एफआईआर के नाम पर हुई रस्म अदायगी!
देहरादून, 22 मार्च,। कांग्रेस पर सिडकुल में हुए अरबों रुपए के घोटाले को लेकर सदन में भाजपा द्वारा कांग्रेस की घेराबंदी की गई तो घेराबंदी से तिलमिलाई सरकार ने भाटी आयोग की रिपोर्ट का सहारा लिया और टीडीसी में हुए कथित घोटाले को लेकर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का ऐलान कर दिया। लेकिन एफआईआर का जो पत्र पुलिस मुख्यालय को शासन ने इस घोटाले में भेजा है उससे साफ नजर आ रहा है कि इस कथित घोटाले में अधिकारियों व नेताओं को बचाने का खेल खेला गया और एफआईआर के नाम पर सिर्फ रस्मअदायगी करते हुए उसमंे किसी को भी आरोपी नहीं दर्शाया गया है। पुलिस महकमें को मिली यह रिपोर्ट पूरी तरह से गोल मोल दिखाई पड़ी। जिससे साफ है कि आने वाले समय में सरकार इस रिपोर्ट को दाखिल दफ्तर करा देगी। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले तीन दिनों से पुलिस के कई आलाधिकारी सिर जोड़कर इस जांच रिपोर्ट की बारिकीयां समझने में लगे रहे, लेकिन उन्हें इस जांच रिपोर्ट में कुछ भी ऐसा नहीं मिला, जिससे किसी ब्यूरोक्रट अथवा नेता पर शिकंजा कसा जा सके। वहीं शुक्रवार शाम तक अनुसचिव महावीर सिंह द्वारा कोतवाली देहरादून में इस जांच रिपोर्ट पर एफआईआर करने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा व कांग्रेस के बीच पिछले कई दिनों से भाटी आयोग की रिपोर्ट पर नूराकुश्ती का खेल चल रहा है। 12 सालों में पहली बार सदन नहीं चलने से साफ हो गया कि राजनीतिक को प्रदेश की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस सरकार पर सिडकुल मामले में घोटाले का आरोप लगा रही भाजपा को डराने के लिए सरकार ने भाटी आयोग की जांच का पिटारा खोल दिया और पिछले चंद दिनों से इस मामले की विधिक रिपोर्ट ली जा रही थी। आज आखिरकार दोपहर 1.45 बजे शासन में कृषि एवं जलागम अनुभाग-2 के अनुसचिव महावीर सिंह चौहान ने पुलिस मुख्यालय को पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के लिए शिकायती पत्र भेजा जिसमें अंकित किया गया कि 22 मार्च को टीडीसी के पूर्व प्रमुख सचिव की भूमिका के परीक्षण कार्यवाही प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही है और 5 मार्च 2013 को भाटी आयोग ने अपनी जांच शासन को भेजी थी जिसमें टीडीसी के चेयरमैन की नियुक्ति दोषपूर्ण, अवैधनिक एवं दुरभी शुद्धिकरण बताया गया और शिकायत में बताया गया कि बोरों की खरीद व बीज कंपनी से बीज क्रय में अनियमितताएं पाई गई तथा चेयरमैन की नियुक्ति अवैध बताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि नियुक्ति में सही प्रक्रिया एवं नियमों का अनुपालन नहीं किया गया। भाटी आयोग ने इसे अपराधिक कृत्य बताया है। सवाल उठता है कि भाटी आयोग ने भले ही टीडीसी के पूर्व चेयरमैन हेमन्त द्विवेदी की नियुक्ति असंवैधानिक बताई हो लेकिन अनुसचिव द्वारा
दर्ज कराई जा रही एफआईआर गोलमोल दिखाई पड़ रही है, क्योंकि जिस तरह से यह तहरीर दी गई उससे यह साफ नजर आ रहा है कि सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक ओर तो उसने इस मामले में अधिकारियांे को बचाने का खेल खेल डाला वहीं भाजपा से उसने अपने सियासी संबंध बरकरार रखने के लिए एफआईआर में किसी भी नेता का नाम अंकित नहीं किया है। सरकार के इस कदम से साफ हो गया है कि उसकी मंशा इस घोटाले पर कार्यवाही के नाम पर केवल रस्मअदायगी है। बता दें कि पहले तो सरकार ने भाटी आयोग की जांच में दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कड़े तेवर दिखाए थे लेकिन मामले में सियासी रंग आने के बाद सरकार के मुखिया भाटी आयोग की जांच में दोषियों पर कार्यवाही करने के लिए आगे आते हुए दिखाई नहीं पड़े।
(राजेन्द्र जोशी)
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