राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को भारत रत्न सितारवादक पंडित रविशंकर को मरणोपरांत पहला 'सांस्कृतिक सौहाद्र् टैगोर सम्मान' प्रदान करते हुए सम्मान समारोह में कहा, 'इस सम्मान के जरिए हम स्वर्गीय पंडित रविशंकर को सांस्कृतिक सद्भाव फैलाने के उनके योगदान को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं.' महान सितारवादक रविशंकर के योगदान को याद करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनकी परम्परा आज भी जीवित है तथा संगीत की दुनिया को रोशन करने के लिए हमेशा जीवंत रहेगी.
राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान गुरुवार को पंडित रविशंकर की पत्नी सुकन्या शंकर को प्रदान किया. सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे. सम्मान समारोह में उपस्थित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि स्वर्गीय रविशंकर की सितार के जरिए भारतीय शास्त्रीय संगीत ने दुनिया के कोने-कोने में अपनी उपस्थिति दर्ज की. प्रधानमंत्री ने कहा, 'पंडित रविशंकर का 'फेस्टिवल ऑफ इंडिया' तथा 'कॉन्सर्ट फार बांग्लादेश' शीर्षक वाले दोनों संगीत अलबमों ने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को सम्मोहित किया.' प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'पंडित रविशंकर जी सिर्फ महान सितार वादक ही नहीं थे, वे भारत के बेमिसाल सांस्कृतिक राजदूत भी थे. उन्होंने ईस्ट मीट्स वेस्ट को संगीत के मायनों में साकार किया.'
इस सम्मान के अंतगर्त स्वर्गीय भारत रत्न पंडित रविशंकर की पत्नी को 1 करोड़ रुपये का चेक प्रदान किया गया। यह सम्मान रबीन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रारंभ किया गया है. यह सम्मान सांस्कृतिक सद्भाव के लिए प्रदान किया जाता है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी चयन समिति ने प्रथम प्राप्तकर्ता के रूप में इस सम्मान के लिए दिसम्बर 2012 में स्वर्ग सिधार चुके महान सितार वादक भारत रत्न पंडित रविशंकर के नाम का चयन किया था.
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