विपक्ष ने आरोप लगाया कि संसद की संयुक्त बैठक में दिए गए राष्ट्रपति के अभिभाषण से साफ है कि सरकार को देश की समस्याओं का न तो मर्ज मालूम है और न ही दवा. और इसी वजह से भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में अधूरी चर्चा को आज आगे बढ़ाते हुए भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की नियत, दशा और दिशा बताने का दस्तावेज होता है. यह सरकार की ‘कथनी’ होता है. इसके बाद रेल बजट, आर्थिक सव्रेक्षण और आम बजट सरकार की ‘करनी’ होते हैं. लेकिन सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर है और ये तीनों दस्तावेज सरकार की कलई खोलने वाले हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी चिदंबरम और मोंटेक सिंह आहलुवालिया जैसे अर्थशास्त्रियों वाली इस सरकार की नीतियों से बेलगाम भ्रष्टाचार, बेकाबू महंगाई और बेरोजगारी सामने आई है.
शाहनवाज ने कहा कि वह कांग्रेस से पांच वर्षो का नहीं, बल्कि 50 वर्षो का हिसाब मांग रहे हैं क्योंकि अगर इस व्यवस्था को दीमक लगा है तो ऐसा सबसे अधिक समय शासन करने वाली कांग्रेस के कारण हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने देश को बांटने का काम किया है चाहे आतंकवाद के नाम पर हो या किसी अन्य मुद्दे पर. दूसरी ओर कांग्रेस के चिंता मोहन ने कहा कि देश की आजादी के बाद से पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक की कांग्रेस सरकारों की जनहितकारी नीतियों के कारण लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है और देश में समृद्धि आई है.
चिंता मोहन ने दावा किया कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की नीतियों के कारण गांवों में लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है और मनरेगा के माध्यम से लोगों को काम और बेहतर मजदूरी मिल रही है. जनहितकारी नीतियों का श्रेय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और संप्रग सरकार को देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण देश में सामाजिक-आर्थिक क्रांति आई है. आज लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ है और उन्हें अच्छा, पोषक आहार मिल रहा है. समाज के कमजोर वर्ग के लोग प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं.
जद यू के शरद यादव ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी माना गया है कि रूपया कमजोर हो रहा है, सकल घरेलू उत्पाद घटा है, औद्योगिक विकास कम हुआ है, दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ हमारी अर्थव्यवस्था भी डांवाडोल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति के अभिभाषण, जिसे सरकार ने लिखकर दिया है, उससे देश की बुनियादी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता.’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में जनसंख्या वृद्धि पर कोई चिंता नहीं व्यक्त की गई, जबकि आज जानवार खत्म हो रहे हैं, पेड़ पौधे काटे जा रहे हैं, नदियां समाप्त हो रही है लेकिन जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति की कोई चिंता नहीं है. भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जनता का पैसा उसके पास नहीं पहुंच रहा है, सभी जगह लूट मची हुई है और स्थिति बेलगाम हो गई है. उन्होंने कहा कि देश में पेयजल की गंभीर स्थिति है और इसके समाधान का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.
माकपा के बासुदेव आचार्य ने देश में किसानों मजदूरों की बदहाल स्थिति और बढती बेरोजगारी का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों मजदूरों की समस्याओं को कैसे दूर किया जाये और बढती बेरोजगारी को कैसे रोका जाये, इसका कोई उल्लेख राष्ट्रपति के अभिभाषण में नहीं दिखा. उन्होंने बढती बेरोजगारी का जिक्र करते हुए कहा कि एक ओर केन्द्र सरकार के दफ्तरों में कर्मचारियों के करीब दस लाख पद रिक्त पड़े हैं. इनमें अकेले रेलवे में ढाई लाख पद खाली है और दूसरी ओर दो वर्षो में करीब 35 लाख मजदूरों की छंटनी हुई है. उन्होंने चुनाव सुधार पर जोर देते हुए कहा कि चुनावों में धन बल के बढते प्रभाव को कम करने के लिए देश में चुनाव सुधार बहुत ही जरूरी है.
तेलुगू देशम पार्टी के के निम्मला ने बिजली, पानी, कुपोषण और बुनकरों एवं किसानों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस बात का कोई जिक्र नहीं दिखा की सरकार इन मुद्दों से कैसे निबटेगी. राष्ट्रीय लोकदल के संजय सिंह चौहान ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को अपनी प्राथमिकताओं को थोड़ा बदलने और हर क्षेत्र की समस्या को अलग अलग तरीके से निपटने की जरूरत है. जद-एस के एचडी देवगौडा ने कावेरी जल विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में पेयजल का गंभीर संकट है जिससे निपटने की सख्त जरूरत है. द्रमुक के टीकेएस एलनगोवन ने कहा कि देश में हालात पहले से बेहतर हुए हैं. कृषि क्षेत्र में सुधार है, खाद्यान्न के भंडार में बढोतरी हुई है, दुग्ध उत्पादन में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की गयी है.
सरकार पर जनता का विश्वास खो देने का आरोप लगाते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बुधवार को कहा कि उसके शासन में भ्रष्टाचार के मामले एवं नीतिगत अपंगता सामने आ रही है तथा देश के निवेश माहौल में पहले जो उत्साह था वह अब निराशा में बदल चुका है. विपक्ष के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने मनरेगा और किसान ऋण माफी जैसे कदम उठा कर दिखा दिया है कि वह देश के हित में साहसिक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि सरकार में विसनीयता का अभाव है. उन्होंने कहा कि आधारभूत क्षेत्र सहित विभिन्न मोचरे पर विफलता के लिए पूरी तरह से केंद्र की नीतिगत अपंगता जिम्मेदार है तथा संप्रग ने जो दोहरी सत्ता व्यवस्था कायम कर रखी है वह लोकतंत्र के लिए सुखद नहीं है. उन्होंने बिजली, दूरसंचार और राजमार्ग क्षेत्र में धीमी प्रगति को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया तथा प्रधानमंत्री से सरकार चलाने में अधिक दृढ़ता का परिचय देने को कहा. उन्होंने कहा ‘जब नौ साल पहले संप्रग सरकार सत्ता में आई तो भारत को लेकर उत्साह का माहौल था. उन दिनों राजग सत्ता से हटा था और तब वृद्धि दर आठ फीसदी थी. आज हमारी वृद्धि दर घट रही है और पांच फीसदी से भी नीचे आ सकती है. उत्साह का माहौल खत्म हो गया है और उसकी जगह निराशा का माहौल है. ’
जेटली ने कहा कि संप्रग सरकार को आत्मावलोकन कर सोचना चाहिए कि क्या उसका ‘गवन्रेन्स मॉडल’ दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लायक है. जेटली ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में नीति बनाने, उनका कार्यान्वयन करने और अंतिम फैसले के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार होता है. संप्रग इस प्रशासनिक मॉडल का पालन नहीं कर रही है. उसमें नेतृत्व का और विसनीयता का संकट है. नेतृत्व का संकट इसलिए है क्योंकि दोहरे सत्ता केंद्र लोकतंत्र में काम नहीं कर सकते.’ भाजपा नेता ने कहा कि देश को चलाने की सामूहिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की है और इसके ऊपर कोई सलाहकार परिषद नहीं हो सकती जिसके फैसलों का पालन करना सरकार के मंत्रियों के लिए जरूरी है.
जेटली ने कहा कि पिछले तीन चार साल में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं जिनसे सरकार की विसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा है. राष्ट्रपति अभिभाषण पर कांग्रेस की रेणुका चौधरी द्वारा पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर जेटली ने देश में निवेश के माहौल के बारे में कहा कि न केवल विदेशी बल्कि भारतीय भी महसूस कर रहे हैं कि भारत निवेश के लायक जगह नहीं हैं. ‘अगर हमने इस धारणा को नहीं बदला तो हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई में पीछे रह जाएंगे.’ उन्होंने कहा कि बिजली और राजमार्ग क्षेत्रों में प्रगति धीमी है जबकि राजग सरकार के कार्यकाल में इन क्षेत्रों में खासी प्रगति हुई थी और 1990 के दशक में उदारीकरण की नीतियां अपनाई गई थीं.
भाजपा नेता ने कहा ‘बिजली क्षेत्र की समस्या का एक कारण कोयला खदान आवंटन में भ्रष्टाचार है.’ जेटली ने कहा कि राजग सरकार की नीतियों के कारण देश का टेली घनत्व 0.8 फीसदी से बढ़ कर 70 फीसदी हो गया था लेकिन आज यह हालत है कि कोई स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए तैयार नहीं है.
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