राज्य सभा में गुरुवार को शिवसेना के एक सदस्य ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में किए गए ताजा बदलावों से जुड़ामुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि इन बदलावों के कारण भारतीय भाषाओं के साथ पूरी तरह से भेदभाव किया गया है तथा केवल अंग्रेजी को महत्त्व दी जा रही है।
शून्यकाल में शिवसेना के भरत कुमार राउत ने कहा कि यूपीएससी ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर सिविल सेवा परीक्षाओं के नियमों में बदलाव किया है। इन बदलावों से भारतीय भाषाओं के माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ घोर भेदभाव हुआ है।
उन्होंने कहा कि नए नियमों के तहत यदि किसी भारतीय भाषा के माध्यम से परीक्षा देने के लिए 25 से कम उम्मीदवारों ने फॉर्म भरे तो उस भाषा के माध्यम से परीक्षा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश की संस्कृति के खिलाफ है क्योंकि यदि एक भी व्यक्ति किसी भाषा के माध्यम से परीक्षा देना चाहता है तो उसे अनुमति दी जानी चाहिए।
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