लोकसभा में बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विपक्ष की नेता राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज के बीच बातचीत शेर-ओ-शायरी के साथ हुई. बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने ये तक कह डाला कि बुझते दिए की फड़फड़ाती लौ जैसे ना हो प्रधानमंत्री का ऐसा तेवर.
राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने नौ साल में मनमोहन सिंह को इतने आक्रामक तेवर अपनाते नहीं देखा. साथ ही कटाक्ष किया कि वह इसे अच्छा संकेत मानते हैं क्योंकि ये वैसा ही है, जैसे बुझने से पहले दिये की लौ तेज हो जाती है.
मनमोहन सिंह ने अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान बीजेपी की आलोचनाओं के जवाब में गालिब का शेर पढ़ा, ‘हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.’ इस पर बाद में सुषमा ने कहा कि शेर का जवाब शेर से दिया जाता है. उधार नहीं रखना चाहिए और ‘मैं दो शेरों से प्रधानमंत्री की बात का जवाब देती हूं.’ अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि ऐसे में तो फिर उधारी रह जाएगी. उनकी इस बात पर पूरा सदन हंस पडा.
सुषमा ने कहा कि 'कुछ तो मजबूरियां रही होगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.’ उन्होंने एक और शेर पढा, 'तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं. जिन्दगी और मौत दो ही तो तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं एक हमें याद नहीं.’
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