जिन्दगी भर मौज-मस्ती लाएँ.......... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 21 मार्च 2013

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जिन्दगी भर मौज-मस्ती लाएँ..........


फागुन का संदेश अपनाएँ !!!!


आदमी की जिन्दगी से लेकर परिवेश तक में परिवर्तनों का दौर सदैव विद्यमान रहता है। यह परिवर्तन मन के कोनों से लेकर क्षितिज तक और जमीन से लेकर व्योम तक में होता रहता है। यह परिवर्तन ही है जो सुख और दुःखों की अनुभूति कराता है और इससे व्यक्ति व परिवेश से लेकर देश-दुनिया तक में कभी आनंद का ज्वार उमड़ता दिखता है कभी विषाद की प्रदूषित नदियां बहती दिखती हैं। यह उतार-चढ़ाव न्यूनाधिक रूप से हर कहीं प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों ही रूपों में दिखता है। बदलाव चाहे अपने क्षेत्र में हो या देश-दुनिया में, इसका परिवर्तन ब्रह्माण्ड से लेकर पिण्ड तक में पूरा-पूरा प्रभाव दिखाता ही है चाहे हम चाहें या न चाहें। साल दर साल, सदियां और युग बीत जाते हैं लेकिन सभी में सर्वाधिक अव्वल बात यह है कि परिवर्तन की दृष्टि से कोई भी क्षण अछूता नहीं रहा है। इसलिए परिवर्तन सृष्टि का अवश्यंभावी नियम है, इससे न हम बच सकते हैं और न ही जीव-जगत और परिवेश।

हम स्वीकार करें या न करें मगर इन परिवर्तनों का प्रभाव सभी पर पड़ेगा ही। हम साल भर के ही परिवर्तनों को देखें तो पता चलेगा कि ऋतुओं का परिवर्तन हो या आकस्मिक परिवर्तन। सृष्टि के प्रत्येक परिवर्तन का सीधा प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क और शरीर तक और घर-परिवार या क्षेत्र पर पड़ता ही है। यह हम पर निर्भर है कि हम इन परिवर्तनों को अपने हक में कितना अधिक से अधिक स्वीकार कर पाते हैं। हर परिवर्तन को यदि हम स्वस्थ मन तथा सकारात्मक चिंतन के साथ स्वीकारना शुरू कर दें तो जमाने भर का हर परिवर्तन हमारे लिए अनुकूल समय और आनंद लाने वाला हो सकता है। हम दिन, तिथि, वार और माह किसी को भी देख लें, हर में नयापन और नया संदेश छिपा हुआ है। इन संकेतों को जो समझ लेता है वह जमाने भर के आनंद का प्रवाह अपनी ओर मोड़ लेता है और फिर उसके लिए कोई सी स्थिति दुःख या विषमता प्रदान करने वाली नहीं होती है।

उसका पूरा जीवन आनंद से इतना भर उठता है कि वह खुद तो आनंद की भावभूमि में विचरण करता ही रहता है, औरों को भी आनंद प्रदान करने का सामर्थ्य उसमें आ जाता है। ऐसा आनंद भरा व्यक्तित्व जहाँ कहीं होता है वहाँ आस-पास का पूरा माहौल उल्लास से भर उठता है, यहाँ तक कि उसके आस-पास की वनस्पति, पेड़-पौधे और चराचर सभी प्रफुल्ल हो जाते हैं और इन सभी को दिली सुकून का अविस्मरणीय अहसास होने लगता है। इस समय फागुन का माह चल रहा है। यह माह प्रकृति के आनंदोत्सव और मानवी उल्लास का पर्याय माह है जिसके मर्म को समझने की आवश्यकता है। फागुन का यह माह व्यक्ति की विषमताओं और मानसिक अवसादों पर विजयश्री का पैगाम देने वाला है। जीवन के सम-विषम रंगों भरे संसार के बीच फागुन के रंग और होली की मौज-मस्ती हर व्यक्ति के लिए जीवन का वह समय होता है जो उसे ऊर्जा प्रदान करता है और ताजगी का दिली अहसास कराता है।

यह संक्रमण काल उस रिफ्रेश बटन की तरह होता है जिसे दबाने भर से ताजातरीन परिवर्तन दिखने और अनुभवित होने लग जाते हैं। इसी पुनः ऊर्जीकरण की आवश्यकता को पूरा करता है फागुनोत्सव। सर्वत्र फागुन की लोक लहरियों का ज्वार उमड़ रहा है और फागुनी मौज-मस्ती का वार्षिक यौवन पर्व होली बस आने ही वाला है। जरूरत इस बात की है कि फागुन के इस पूरे माह प्रकृति के संगीत को सुनें और लोक लहरियों का आनंद पाते हुए मौज-मस्ती से जीवन के सारे दुःखों और विषमताओं पर विजयश्री प्राप्त करें। जीवन को फागुनी बनाने के लिए जरूरी है कि फागुन का पूरा-पूरा लाभ लें और अपने पूरे जीवन को फागुनी मौज-मस्ती का पर्याय बनाएं। इस बार यह तय कर डालियें कि फागुन के सारे रंग और रस हम अपने जीवन में भरने शुरू कर देंगे ऐसा संकल्प कर लेना ही हमारे जीवन को हमेशा ताजातरीन बनाए रखने को काफी है। वह समय आ ही गया है कि जब हमारे जीवन को फागुनी मौज-मस्ती से भर देने को जी मचल रहा है और अब वे सारी विषमताएं और दुःख-दर्द पलायन करने को विवश होने ही वाले हैं। आइये इस बार के फागुन को कुछ ख़ास बनाएं।



---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com

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