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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

कलेक्टर नहीं कर सकते जाति सत्यापन : कोर्ट


छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा है कि जाति के सत्यापन के लिए कलेक्टर सक्षम अधिकारी नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हर राज्य में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति बनाई गई है। जाति सत्यापन कर प्रमाण पत्र जारी करने का काम समिति ही कर सकती है। उच्च न्यायालय ने समिति के फैसला लेने तक विभागीय जांच पर रोक लगा दी है। कलेक्टर के प्रतिवेदन पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। 

दंतेवाड़ा जिले के तहत एनएमडीसी में कार्यरत परदेशी राम नाग, नरसिंह बालक, वीरनाथ नाग और नरसिंह नाग के खिलाफ किसी ने शिकायत की कि ये लोग हलबा अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं, जबकि राजस्व रिकार्ड में इनकी जाति तेलंगा दर्ज है। शिकायत के बाद एनएमडीसी ने कलेक्टर से जांच का आग्रह किया था। कलेक्टर ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, इसमें राजस्व रिकार्ड में तेलंगा दर्ज होने की जानकारी दी गई। प्रतिवेदन के आधार पर एनएमडीसी ने कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की। 

इस पर उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि वे छतीसगढ़-आंध्र प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र के निवासी हैं और नकहा-हलबा जनजाति के हैं। पटवारी ने गलती से बंदोबस्ती रिकार्ड में तेलंगा लिख दिया है। इस नाम की कोई जाति नहीं होती। याचिका में डा. कृष्णमूर्ति झा की रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद कहा कि जाति के सत्यापन के लिए कलेक्टर सक्षम अधिकारी नहीं होता। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्यों में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति बनाई गई है। समिति ही जांच कर जाति प्रमाण पत्र जारी कर सकती है। उच्च न्यायालय ने कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर जाति छानबीन समिति को प्रकरण सौंपने और समिति को चार माह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। निर्णय तक याचिकाकर्तार्ओं के खिलाफ विभागीय जांच पर रोक लगा दी गई है।

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