विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजी जाने वाली राशि को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. भारतीय डाक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मामले में बीते वित्तवर्ष के दौरान बिहार देश में पांचवें स्थान पर रहा और यहां के डाकघरों में 200 करोड़ रुपये आये. बिहार के डाक सेवा ‘बिजनेस डेवलपमेंट’ के निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि वित्तवर्ष 2012-13 में खाड़ी देशों सहित अन्य देशों में काम करने वाले भारतीयों ने वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के माध्यम से 200 करोड़ रुपये राज्य के डाकघरों को भेजे. तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल आदि राज्यों के बाद बिहार पांचवें स्थान पर रहा. राज्य में भोजपुर, सीवान, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और पटना के डाकघरों में सबसे अधिक राशि भेजी गयी.
बिहार के इन जिलों में खाड़ी देशों और विदेश से बडी राशि आने के कारण इन जिलों को एक समय ‘मनीआर्डर जिलों’ के रुप में जाना जाता था. कुमार ने बताया कि बिहार में पिछले वर्ष एक लाख से अधिक लोगों ने वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के माध्यम से पैसा भेजा. बीते 12 वर्ष से यह इलेक्ट्रॉनिक मनीआर्डर के रूप में लोकप्रिय है. बिहार में 9614 डाकघरों में से 225 डाकघरों में यह सुविधा है. उन्होंने कहा कि अब राशि भेजने को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए डाक विभाग ने मोबाइल मनी ट्रांसफर ‘एमएमटी’ ग्रामीण बिहार के लिए शुरू किया है. इसे पिछले महीने 118 डाकघरों में शुरू किया गया. केवल एमएमटी के माध्यम से देश के भीतर करीब सात करोड़ रुपये आये जबकि भारत से बाहर 75 लाख रुपये भेजे गये.
राज्य के 9614 डाकघरों में से 5000 में जून 2013 तक एमएमटी की सुविधा शुरू हो जाएगी. अनिल कुमार ने बताया कि मोबाइल मनी ट्रांसफर काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसके लिए बैंक में खाता आदि की दरकार नहीं होती है. डाकघरों के माध्यम से बैंकिंग सुविधाओं की लोकप्रियता को देखते हुए सितंबर में 41 डाकघरों में कोर बैंकिंग सर्विस और एटीएम शुरू करने का लक्ष्य है. जून महीने में काम शुरू होगा. आगामी 2.5 वर्ष में सभी डाकघरों को सीबीएस से जोड़ा जाएगा. निदेशक ने बताया कि बिहार में डाकघरों के माध्यम से वित्तीय लेन देन की व्यापक संभावनाएं हैं. राज्य के 9614 डाकघरों में मनरेगा भुगतान के 64 लाख खाते हैं, 2.03 करोड़ अन्य प्रकार के खातों से लेन-देन होता है.
बिहार के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल जी भुइयां ने कहा कि धल प्रेषण डाकघरों के लिए भी राजस्व अर्जित करने की दृष्टि से काफी फायदेमंद है. केवल एक लेन-देन ‘ट्रांजेक्शन’ पर 4 डॉलर की राशि प्राप्त होती है. भारत के डाकघरों में पिछले वर्ष 20 लाख लेन-देन हुआ जिससे 40 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई. इस 40 करोड़ राजस्व में से बिहार के डाकघरों का हिस्सा केवल चार प्रतिशत रहा. उन्होंने कहा कि भारत में धन प्रेषण से 400 करोड़ रुपये तक राजस्व अर्जित किया जा सकता है. भारतीय डाक केवल 10 प्रतिशत का ही राजस्व धन प्रेषण से कमा पा रहा है. बिहार के डाकघर भी राजस्व काफी अर्जित कर सकते हैं. राज्य में छोटे बड़े मिलाकर कुल 9614 डाकघर हैं.
विश्व बैंक की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार धन प्रेषण के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है.
भारत में अच्छा बाजार देखते हुए वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर ने डाकघर के माध्यम से पैसे भेजने पर ग्राहकों के लिए एक मई से 30 सितंबर 2013 तक आकर्षक उपहार योजना शुरू की है.
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