कांग्रेस में वर्चस्व को लेकर जंग जारी
देहरादून, 7 अप्रैल,। निकाय व निगम चुनाव में कांग्रेस की पकड़ ढ़ीली पड़ती जा रही है, जिसका करण है कांग्रेस में वर्चस्व को लेकर जारी जंग, जंग का कारण है कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज। प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत के बीच चुनावी दौर में उपजा वाक युद्ध सिर्फ असलियत से परे और तालमेल की कमी का नतीजा है। कांग्रेस में वर्चस्व की जंग के चलते गुटबाजियों का परिणाम उसको चुनाव में मिलता है। वर्तमान में सूबाई कांग्रेस दिग्गजियों की नादानी में उपजी सियासी जंग ने एक बार फिर इसी मुकाम पर खड़ी नजर आ रही है। वजह है केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत और सूबाई मुखिया के बीच उपजी सियासी रार। दरअसल केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत ने सूबाई सरकार पर केन्द्रीय योजनाओं के लिए हरिद्वार में जमीन उपलब्ध न किये जाने का आरोप लगाया है, लेकिन वह इस असलियत ने नावाकिफ रहे कि सूबाई सरकार इन केन्द्रीय योजनाओं के लिए जमीन तलाश चुकी है, और योजनाओं में हो रहे विलंब के लिए सूबाई सरकार नहीं बल्कि केन्द्र की सत्तारूढ़ कांग्रेस नीत संप्रग सरकार जिम्मेदार है। ऐन निकाय चुनाव से पहले हरीश रावत ने प्रदेश सरकार को टारगेट बना डाला। मामला सुर्खियों में आने पर जब मुख्यमंत्री ने पलटवार किया तो मामले की असलियत खुली। लेकिन दोनों दिग्गजियों की रार मे जो मुख्य तथ्य खुलकर सामने आया वह यह है कि न तो केन्द्रीय मंत्री को योजनाओं के बाबत राज्य सरकार के क्रियाकल्पाओं की जानकारी थी और न ही सूबाई मुखिया को केन्द्रीय मंत्री का पत्र आने की।
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
देहरादून, 7 अप्रैल, । रविवार को पर्यावरण एंव सामाजिक सुधार समिति के तत्वाधान में गांधी रोड़ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने वर्तमान दौर की स्वास्थ्य समस्याओं और उनके ईलाज के संसाधनों पर जोर देते हुए कहा कि देश में करोड़ों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं लोगों को आजादी के छह दशक बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। हमें असली आजादी तभी मिलेगी जब देश का प्रत्येक नागरिक स्वस्थ हो वक्ताओं ने उपस्थित लोगों को नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने की सलाह भी दी। इस अवसर पर गोष्ठी में सचिन गोदियाल, प्रदीप कुकरेती, नवनीत गुंसाई, संदीप घिडिलयाल आदि उपस्थित थे।
पाॅलिथिन का प्रयोग प्रतिबंध के बावजूद भी जारी
देहरादून, 7 अप्रैल, । राजधानी दून में पाॅलिथिन का पर्यावरण की सुरक्षा के लिए तमाम जागरूकता अभियानों और नियम कानूनों के बावजूद भी प्रयोग नहीं रूक पा रहा है। प्रशासन ने इस मामले में अभी बीते समय में छापामार अभियान चलाया था और दुकानदारों तथा ग्राहकों तक के चालन काटे थे लेकिन इसके बावजूद भ पाॅलिथिन के प्रयोग को रोक पाना संभव नहीं हुआ है राजधानी के छोटे दुकानदारों से लेकर रेहड़ी-ठेली वाले भी पाॅलिथिन के प्रयोग में किसी तरह की सर्तकता नहीं बरत रहे है सब्जी विक्रेताओं से लेकर नगर क्षेत्र की तमाम डेरियों पर पाॅलिथिन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। यह पाॅलिथिन के बैग व थैलियां कहां से देहरादून पंहुच रहे है और इन्हें किस तरह रोका जाए इस पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। प्रतिबंध की यह कवायद सिपर्फ दुकानदार और ग्राहकों के चालन काटने तक ही सीमित है। कानूनों के जरिए सुधार संभव नहीं है प्रशासन जब तक पाॅलिथिन का उपयोग करने वालों के खिलापफ कठोर कार्रवाई नहीं करेगा तब तक पाॅलिथिन का प्रयोग रोक पाना संभव नहीं है। चाहे उसके लिए कितने ही अभियान चलाए जाए।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का आंदोलन जारी
- कहा, 52 हजार कर्मचारी दोहरी नीति को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे
देहरादून, 7 अप्रैल, । अपनी मांगों के निदान के लिए प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को जारी रखते हुए जन विरोधी नीतियों को लेकर अनिश्चितकालीन हडताल को जारी रखते हुए प्रदर्शन किया और धरने पर बैठे रहे इस दौरान कर्मचारियों की सरकार से वार्ता विफल होने के बाद एक बार फिर से गरजते हुए कहा कि अब आर-पार की लडाई लडी जायेगी। शनिवार को यहां पुराने रायपुर बस अडडे के पास अपनी मांगों के निदान के लिए धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वार्ता में आमंत्रित किया गया लेकिन वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला है और इससे कर्मचारियों में रोष बना हुआ है, उनका कहना है कि प्रदेश में 52 हजार चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी दोहरी नीति को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे और अन्य वर्ग की तरह यूपी के समान ग्रेड वेतन का लाभ कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इस प्रदेश में चाहे आचार संहिता लागू हो किन्तु अब यह कर्मचारी सरकार व शासन में बैठे अधिकारियों के समझौते पर विश्वास न करने के लिए विवश हो रहा है, प्रदेश का यह वर्ग बिना शासनादेश शासन द्वारा हडताल से वापस न जाने के निर्णय पर अपना मन बना चुका है। उनका कहना है कि इसी क्रम को जारी रखते हुए आज कर्मचारी अपनी मांगों के लिए संघर्षरत है। वक्ताओं ने कहा कि वह उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है और अब सरकार के खिलाफ आर पार की लडाई लडी जायेगी। उनका कहना है कि सरकार के खिलाफ अब आर-पार की लडाई लडी जायेगी और इसके लिए रणनीति तैयार की जायेगी। उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जो चिंता का विषय है। वक्ताओं ने कहा कि समस्याओं का समाधन नहीं किया गया तो अनिश्चितकालीन हडताल को यथावत रखा जायेगा और इसके लिए कर्मचारियों ने कमर कस ली है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है जिससे कर्मचारी आंदोलन करने के लिए विवश है, अब सरकार की नीतियों के खिलाफ आर पार की लडाई लडी जायेगी। वक्ताओं का कहना है लगातार उनका उत्पीडन आश्वासन दिये जाने के बाद भी आज तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। वक्ताओं ने कहा कि पिछले काफी समय से सरकार से अपनी मांगों के निदान के लिए आंदोलनरत है और कई बार वार्ता हुई और आश्वासन दिये गये लेकिन आज तक उन पर कार्यवाही नहीं की गई है। वक्ताओं ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एक जनवरी 2006 से अन्य वर्गों की भांति 5200-1800-20200 वेतनमान का वास्तविक लाभ एवं एसीपी का लाभ अन्य वर्गों की भांति एक सितम्बर 2008 से दिया जाना चाहिए। धरने व प्रदर्शन में महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह नेगी, के के शुक्ला, सुरेन्द्र सिंह भंडारी, राकेश मिश्रा, लाल सिंह, संतोष कुमार, रूपेश कुमार, विजय सिंह रावत, कृपाल सिंह, रणवीर सिंह, आनंद सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह नेगी, बनवारी सिंह रावत, मालती बिष्ट, राजेन्द्र थापा, सुभाष काम्बोज, रणबीर सिंह, विजय रावत, राजपाल सिंह, मनवर सिंह नेगी, गोविन्द बल्लभ, भूपेन्द्र सिंह रावत, पूरन सिंह, आलोक शर्मा आदि शामिल थे।
सरकार की अनदेखी है बिन्हार के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार
देहरादून, 7 अप्रैल, । देहरादून जनपद का बिन्हार क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से सरकार की अनदेखी के चलते वंचित है। बिन्हार क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन कर रहे हैं जिस कारण बिन्हार के गांव उजड़ते जा रहे हैं। ओबीसी का दर्जा तो सरकार ने बिन्हारी समाज को दिया लेकिन मूलभूत सुविधाओं के विकास की ओर ध्यांन नहीं दिया। अभी तक एक स्वास्थ्य उपकेंद्र तक बिन्हार क्षेत्र में नहीं है। लोगों को छोटी सी बीमारी के इलाज के लिए भी विकासनगर, सहसपुर या देहरादून जाना पड़ता है, जिस कारण लोगों को आर्थिक नुकसान उषना पड़ता है। बिन्हार एक अत्यंत पिछड़ा इलाका है। यह लगभग 60 किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। बिन्हार क्षेत्र अंतर्गत बावनधार, मदर्सू, भलेर, पष्टा, पपडियान, मटोगी, कोल, हथियारी, स्वाण, समेट, नया खील, किनार खील, अंगरी गांव, निमरोड़ा, जाखन, कांडोई, भदोगी, मोलावाला, पिपलसार, नटीखेत, निमाइला, क्यारी, देवीथला, जाड़ी समेत ढाई दर्जन से अधिक गांव आते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर इस पूरे क्षेत्र में कोई व्यवस्था नहीं है। बिन्हार क्षेत्र की आबादी आष् हजार के करीब है। स्वास्थ्य सुविधा न होने से लोगों को इलाज के लिए सीएचसी विकासनगर, सीएचसी सहसपुर या फिर देहरादून जाना पड़ता है। दुर्घटना या गंभीर बीमारी की स्थिति में समय पर उपचार न मिलने पर कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। अस्पताल दूर होने के कारण मरीजों को आने-जाने में काफी समय लग जाता है जिस कारण समय की बर्बादी तो होती ही है साथ ही आर्थिक नुकसान भी उषना पड़ता है। क्षेत्र के कई गांव अभी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं जिस कारण लोगों को कई किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। सामान पीष् पर या खच्चरों में ढोना पड़ता है। इन गांवों में सिंचाई साधनों का अभाव बना हुआ है, खेती पूर्ण रूप से इंददेव की कृपा पर निर्भर है। पेयजल योजनाओं के अभाव में लोगों पाकृतिक जलस्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, गर्मियों में पाकृतिक जल स्रोतों के सूखने पर लोगों के सामना समस्या पैदा हो जाती है। पाथमिक और जूनियर विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। क्षेत्र में हाईस्कूल अब खुल सका, इसमें बच्चों जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जा रहा है। इंटर कालेज पूरे क्षेत्र में अभी कहीं नहीं है। बिन्हार विकास संगष्न के अध्यक्ष दौलत सिंह पुंडीर, एनएस तोमर, युवराज पुंडीर, कुलदीप तोमर, नागेंद्र सिंह, ऋषिपाल का कहना है कि बिन्हार क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए। क्षेत्र की जनता लगातार उपस्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग कर रही है लेकिन सरकार ने इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया। जनप्रतिनिधि भी इस ओर उदासीन बने हुए हैं।
छुटभैया नेता चुनाव देख बिलों से बाहर निकले
देहरादून, 7 अप्रैल, । छुटभेय्या नेताओं ने नगर निगम के चुनाव को देख बिलों से बाहर निकलना शुरू कर दिया है। टिकट के दावेदार जो कभी अपने क्षेत्रों में भी इक्का दुक्का मौकों पर ही नजर आते थे। इन दिनों संभावित पत्याशियों ने तो मॉर्निंग वॉक शुरू कर दी है। लोगों के घर जाकर वे अब सुबह-सुबह समर्थन देने की अपील करते देखे जा रहे है। लोकतंत्र के इस संमदर में गोते लगाने को दावेदार किस कदर मचल रहे इससे साफ अन्दाजा लगाया जा सकता है। राजनीतिक दलों ने टिकट के पत्ते अभी भले ही न खोंले हो लेकिन कई दावेदार अपना टिकट पक्का मानकार चल रहे हैं। यही कारण है कि इन दिनों सुबह-सुबह ही इन दावेदारों ने घर-घर लोगों से मिलना जुलना शुरू कर दिया है। वे अपने लिए वोट जुटाने के पयास में अब लोगों की दुख तकलीफ को भी अपना मानने से पीछे नही हट रहे है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कई वर्षो से यह दावेदार अपने घरों से कभी बाहर ही नही निकले। अब जबकि चुनावी बेला सामने है तो उन्हे चुनाव लड़ने का जुनून सवार है। कुछ ऐसे पार्षद भी है जिनका वार्ड महिला आरक्षित हो चुका है तो उन्होंने बधाई संदेशो में अपनी पत्नियों के पोस्टर चिपकाकर उनकी दावेदारी को पुख्ता करने के पयास शुरू कर दिए है। जबकि पार्षद पत्नियां पहले कभी कहीं नजर नही आई। पार्षद पति भी इन दिनों खासे उत्साहित है। क्योंकि अब उनका वार्ड सामान्य हो चुका है तो उन्होंने अपनी दावेदारी मजबूत करनी शुरू कर दी है। पार्षद पति लंबे समय से इस जुगत में लगे हुए थे कि किसी तरह उनकी सीट सामान्य हो जाए। इस बार उनकी मैहनत आखिरकार रंग ला ही गई। किन्तु उन्हे अपने विरोधियों की खासी चिंता है। कुछ वार्डो पर समीकरण गड़बड़ाने के कारण इस बार उनका चुनाव में जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
सरकार की अग्नि परीक्षा लोक सभा के सेमीफाइनल में होगी
देहरादून, 7 अप्रैल, । इस बार अग्निपरिक्षा से निकाय चुनाव प्रदेश की सत्तारूढ बहुगुणा सरकार के लिए कम नही होगे। क्योंकि लोकसभा चुनाव का इस चुनाव को सेमीफाईनल माना जा रहा है। कांग्रेस ने यदि इस चुनाव में जीत हासिल कर ली तो आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए उसके पास दुगना उत्साह होगा। दूसरे इस चुनाव से यह भी साफ होगा कि सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में जनता के बीच उनकी कैसी छवि बनी है। इस निकाय चुनाव का परिणाम राज्य सरकार और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दोनों के हे भविष्य को तय करेगा। हालांकि सरकार ने एक साल मे ंकी गई उपलब्धियों का पचार पसार में कोई कोर कसर उषकर नहीं रखी है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि धरातल पर सरकार ने कोई विकास कार्य नही किए। राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल की परिक्षा की धड़ी आ गई है। इस एक वर्ष में जनता के बीच सरकार की कैसी छवि बनी है, यह चुनाव उसका आईना होंगे। जनता को निकाय चुनावा के जरिए अपनी अभिव्यक्ति और अपनी पतिािढया देने का मौका मिला है। सरकार ने इन चुनावों को थोड़े दिन टालने का पयास किया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सके। आरक्षण और परिसीमन के जरिए भी सरकार ने इस चुनाव में अपना पक्ष मजबूत करने में कोई कोर कसर उषकर नहीं रखी है। लेकिन सरकार अपनी ही संभावी हार की आंशका से नहीं उभर सकी है। अदालत का आदेश है इसलिए इस चुनाव में जाना उसकी मजबूरी है कांग्रेस सत्ता में है इसलिए उसने चुनाव में अपनी पूरी ताकत भी झोंकनी है।
(राजेन्द्र जोशी)
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