत 81.56 प्रतिशत 74.7 प्रतिशत
5. एनीमिया की स्थितिः-
झारखण्ड एनीमिया की स्थिति भयावह है। राज्य में पांच वर्ष से कम आयु के 56.5 प्रतिशत बच्चे अल्प वजन हैं और 70.3 फीसदी खून की कमी के शिकार हैं। इसी तरह किशोरी बालिकाओं में 78.2 फीसदी एनीमिया ग्रसित हैं। इनमें से 64.2 प्रतिशत युवतियां विद्यालयों में पढ़नेवाली हैं। इसी तरह से 70 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी के शिकार हैं। आदिवासी समुदाय की स्थिति तो और भी बदतर है। इस समुदाय के पांच वर्ष से कम आयु के 64.3 प्रतिशत बच्चे अल्प वजन के शिकार हैं एवं 80 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से जूझ रहे हैं एवं 85 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी के शिकार हैं। राज्य में कुपोषण के रोकथाम हेतु कई कार्यक्रम चलाये जा रहे है तथा राज्य में 48 कुपोषण उपचार केन्द्र एवं 10 कुपोषण उपचार विस्तार केन्द्र कार्यरत हैं बावजूद इसके कुपोषण एवं एनीमिया में कमी नहीं आ रही है।
6. स्वास्थ्य पर खर्च की स्थितिः-
झारखण्ड के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने हेतु केन्द्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.आर.एम.) राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये उपलब्ध करा रही है। लेकिन राज्य सरकार इस रूपये का भी उपयोग नहीं कर पा रही है। आधारभूत संरचनाओं की कमी एवं सरकार के पास विजन की कमी के कारण सरकार को काफी पैसा लौटाना पड़ रहा है।
सारणी 3. झारखण्ड में स्वास्थ्य हेतु खर्च की स्थिति
स्टेट प्लान की स्थिति एन.एच.आर.एम. के तहत मिले पैसे की स्थिति
वर्ष आउट ले खर्च वर्ष मिली राशि खर्च (प्रतिशत)
2005-06 150.00 140.2 2005-06 110.36 78.46
2006-07 162.25 131.58 2006-07 208.11 74.34
2007-08 195.00 194.36 2007-08 258.33 33.28
2008-09 378.00 330.00 2008-09 422.66 290.31
पिछले 11 वर्षेे में झारखण्ड के स्वास्थ्य विभाग को संभालने के लिए 5 मंत्री एवं 13 स्वास्थ्य सचिवों ने संभाला लेकिन इसमें कोई खास बदलाव नहीं आया। बदले में एक के बाद एक घोटाला सामने आता रहा, जिसमें मंत्री के साथ नौकरशाह भी जेल में बंद हैं। झारखण्ड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1000 करोड़ रूपये खर्च किये गये लेकिन धरातल के कुछ सुधार दिखाई नहीं देता है। स्वास्थ्य विभाग की स्थिति बिल्कुल अपाहिज की तरह हो गई है, बस इसे एक बैशाखी की जरूरत है।
---बरखा लकड़ा---
- बरखा लकड़ा ‘पत्रकार ‘है।
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