6 दिसंबर को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में हुए गैंगरेप के एक आरोपी ने सोमवार सुबह तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। राम सिंह नामक इस व्यक्ति को दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया था क्योंकि घटना की योजना इसी ने बनाई थी। गौरतलब है कि इस मामले में कुल 6 आरोपी हैं, जिसमें पवन और मुकेश सहित राम सिंह को पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया था। इस मामले में राम सिंह को ही सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था।
सोमवार की सुबह तिहाड़ जेल नंबर 3 की सेल में जेल अधिकारीयों ने उसे करेब 5 बजे बैरक की सलाखों से लटकता पाया. जहां पवन और मुकेश ने पुलिस के सामने मामले में अपनी भूमिका को मान लिया था वहीँ राम सिंह लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करता रहा था. जेल में अन्य कैदियों के मुताबिक़ उसका व्यबहार शुरू से ही बेहद असामन्य था. वह अक्सर उदास रहता था और बहुत कम बातचीत करता था.
इससे पहले 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप की शिकार हुई लड़की के पिता खुद ही दुनिया के सामने आ गए थे और उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी बताया। नाम बताते हुए उन्होंने कहा था कि दुनिया को उसका नाम जानना चाहिए, क्योंकि उनकी बेटी ने कोई गलत काम नहीं किया है। वह अपनी जान की हिफाजत करते हुए मरी है और दुनिया की दूसरी औरतों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। उन्होंने एक ब्रिटिश अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें घटना के बारे में पहली बार 16 दिसंबर की रात सवा ग्यारह बजे पता चला था। हालांकि तब भी उन्हें यह पता नहीं था कि उनकी बेटी के साथ वास्तव में क्या हुआ है। उन्होंने कहा, '16 दिसंबर को रात 10.30 बजे मैं काम से लौटा था। मेरी पत्नी बटी को लेकर चिंतित थी, क्योंकि वह घर नहीं लौटी थी। हमने बेटी और उसके दोस्त के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। रात 11.15 बजे अस्पताल से फोन आया कि मेरी बेटी के साथ कोई हादसा हो गया है।' इसके बाद वह अपने किसी दोस्त को लेकर मोटरसाइकिल से अस्पताल गए। उन्होंने कहा, 'वहां वह बिस्तर पर पड़ी थी। उसकी आंखें बंद थीं। मैंने उसके माथे पर हाथ फेरा और उसका नाम लेकर पुकारा। उसने आंखें खोलीं और रोना शुरू कर दिया। मैंने अपने आंसुओं पर काबू किया और उसे दिलासा देते हुए कहा कि सब ठीक हो जाएगा।' तब तक उन्हें असलियत मालूम नहीं थी। बाद में पुलिस ने असलियत बताई। इसके बाद उन्होंने पत्नी और बेटों को भी अस्पताल बुलाया, लेकिन वह उन्हें गैंगरेप की बात नहीं बता पाए।
दूसरी ओर दिल्ली गैंगरेप के दो आरोपी सरकारी गवाह बनना चाहते हैं। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ज्योति क्लेर के सामने पेशी के दौरान दो आरोपी पवन गुप्ता और विनय गुप्ता ने सरकारी वकील की मदद लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस मामले में सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई। वहीं अन्य आरोपी राम सिंह और मुकेश ने कोर्ट में पेशी के दौरान अपने बचाव के लिए सरकारी वकील की मदद मांगी। हालांकि सरकारी गवाह बनने से इस जघन्य अपराध के इन आरोपियों को शायद ही कोई राहत मिल पाए।
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