हरिद्वार 21 मार्च/देहरादून, 21 मार्च। शांतिकुंज की अंतेरूवासी बहिनों का चार दिवसीय युगप्रवक्ता शिविर का आज शुभांरभ हुआ । बहिनों का यह दूसरा शिविर है । शिविर के माध्यम से नारियों में उनके अंदर के सुषुप्तावस्था में पड़ी ऊर्जा, कौशल, सामाजिक पीड़ा को जगाकर बाहर निकलना है। शिविर के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए संस्था प्रमुख शैलदीदी ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों और विकृत मानसिकता का अधिकांश दर्द नारी ही झेलती है। इसका प्रतिकार भी उसी को करना होगा। आक्रोश और विरोध तो सामयिक समाधान हुआ करते हैं, लेकिन स्थायी समाधान तो समाज के विचार और संस्कार बदलने से ही संभव है। नारी अपने अनुभव को जब प्रभावशाली ढंग से दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करेगी तो उसका प्रभाव ही विलक्षण होगा।
श्री वीरेश्वर उपाध्याय ने बहिनों की वर्तमान स्थिति एवं परिस्थिति से अवगत कराते हुए उन्हें कहा कि परिवर्तन का शुभारंभ अपने से ही होना चाहिए। आप अपने संकोच को त्यागकर समाज को सही दिशा देने का संकल्प कर लेंगी तो भगवान की अनंत शक्ति आपकी सहयोगी बनकर आपके साथ खड़ी दिखाई देगी। जनमानस बदल रहा है, आवश्यकता है उसे सही दिशा देने वालों की। आपके संवेदना जनित प्रयास समाज में एक नयी क्रांति को जन्म दे सकते हैं। श्री नमोनाराण पाण्डेय ने नारी की तप और त्यागवृत्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि सीता, मदालसा, माता भगवती देवी शर्मा आदि की त्यागशीलता को विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर शांतिकुंज की तीन दलों की करीब 125 बहिनें शामिल हैं।
(राजेन्द्र जोशी)
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