2जी केस में फंसे पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने JPC को लिखित नोट भेजा है, जिसमें राजा ने कहा कि अगर मैं दोषी था तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुझे दोबारा मंत्रिमंडल में क्यों शामिल किया? ए राजा ने अपने 100 पन्नों के नोट में लिखा है कि 2 जी आवंटन को लेकर मैंने कोई भी फैसला अकेले नहीं लिया है. मैंने सभी निर्णय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के साथ-साथ इससे जुड़े अधिकारियों से ली है.
राजा ने कहा कि मुझे यह नोट इसलिए लिखना पड़ा क्योंकि जेपीसी अध्यक्ष ने उनकी लगातार मांग के बावजूद उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए नहीं बुलाया.
2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के सभी मुद्दों पर, यहां तक कि प्रवेश शुल्क, स्पेक्ट्रम के आवंटन और सितंबर 2007 तक अर्जियों को लेकर भी मेरी खुद प्रधानमंत्री से बात हुई थी. जिसपर टेलीक़ॉम विभाग ने बाद में काम किया. राजा ने अपने नोट में ये भी लिखा है कि अगर पीएम संसद में ये बयान देते हैं कि 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में राजकोष को कोई घाटा नहीं हुआ है तो फिर सरकार सीबीआई के जरिए मुझपर मुकदमा चलाने के बाद भी क्यों खामोश है.
जेपीसी के सदस्यों के बीच वितरित की गई रिपोर्ट के मुताबिक JPC ने घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट दे दी है, जबकि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को कठघरे में खड़ा किया है. जेपीसी ने कहा है कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने प्रधानमंत्री को ‘गुमराह’ किया था. साथ ही जेपीसी ने कहा कि राजा ने जो आश्वासन दिए थे, वे ‘झूठे’ साबित हुए.
जेपीसी की रिपोर्ट के मसौदे में नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) के 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के निष्कर्ष को भी खारिज किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नुकसान का यह आंकड़ा सही अनुमान पर आधारित नहीं है. 25 अप्रैल को रिपोर्ट को स्वीकार किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि 2 जी घोटाले में ए राजा को 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किया गया था. 15 महीने जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री को इस शर्त पर जमानत दी कि वे दूरसंचार मंत्रालय के साथ-साथ अपने गृह राज्य तमिलनाडु भी नहीं जा सकते.
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