एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल को सीबीआई की विशेष अदालत में बतौर आरोपी पेश होना पड़ेगा। कोर्ट ने एयरटेल, एस्सार ग्रुप समेत तीन कंपनियों के अधिकारियों को आरोपी बनाने का आदेश दिया है। हालांकि एयरटेल और एस्सार ग्रुप ने सफाई दी है कि उनका इस घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। वहीं दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार को प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के प्रमोटर सुनील मित्तल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया।
मित्तल अदालत में बतौर आरोपी पेश होंगे। मित्तल के साथ ह्यूचिसन मैक्स टेलीकॉम के पूर्व एमडी असीम घोष, स्टर्लिंग सेल्युलर के डायरेक्टर रवि रुइया और पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी श्यामल घोष को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। अदालत का ये आदेश सीबीआई की एनडीए कार्यकाल के दौरान हुई गड़बड़ियों पर दाखिल की गई चार्जशीट से एकदम उलट है जिसमें महज पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी श्यामल घोष और तीन टेलीकॉम कंपनियों को ही आरोपी माना गया है।
अदालत के इस आदेश के बाद टूजी घोटाले का दायरा और बढ़ गया है। आरोपियों की फेहरिस्त और बढ़ जाएगी। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक एनडीए कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया में सरकार को 846 करोड़ का नुकसान हुआ था, जिसमें पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी श्यामल घोष मुख्य आरोपी थे। लेकिन अदालत ने सीबीआई की इस दलील को नहीं माना। अदालत के आदेश के मुताबिक सीबीआई ने अपनी एफआईआर और चार्जशीट में जो बातें कही है, उससे ये साफ जाहिर होता है कि तीन कंपनियों भारती एयरटेल, ह्यूचिसन मैक्स टेलीकॉम, स्टर्लिंग सेल्युलर के आला अधिकारियों का नाम भी चार्जशीट में जोड़ा जाना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक ये लोग कंपनी के ऊंचे पद पर काबिज थे, लिहाजा कंपनी ने जो गड़बड़ी की है उसका जिम्मेदार इन्हें ही ठहराया जाना चाहिए।
भारती एयरटेल और एस्सार ग्रुप ने अदालत के आदेश के बाद अपनी सफाई दी है। एयरटेल ने जहां न्यायपालिका में भरोसा जताते हुए कहा कि जल्द ही उनकी बेगुनाही साबित हो जाएगी। जबकि एस्सार का कहना है कि ज्यादातर फैसले ह्यूचिसन ने लिए थे, जो कंपनी की बड़ी हिस्सेदार थी। कोर्ट के इस आदेश को एस्सार ने चुनौती देने की भी बात कही है। बहरहाल अब टेलीकॉम कंपनियों के आला अधिकारियों को 11 अप्रैल को अदालत में पेश होना पड़ेगा। और अदालत ये तय करेगी कि इनपर क्या कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए।
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