परित्यक्ता के लिए मायका में कोई जगह नहीं! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 31 मार्च 2013

परित्यक्ता के लिए मायका में कोई जगह नहीं!


छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य जिला कांकेर का एक गांव इन दिनों अपने एक अजीबोगरीब फरमान के लिए सुर्खियों में है। गांव में कोई भी परित्यक्ता निवास नहीं कर सकती और यदि परित्यक्ता के परिजन ऐसा करते हैं तो अर्थदंड के साथ-साथ समाज की बैठक में अपमानित किया जाता है। इतना ही नहीं अब तो लात घूसों और लाठी डंडों से पिटाई भी की जाने लगी है। ऐसी ही प्रताड़ित एक महिला ने गांव छोड़कर दिल्ली का रुख कर लिया है। देश भर में अपने काम के जरिये नंबर वन होने का ढिंढोरा पीटने वाली प्रदेश सरकार के लिए यह शर्मसार करनेवाली घटना है क्योंकि यह वही जिला है जहां के झालियामारी आदिवासी छात्रावास की मासूम छात्राओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला उजागर हुआ है।

पूरे प्रदेश में एक ओर जहां नारी के सम्मान के लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांकेर जिले के सुदूर ग्राम पीवी 87 में परित्यक्ता महिलाओं को गांव से बाहर निकालने का फरमान जारी कर दिया जाता है। इस फरमान का पालन करने के लिए खुलेआम बैठक भी होती है। बैठक में फरमान का पालन करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए जाते हैं, समाज प्रमुखों के इस फरमान से पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद गांव में अपने माता-पिता के साथ भी महिलाएं नहीं रह पाती हैं। ऐसे ही एक फरमान को तामील करने पर दो दिनों पूर्व रात में बलवा भी हुआ, जिसमें लाठी-डंडे से महिला के परिजनों की पिटाई की गई। मामला जब गांव में नहीं निपटा तो पीड़ित परिवार न्याय के लिए पुलिस की शरण में पहुंचा। 

गौरतलब है कि दस वर्ष पूर्व पीवी 87 गांव की काजल का विवाह पीवी 34 गांव के रामनंद बाला के साथ हुआ था। विवाह के पांच वर्षो तक सब कुछ ठीक ठाक रहा। पांच साल में तीन बच्चों के जन्म के बाद उसके पति ने एक अन्य महिला से शादी कर ली और काजल को बच्चों समेत घर से निकाल दिया। पुरुष प्रधान समाज के फरमान से पति के छोड़े जाने के बाद काजल बच्चों समेत अपने माता-पिता के घर पीवी 87 पहुंच गई। दो बच्चों को महिला के रिश्तेदारों ने अपने यहां रख लिया और एक बच्चा अभी महिला के साथ है। गांव लौटने के बाद उसकी दिक्कतें कम नहीं हुईं। उसे गांव वालों ने अपने अजीबोगरीब फरमान का हवाला दिया और गांव छोड़ने के लिए कहा।

उसके मायकेवालों पर दस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया। समाज प्रमुखों ने 27 मार्च को भी मीटिंग कर उसके पिता व भाई को बुलाया और उसे गांव से बाहर चले जाने को कहा। पर भाई ने ऐसा करने से मना किया तो मीटिंग में मौजूद समाज प्रमुखों ने उसकी लाठी-डंडे से पिटाई कर दी।  परित्यक्यता के भाई रतन दास ने वीएनएस को बताया कि गांव के तीन लोग रत्ती देवनाथ, नारायण शील तथा निरेंची मंडल ने समाज प्रमुख बनकर इस तरह के अजीबोगरीब नियम बनाए हैं। लगातार बढ़ती परेशानी को देख इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई है। पर पुलिस की ओर से अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

दूसरी ओर ग्राम प्रमुख नारायण साहा ने वीएनएस को बताया कि महिला को गांव से बाहर निकाले जाने की बात बेबुनियाद है। इस तरह कोई फैसला नहीं दिया गया है। जिस महिला के दिल्ली जाने की बात की जा रही वह गांव में आना-जाना करती है तथा काम के चक्कर में वह गांव से हमेशा बाहर रहती है। बांदे थाना के एएसआई मनोज जैन ने बताया कि महिला के भाई की शिकायत पर बलवा तथा मारपीट का मामला दर्ज किया गया है। घटनास्थल से लाठी डंडा जब्त कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। नारायण साहा, बलाई देवनाथ, जतिन मंडल, चंचला मंडल, जितेंद्र देवनाथ, जगदीश देवनाथ व जीवन देवनाथ के खिलाफ मामला दर्ज किया किया गया है। 

कोई टिप्पणी नहीं: