संसद में बिना चर्चा के कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने संबंधित बिल को मंजूरी मिल गई। बिल में पहली बार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए प्रावधान किया गया है। कार्यस्थल पर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न रोकने संबंधी विधेयक को काफी अहम माना जा रहा है। विधेयक में घरों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं सहित सभी महिलाओं को शामिल किया गया है।
यौन उत्पीड़न की परिभाषा का दायरा बढ़ाया गया है। अब नौकरी नौकरी देने का झूठा वादा करना भी उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा। उन महिलाओं को भी शामिल किया गया है जो किसी ख़ास ऑफिस में काम तो नहीं करतीं लेकिन ग्राहक के तौर पर आती हैं। हर ऑफिस में एक शिकायत निवारण सेल बनाने की बाध्यता का प्रावधान है, ऐसा नहीं होने पर 50,000 रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
बिल की मुख्य बातें
- ऐसे संस्थान शामिल हैं जहां 10 से कम कर्मचारी काम करते हैं और जो सर्विसेज रुल्स के तहत नहीं आते हैं।
- बिल में पहली बार घरों में काम करने वाली महिलाओं को भी अधिकार दिया गया है।
- बिल के मुताबिक सभी संस्थानों को आंतरिक शिकायत कमेटी का गठन करना होगा जो कम से कम 10 सदस्यीय होगा।
- 10 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों को 5 सदस्यीय शिकायत निवारण कमेटी बनानी होगी।
- जो संस्था कमेटी की गठन नहीं करेगी उन्हे 50 हजार रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।
- बार-बार उल्लंघन करने पर ज्यादा जुर्माना और रजिस्ट्रेशन रद्द करने का भी प्रावधान है।
- बिल में यौन शोषण की परिभाषा को कड़ा बनाया गया है।
- इसके तहत किसी भी तरह का अश्लील व्यवहार, छेड़खानी, शारीरिक छेड़छाड़, संबंध बनाने के लिए मजबूर
करना या शारीरिक संबंध की मांग करना शामिल है।
- अश्लील वीडियो दिखाने को भी गैरकानूनी माना गया है।
- अगर आंतरिक कमेटी को लगता है कि शिकायत गलत या जानबूझकरस किसी को फंसाने के लिए दर्ज कराई
गई है इसके लिए झूठे सबूत दिए गए हैं तो महिला के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
- महिला संगठनों और सीपीएम ने कृषि क्षेत्र और सेना में काम करने वाली महिलाओं को भी बिल के प्रावधान
में शामिल करने की मांग की है। हालांकि ये बिल का हिस्सा नहीं है।
- महिला संगठनों ने गलत शिकायत के प्रावधानों को भी हटाने की मांग की है।
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