राजनीतिक प्रतिद्वन्दता के चलते चरित्र हनन की राजनीति का खेल!
देहरादून, 13 अप्रैल । उत्तराखंड की राजनीति में फिल्मी सितारों की गोशिप की तरह बेसिर-पैर की खबरें आए दिन उड़ती रहती हैं। जिस बिन ब्याही के मां बनने की खबर राजनीति के गलियारों में सुर्खिया बनकर सुनाई दे रही थी, वहीं युवती तीन दिन पहले एक विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि लेकर लौटी और वर्तमान में एक भजन एलबम के गीत रिकार्ड करने में व्यस्त है। इसे उत्तराखंड की राजनीति का पतन ही कहा जाएगा कि राजनैतिक प्रतिद्वन्दी को ठिकाने लगाने के लिए चरित्र हनन की राजनीति का खेल यहां खेला जा रहा है और खबरनवीश ऐसे राजनीतिक लोगों के हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं।
गौरतलब हो कि बीते तीन-चार दिनों से सत्ता की गलियारों से लेकर राजनीति के शीर्ष तक और तमाम अखबारों की सुर्खिया बने कांग्रेसी नेता और एक युवती को लेकर जितने मुंह उतनी बातें चटकारों के साथ सुनी जा रही थी। लेकिन जब इसकी तह की तलाश की गई तो मामला कुछ भी नहीं था। जिस पंजाबी लोकगायिका की बात की जा रही है वह तो राजधानी क्षेत्र के चक्खुमौहले में अपने परिवार के साथ रहती है। लेकिन सुर्खियां बनी युवती सहस्त्रधारा रोड़ पर एक अपार्टमेंट में रहती है। महिलाओं के लिए बने कानून में भले ही निजता की बात कह कर महिला अथवा युवती की पहचान सार्वजनिक न करने की हिदायत भारतीय संविधान में है। लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वन्दता के चलते इस कानून के भी उपहास उड़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं राजनीति के पायदान चढ़ते नेता का भी चरित्र हनन किया जा रहा है। यह सब राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वता नहीं तो और क्या है।
इससे इस पर्वतीय राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि 12 वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके इस बाल्य राज्य में बीते सालों में इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं। प्रदेश में चाहे भाजपा की सरकार रही हो अथवा कांग्रेस की दोनों ही सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड की सियासत में कई सेक्स स्केन्डल सामने आए हैं। इनमें कई तो अखबारों की सुर्खिया बनकर पुराने अखबारों की रद्दियां बन चुके हैं लेकिन समय चक्र में इन्हें याद किया जाता रहा है। ये सभी सुर्खियां बन चुके सेक्स स्केन्डल राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों से बदला लेने के लिए तैयार किए गए। कुल मिलाकर प्रदेश की राजनीति के लिए इस तरह के कृत्य ठीक नहीं कहे जा सकते। इससे जहां राज्य बदनाम होता है वहीं कहीं न कहीं इस तरह के षड़यंत्र से राजनैतिक लोगों की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आती है।
आईआईएम, काशीपुर के देहरादून कैम्पस के लिए भूमि चिन्हित।
- काशीपुर में आडिटॉरियम व हॉस्टल के लिए भवन निर्माण पर सहमति
देहरादून, 13 अप्रैल । भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के देहरादून कैम्पस के लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है। काशीपुर में आईआईएम में आडिटॉरियम व हॉस्टल के लिए भवन निर्माण पर भी सहमति दी गई। शनिवार को आईआईएम, काशीपुर के अधिकारियों की टीम ने सचिवालय में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से भेंट कर संस्थान के सुदृढ़ीकरण पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उŸाराखण्ड में उच्च व तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। राज्य सरकार की औद्योगिक नीति व उद्यमियों को एकल खिड़की सुविधा उपलब्ध करवाने से आने वाले समय में बड़ी मात्रा में औद्योगिक निवेश होना है। स्थापित होने वाले उद्योगों से युवा तभी लाभान्वित हो सकते हैं जबकि उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष किया जाए। राज्य में प्रतिष्ठित तकनीकी व प्रबंधन संस्थानों की स्थापना व विकास के लिए सरकार तत्पर है।
मुख्यमंत्री ने आईआईएम, काशीपुर की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष रूप से नौकरीपेशा लोगों के लिए एक्जीक्यूटीव एमबीए की सुविधा के लिए देहरादून में आईआईएम काशीपुर का कैम्पस स्थापित किए जाने का निर्णय पूर्व में लिया जा चुका है। इसके लिए भूमि भी चिन्हित कर ली गई है। प्रमुख सचिव ऊर्जा को आईआईएम काशीपुर के लिए बिजली फीडर उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि दिल्ली-मुरादाबाद-रामनगर-काशीपुर के लिए जनशताब्दी प्रारम्भ करने के लिए रेल मंत्री को पत्र लिखेंगे। काशीपुर में विगत में बाढ़ के बाद बनाए गए बांध के निरीक्षण के भी निर्देश अधिकारियों को दिए गए। बताया गया कि काशीपुर आईआईएम के लिए काशीपुर में 30 एकड़ भूमि राजस्व से तकनीकी शिक्षा विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है। चेयरमैन धु्रव एम साहनी ने काशीपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए किए जा रहे कार्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्थान को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का विशेष सहयोग मिला है। बैठक में प्रमुख सचिव राकेश शर्मा, एसएस संधु, सचिव भास्करानंद, आईआईएम काशीपुर के निदेशक प्रो. गौतम सिंहा, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य सुबोध भार्गव, ओएसडी एसके वर्मा उपस्थित थे।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त
देहरादून, 13 अप्रैल (राजेन्द्र जोशी)। सचिवालय में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मुलाकात के बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के प्रतिनिधिमण्डल ने राज्य हित में हडताल समाप्त किये जाने पर सहमति व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि बीते कई दिनों से राज्य के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हड़ताल पर थे। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद शनिवार को कर्मचारियों ने हड़ताल वापस लेने पर सहमति जताई जबकि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया।
धामावाला मुसाफिरखाने पर बढ़ रहे हैं लगातार नाजायज कब्जे
देहरादून,13 अप्रैल (राजेन्द्र जोशी)। राजधानी देहरादून में सरकारी जमीन तो अतिक्रमण की चपेट में आए दिन आ रही है वहीं नगर निगम की जमीन पर भी भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है लेकिन अब मस्जिद भी इससे अछूते नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी दून की जामा मस्जिद धामावाला व इससे सटे मुसाफिर खाने (धर्मशाला) है, जो मुस्लिम वक्फ बोर्ड को दान में दी गई थी अब वह करोड़ों की जायदाद बन चुकी है, दान में दी गई इस जमीन व भवनों पर भूमाफियांओं द्वारा अवैध रूप से कब्जे किए जा रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार वक्फ बोर्ड की इन संम्पत्तियों पर वक्फ बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जे किए जाने का प्रयास लगातार जारी है। जिसकी कई सूचनाएं जिला प्रशासन और पुलिस दी जा चुकी है लेकिन बावजूद इसके वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों को खुर्द-बुर्द भी किए जाने का प्रयास जारी है।
गौरतलब हो कि धामावाला क्षेत्र में 12 कमरों व बड़े हॉफ वाले मुसाफिर खाने (धर्मशाला) जो कि बिल्कुल मुख्य बाजार में स्थित है जिसमें मुस्लिम मुसाफिरों के लिए निशुल्क ठहरने की व्यवस्था है, लेकिन एक जानकारी के अनुसार कमेटी के सदस्यों द्वारा यहां पर मुसाफिरों से मनमाने पैसे वसूल किए जाते हैं। यहां रूकने वाले लोगों का कहना है कि मुसाफिर खाने में व्यवस्थाएं चौपट हैं तो साफ-सफाई का भी कोई विशेष प्रबंध नहीं है और तमाम लोगों का नाजायज उस पर कब्जा बढ़ता जा रहा है। वहीं क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अगर इन पुरानी बेशकीमती ईमारतों को गिराकर इसकी जगह पर मार्केट या मॉल बना दिया जाए तो, इससे जहां मस्जिद को लाखों रूपये की आमदनी होगी, वहीं मुसाफिर खाने को भी फायदा पहुंचेगा। मगर वर्तमान कमेटी की इस तरफ कोई रूची नहीं है, इस कमेटी में कुछ राजनैतिक लोग घुसकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगे हैं, ये लोग वक्फ की जायदाद से अपना निजी स्वार्थ साध रहे हैं और इसका नाजायज इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं इस प्रोपर्टी पर कानूनन या शहरी कानून के मुताबिक किसी का हक नहीं बनता है। यहां यह बात भी देखने में आई है कि जो लोग वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति में किराएदार हैं उनको भी कार्यकारिणी में रखा गया है। वहीं अगर किसी के बाप या दादा ने ये जगह मस्जिद को दान कर दी, तो अब उनके परिवार में किसी का भी उस जमीन पर कोई अधिकार नहीं रहता है, लेकिन ऐसे लोग भी वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर अपना अधिकार जमाने हुए उसके खुर्द-बुर्द में लगे हैं। वहीं स्थानीय बुजुर्गाें का कहना है कि हकीकत में वक्फ र्बो की प्रोपर्टी की पूरी जिम्मेदारी जनता की बनती है। कोई भी नागरिक इससे बरी नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए कि इसकी तमाम जायदाद को नाजायज लोगों के कब्जे के हाथों से वापस लेकर एक नई कमेटी गठित कर इसकी जिम्मेदारी उस कमेटी को सौंपी जाए ताकि वह मस्जिद व मुसाफिर खाने की प्रोपर्टी की हिफाजत पूरी ईमानदारी से कर सके।
चुनौतियांः कुछ से बखूबी निपटे, कुछ अभी तक....
देहरादून,13 अप्रैल । दून पुलिस चुनौतियों से निपटना बखूबी जानती है, लेकिन ऐसा भी नहीं कि हर चुनौती से पार पा लिया गया हो। मार्च माह की बात करें तो शुरूआत से ही पुलिस के सामने बदमाशांे ने खूब चुनौतियां पेश की हैं। हत्या, लूट, आदि के मामलों को तो पुलिस ने बड़ी जल्दी मुकाम तक पहुंचा दिया। लेकिन कुछ ऐसे मामले भी बने हुए हैं जिन पर कि कोशिशांे पर कोशिशों के बाद भी सुलझने का नाम नहीं ले रही। इन दिनों दून पुलिस के सामने होटल मालिक गुरूचरण अरोड़ा के बेटे राजा अरोड़ा के अपहरणकर्ताआंे को पकड़ने की सबसे बड़ी चुनौती है और जिस अंदाज में काम किया जा रहा, उससे तय है कि अगले कुछ दिनों में बदमाशों की गिरफ्रतारी हो जाए। मार्च माह की बात करें तो चुनौतियां कम नहीं रहीं।
1- 31 जनवरी को हुई रायपुर की डकैती न सुलझ सकी
31 जनवरी की दोपहर रायपुर के खुदानेवाला में प्रापर्टी डीलर जेके सरीन के घर पड़ी डकैती अब तक दून पुलिस के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। शुरूआत मंे ताबड़तोड़ दबिश देने के बाद भी कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकी। हालांकि अब भी पुलिस के लिए यह मामला किसी चुनौती से कम नहीं। लेकिन नए मामलांे की जांच को जुटी पुलिस लगता है कि सरीन के मकान में हुई डकैती को बिसरा चुकी है।
2- मीरा देवी हत्या से पर्दा हटना बाकि
4 मार्च को मसूरी क्षेत्र में मकान में चौकीदारी करने वाले दंपत्ति पर जानलेवा हमला बोला गया। पति राम सिंह व पत्नी मीरा देवी को अधमरा कर बदमाश भाग निकले। बाद में मीरा देवी की मौत हो गई। तमाम पहलुओं पर जांच की जा चुकी है। लेकिन अपराधियों तक पहुंचने का कोई सिरा पुलिस के हाथ नहीं लग सका। लगता है कि मीरा देवी हत्याकाण्ड पर उसी तरह पर्दा पड़ा रहेगा, जिस तरह बीते साल आईटीबीपी केंपस में केंटीन चलाने वाली पुष्पा देवी की हत्या पर पड़ा हुआ है।
3- 17 मार्च को नशा कारोबारियों में गैंगवार ने छुड़ाए पसीने
राजधानी के युवाओं मंे नशा घर कर चुका है। इसके लिए गैंगवार की शुरूआत तक की जा चुकी है। 17 मार्च को जोगीवाला क्षेत्र में नशा कारोबारियों के एक गुट ने दूसरे गुट के कारोबारियों पर धारदार हथियार से हमला बोल नगदी व स्मैक लूट की थी। सौरभ को जान देकर इस धंधे में हाथ आजमाने की कीमत चुनानी पड़ी। हालांकि जोगीवाला पुलिस ने बड़ी जल्दी आरोपियों को गिरफ्रतार कर सलाखों के पीछे भेज दिया।
4- छह मार्च को हुई थी हृदय विदारक घटना
छह मार्च को मोहमपुर रेलवे पफाटक के समीप हृदय विदारक हादसा घटित हुआ था। सहारनपुर के प्रेमी युगल ने रेल से कटकर आत्महत्या कर ली थी। प्रदेश गठन के बाद से ही दून की शांत फिजाओं को मानो ग्रहण सा लगा हुआ है। रेल से कटकर मौतों के मामले यदा-कदा सामने आते ही रहते हैं। जिन परिजनों को उनके परिवार वाले सहारनपुर के रेल पटरियों पर खोज रहे थे, वे मौत को गले लगाने के लिए एक रात पहले ही दून पहुंच चुके थे। और आखिरकार पुलिस चौकी जोगीवाला द्वारा परिजनों को जो सूचना दी गई, वह प्रेमी युगल के परिवार का दिल दहला गई।
5- सर्राफ लूट प्रकरण से भी जुझी पुलिस
अपराधों से जुझ रही द्रोण नगरी में बाहरी बदमाशों का किस तरह साया बना हुआ है, 13 मार्च की दिन दहाड़े प्रेमनगर के सर्राफा के यहां हुई लूट की घटना में झलका। सर्राफा गोपाल के यहां पहुंचे दो बदमाशों ने बीस ग्राम सोना लूट लिया। हालांकि प्रेमनगर चौकी प्रभारी विकास रावत के नेतृत्व में पुलिस ने मास्टरमाइंड शाकिर, परवेज व दो अन्य को दौड़धूप के बाद गिरफ्रतार कर दर्शा दिया कि दून पुलिस किसी भी चुनौती से निपटने की क्षमता रखती है।
6- अशद की हत्या ने दहला दिया दिल
22 मार्च को रायपुर के शिवपुरी कालोनी में आठ वर्षीय बालक के अपहरण से सनसनी मच गई। रायपुर थाना प्रभारी शंकर सिंह बिष्ट के नेतृत्व में दून की रायपुर पुलिस ने तमाम सुरागकसी के बाद रिश्ते के चाचा ताजिम को गिरफ्रतार किया तो ‘खून के रिश्तों’ में दाग लगने का पता चला। ताजिम ने अशद को गंगनहर में डूबोकर मार देना कबूल किया। हालांकि बाद में अशद की हत्या करने से मुकरते हुए ताजिम ने अशद के अभी जिंदा होने की संभावना कायम रखी हुई है।
7- 30 मार्च को वीआईपी सुरक्षा में संेध लगी
मार्च माह जाने को ही था कि एक पार्टी के समर्थकों ने उत्तराखण्ड पुलिस की अति संवेदनशील सुरक्षा बंदोबस्तों को धता बता दिया। छात्रनेता से मारपीट के बाद कार सवार होकर बसपा समर्थक पूर्व मुख्यमंत्री निशंक के आवास में हथियार लहराते हुए घुस गए। हद तो तब हुई जबकि पुलिस ने असली बदमाशों की जगह उनके गुर्गों को हिरासत में लेकर मामले का पटाक्षेप करना बताया। मोनी द्वारा असली गुनाहगारों का नाम दिए जाने के बाद भी अभी तक दून पुलिस उन्हें गिरफ्रतार करने पर अगर-मगर कर रही है।
रजनी की दावेदारी ने बिगाड़ी कांग्रेस-भाजपा का गणित!
देहरादून,13 अप्रैल । निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे में हाईकमान के फरमान की झलक साफ दिखी। जबकि फरमान के पहले तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि टिकट उनके चहेतों को ही मिलेगा। पिछले दिनों राहुल दून आए और एक साल के कार्यकाल को लेेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को कार्यशैली में सुधार संबंधी हिदायत देते गए। पांच साल की सेवा के बाद, रक्त संबंधियों को टिकट कतई न देने के सख्त आदेश उन्होंने दिए। नतीजा सबके सामने है, हल्द्वानी में इंदिरा हृदयेश और कंुजवाल को क्रमश बेटे ओर भतीजे के लिए टिकट नहीं मिल सका। कह तो राहुल यह भी गए थे कि संगठन की बागडोर संभलाने वाले जिम्मेदार होंगे, यदि उनकी सिपारिश पर टिकट मिलने वालों को हार का सामना करना पड़ा। अब निकाय चुनाव में टिकट के लिए हर दूसरा कांग्रेसी आलाकमान के आगे सिर उठा रहा था। कुछ ऐसा ही मेयर के टिकट को लेकर रस्साकसी का दौर गुरूवार रात तक चला। शुक्रवार की सुबह तक कांग्रेस के पत्ते सामने थे और आर्य गुट के चहेते सूर्यकांत धस्माना को मेयर का प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरते देखा गया। भाजपा ने भी बहुत मंथन के बाद चमोली पर ही दांव खेला। पांच साल के कार्यकाल में यह तो नहीं कहा जा सकता कि काम नहीं हुआ, लेकिन यदि भाजपा हाईकमान संतुष्ठ होता तो दून मेयर प्रत्याशी के लिए ऐन समय का इंतजार नहीं किया गया होता। और जब सामने 1 और 1 ग्यारह वाली प्रत्याशी रजनी के रूप में हो तो मेयर प्रत्याशियों के लिए मुकाबला आसान कतई नहीं होगा।
हाईकमान के आदेशानुसार यदि टिकट पाने वालों में जो हारा, उसकी तरफदारी पेश करने वाले कांग्रेसी पर गाज गिरनी तय है। भले ही राहुल का यह ओदश उत्तराखण्ड में कांग्रेस की एकजुटता को बचाए रखने की मंशा के साथ हो, लेकिन यह फरमान कांग्रेस के लिए कमजोरी का कारण बनने जा रहा है। दूसरे खेमे के चहेते को टिकट मिलने पर गुटबाजी बढ़ने का अंदेशा साफ झलक रहा है। और अब ‘सच्चे’ कांग्रेसियों के बारे में चर्चा है कि वे प्रत्याशी की हार को लेकर काम करने की सोच रहे हैं, ऐसे विरोधी चित् होंगे। वहीं कहा तो यह भी जा रहा कि कुछ यही माजरा भाजपा में भी चल रहा है। बाहर से शांत दिख रहे पानी के भीतर की हलचल को हाईकमान जरूर महसूस कर रहा होगा। उसे डर है कि मुकाबला त्रिकोणीय बन चला है। एक को डर है कि पिछली दफा तो जैसे-तैसे पार पा लिया था, अबकी कुछ बुरा न हो जाए। दूसरे को पिछली दफा तीसरे नम्बर पर रहना अभी तक सालता होगा। मंशा तो यही है कि अबकी जीत से कम पर नहीं मानेंगे। लेकिन रजनी के मेयर पद पर पर्चा भरने से पूरा गणित ही बिगड़ गया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही निकाय चुनाव प्रत्याशियों को लेकर दिल्ली दरबार की छाप टिकट बंटवारे में देखने को मिली है। रजनी रावत ने कांग्रेस और भाजपा दोनों का जायका बिगाड़ रखा है। इन दोनों पार्टियों में बगावती सुर का लाभ रजनी को मिल सकता है।
पुलिस ने कटने से बचाए 13 मवेशी
देहरादून,13 अप्रैल । मुखबिर की सूचना के तुरंत बाद हरकत में आई रायवाला पुलिस ने 13 मवेशियों को अवैध तरीके से वाहन में लादकर बाहर ले जा रहे शातिर युवक को गिरफ्रतार कर लिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में आरोपी ने पशुओं को चोरी कर रामपुर में काटने के लिए ले जाने की बात कही है। रायवाला थाना प्रभारी ने बताया कि पशु तस्करी में लिप्त वाहन सीज कर आरोपी पर संबंतिध धाराआंे में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। थाना प्रभारी के अनुसार सूचना मिली कि पशु चोर आयशर के मिनी ट्रक में चोरी के पशुओं को लादकर क्षेत्र से गुजरने वाले हैं। इसके बाद पुलिस ने क्षेत्र में ऐसे वाहनों की चेकिंग शुरू की। मोतीचूर रेलवे पफाटक के समीप दारोगा शिव प्रसाद डबराल व हमराहों संजीव, संदीप, जसवीर ने एक आयशर मिनी ट्रक को रूकवाया। वाहन सवार दो युवक कूदकर भाग निकले। चालक रामपुर निवासी जाहिद को पुलिस ने पूछताछ के लिए कब्जे में लिया। वाहन के पिछले हिस्से को तिरपाल से ढका गया था। खोलने पर बुरी तरह बांधकर रखे गए 13 मवेशी दिखे। जाहिद पशुओं की आवाजाही से संबंधित कागज नहीं दिखा सका। पुलिस के अनुसार पशुओं को काटने के उद्देश्य से रामपुर ले जाया जा रहा था। पुलिस के अनुसार जाहिद को बीते समय अल्मोड़ा की रानीखेत पुलिस ने पशु तस्करी के आरोप में गिरफ्रतार किया था। रानीखेत थाने में जाहिद पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज होना बताया गया।
डॉक्टर की नाबालिग बेटी का अपहरण!
देहरादून,13 अप्रैल। महिला वर्ग के लापता होने के बढ़ते मामले पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। जहां 31 मार्च को गांधीग्राम निवासी महेन्द्रा देवी के लापता होने की खबर पांच दिन बाद नगर कोतवाली पुलिस को मिली और पुलिस उसकी खोजबीन पर जुटी हुई है। वहीं नेहरू कालोनी क्षेत्र में एक नाबालिग युवती के गायब होने की खबर है। पिता की ओर से बेटी के अपहरण किए जाने का आरोप लगाते हुए कोतवाली नेहरू कालोनी में एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया है। जोगीवाला विवेकानन्द ग्राम निवासी डा. डीएस बागड़ी ने पुलिस को बताया कि कल उनकी नाबालिग लड़की रहस्यमय हालातों में लापता हो गई। खोजबीन पर भी रात तक कुछ पता नहीं चल सका। बागड़ी की ओर से अभिशेख अवस्थी निवासी अज्ञात पर अपनी पुत्री को अगवा कर लिए जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया।
7 हजार की नगदी सहित 4 सटोरिए दबोचे
देहरादून,13 अप्रैल । राजधानी में सट्टा कारोबारियों ने चादर से बाहर पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। पुलिस ने भी अवैध काम करने वालों की धरपकड़ कर उनको सलाखों के पीछे भेजना जारी रखा हुआ है। राजपुर पुलिस ने चार नवयुवकों को सट्टा संचालन करते रंगे हाथ धर दबोचा। एसओ राजपुर अमरजीत सिंह के अनुसार मुखबिर की सूचना पर क्षेत्र में एक जगह से फैक्ट्री स्टेट रायपुर निवासी राहुल पुत्र विनोद, निखिल क्षेत्री पुत्र एनके क्षेत्री निवासी किद्दूवाला, नवीन क्षेत्री पुत्र पदम क्षेत्री निवासी किद्दूवाला तथा बांगखाला निवाीस प्रदीप रावत को सट्टा संचालन करते देर रात गिरफ्रतार किया गया। मौके पर ली गई तलाशी में इनके पास से सट्टा पर्ची, मोबाइल व 7 हजार 150 रूपए बरामद हुए। संबंधित धाराओं में इन सभी पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। बता दें कि उपरोक्तों में से नवीन क्षेत्री को साल 2009 मंे रायपुर पुलिस द्वारा वाहन चोरी के आरोप में गिरफ्रतार किया जा चुका है।
सरकारी धन के गबन पर मुकदमा
देहरादून,13 अप्रैल । चौकों पर फर्जी हस्ताक्षर कर इन चौकों को बैंको में भुना भी लिया गया। विभाग की पड़ताल में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ और इस फर्जीवाड़े में जो शामिल जो नाम सामने आया, अधिकारी की ओर से उसके खिलाफ चकराता थाने में सरकारी धन के गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया। प्रभारी सहायक विकास अधिकारी पंचायत विकासखण्ड चकराता रमेश शर्मा की ओर से जगवीर सिंह चौहान पुत्र मेहर सिंह पर सरकारी धन के गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस को दी तहरीर के अनुसार आरोपी द्वारा ग्राम पंचायत ट्यूटाड विकासखण्ड चकराता के संयुक्त ग्राम निधि खाते की ग्राम पंचायत विकास अधिकारी दिनेश प्रसाद बड़ोनी आदि के चौक बुक प्रार्थना पत्र पर फर्जी हस्ताक्षकर कर कूट रचित दस्तावेजों का बैंको में प्रयोग कर सरकारी धन गबन करने का आरोप लगाया गया है। चकराता व अन्य जगह पीएबी की शाखाओं में चौक भुनाए गए हैं।
खनन से भरा टेªक्टर पकड़ा
देहरादून,13 अप्रैल । पछवादून की नदियों पर अवैध खनन का सिलसिला बद्स्तूर जारी है। कोतवाली विकासनगर पुलिस ने एक टेªक्टर ऐसा पकड़ा है जिसमें कि अवैध खनन सामग्री भरी हुई थी। आरोपी पुलिस दबिश से पहले भाग निकले। एसआई राजेन्द्र सिंह के अनुसार नवाबगढ़ के पास जिस अवैध खनन से भरी टेªक्टर ट्राली को पकड़ा गया। उसका चालक पुलिस के पकड़े जाने के भय से तेज गति से वाहन चला रहा था। भागने के चक्कर में चालक ने सड़क किनारे खड़े बिजली के पोल से वाहन भिड़ा दी। बिजली की तारें टूटने से क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति बाधित हुई। पुलिस ने वाहन सीज कर आरोपियों की तलाश शुरू की हुई है। वहीं बिजली विभाग के कर्मचारियों ने मरम्मत का काम शुरू किया।
बस की टक्कर से टूटा पैर
देहरादून,13 अप्रैल । अनियंत्रित गति से सड़क पर दौड़ रही रोडवेज की बस ने बाईक सवार युवक को टक्कर मार दी। बुरी तरह जख्मी हुए युवक को अस्पताल मंे उपचार को भरती कराया गया है। रेशम माजरी निवासी सुरेन्द्र सिंह के अनुसार उनका भाई लच्छीवाला के एक स्कूल के बाहर मुख्य सड़क पर बाईक मंे सवार होकर घर को लौट रहे थे। इसी दौरान रोडवेज बस संख्या यूए07एस-7102 ने बाईक में टक्कर मार दी। अस्पताल में चिकित्सकों ने पीड़ित युवक के दोनों पैरों में फ्रेक्चर आने की पुष्टि की है। डोइवाला पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
रहस्यमय हालातों में बुजुर्ग की मौत
देहरादून,13 अप्रैल । झण्डा तालाब के समीप सड़क पर चलते 65 वर्षीय ईमाम हसन पुत्र मुस्ताक हसन निवासी मुस्लिम कालोनी चक्कर आने से गिर गए। पुलिस ने उन्हें दून अस्पताल पहुंचाया। वहां चिकित्सकों ने ईमाम को मृत घोषित कर दिया। पुलिस के अनुसार मूल रूप से बिजनौर निवासी ईमाम यहां मुस्लिम कालोनी में रहते हुए पुताई का काम करते थे। पुलिस की सूचना पर परिजन दून अस्पताल पहुंच चुके थे। पंचायतनामा भरकर शव को पीएम के लिए भेज दिया गया।
राज्य आंदोलनकारियों को नहीं भाया सूर्यकांत की दावेदारी
देहरादून,13 अप्रैल । कांग्रेस की ओर से दून मेयर प्रत्याशी के लिए सूर्यकांत धस्माना का पर्चा भरा जाना राज्य आंदोलनकारियों को किसी सूरत नहीं भा रहा है। इसकी बानगी कल राज्य आंदोलनकारियों ने शहीद स्मारक पर धरना देकर दिखा दी थी। कहा तो यह भी जा रहा कि केवल दून ही नहीं प्रदेशभर में और लोग ही नहीं कांग्रेसी भी हाईकमान मंे इस फैसले को लेकर मुंह टेढ़ा कर रहे हैं। लंबी चुप्पी को तोड़कर कल जब धस्माना को कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरते देखा गया तो राज्य आंदोलनकारियों मंे ऐसा महसूस किया गया मानो गले से पानी ने निगला जा रहा हो। हो भी क्यांे न, राज्य आंदोलनकारियों के अनुसार प्रदेश के लोग राज्य आंदोलन के वो दिन अभी तक सीने से लगाए हैं, जबकि तत्कालीन सपा सरकार मंे धस्माना समाजवादी पार्टी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष थे। और करनपुर में उनके आवास पर आंदोलनकारियों की भीड़ पर गोली चलाई गई थी। राज्य आंदोलन के समय मूसरी गोलीकाण्ड, मुजफ्फरनगर काण्ड भी प्रदेश की जनता नहीं भूल सकती। कहा तो यहां तक जा रहा कि उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों मंे ही नहीं कांग्रेसियों में भी धस्माना के नाम को लेकर बगावती स्वर फूटने लगे हैं। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि भले ही धस्माना ने अपने प्रतिद्वंदियों पर बाजी मार ली हो, लेकिन कहीं हाईकमान का धस्माना पर दून मेयर के लिए लगाया दांव कहीं भारी न पड़ जाए।
दोस्तों ने क्या खूब निभाई यारी कि गला ही दबा दिया
देहरादून,13 अप्रैल । पुलिस कोतवाली नेहरू कालोनी के दीपनगर निवासी रविन्द्र की 31 अगस्त 2012 से चली आ रही गुमशुदगी से आज पुलिस ने पर्दा हटा दिया। रविन्द्र की दो रोज पहले उसके यारों ने ही गला दबाकर हत्या कर दी थी। रूपए पैसे के लेनदेन को लेकर हत्या करने का खुलासा आज एसपी सिटी ने अपने कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान किया। मेरठ निवासी जितेन्द्र उर्फ जाली को पुलिस ने रविन्द्र की हत्या के आरोप में गिरफ्रतार किया है। एसओ नेहरू कालोनी अबुल कलाम ने बताया कि एक आरोपी मेरठ निवासी नीतू पुत्र रतन सिंह की भी इसी गैंगवार में पिछले दिनों हत्या कर दी गई थी। जबकि तीसरा आरोपी नरेन्द्र अभी फरार चल रहा है। मूल रूप से मेरठ निवासी रविन्द्र दीपनगर मंे रहते हुए प्रापर्टी डीलिंग का काम करता था। गुमशुदगी के बाद 2 सितंबर 2012 को रविन्द्र की उसकी पत्नी से फोन पर बात हुई। मोदीनगर तक मिली लोकेशन के बाद रविन्द्र का फोन स्वीच ऑफ हो गया। यहां नेहरू कालोनी थाने में रविन्द्र की गुमशुदगी को अपहरण में तरमीम किया गया था। पुलिस के अनुसार जितेन्द्र ने बताया कि रविन्द्र से प्रापर्टी के सिलसिले में उसका रूपए को लेकर तकाजा चल रहा था। दोस्तों नीतू यअब मृतकद्ध, नरेन्द्र के साथ मिलकर उसने पड़तापुर के समीप रविन्द्र की गला दबाकर हत्या कर दी थी। शव को फेंककर तीनांे फरार हो गए।
(राजेन्द्र जोशी)
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