नीतीश कुमार के बयान पर विरोधी दलों ने कई सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी का कहना है कि जब नीतीश को बिहार का मुख्यमंत्री बनना था तब तो उन्हें बीजेपी धर्मनिरपेक्ष पार्टी लगती थी और अब जब मोदी का नाम सामने आया है तो वो धर्मनिरपेक्षता की बात कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि नीतीश कुमार किस आधार पर मोदी को सांप्रदायिक बता रहे हैं और आडवाणी को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सत्ता के लिए कभी टोपी भी पहननी पड़ती है कभी टीका भी लगाना पड़ता है। नीतिश कुमार ने कहा कि बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी थे जो सबको साथ लेकर चलते थे। अटल राजधर्म की बात करते थे।
नीतीश कुमार का ये बयान सीधे सीधे नरेंद्र मोदी पर हमला है। आपको याद होगा, मोदी ने अपनी सदभावना यात्रा के दौरान एक मुस्लिम धार्मिक नेता के हाथ टोपी पहनने से इंकार कर दिया था। उसी घटना को प्रतीक बनाते हए प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की दौड़ पर नीतीश कुमार ने ब्रेक लगा दिया है। आर पार की लड़ाई के संकेत देते हुए नीतीश ने जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अधिवेशन में साफ कर दिया कि उन्हे मोदी मंजूर नहीं हैं। नीतीश के मुताबिक ऐसा नेता देश का नेतृत्व नहीं कर सकता जो सभी तबकों को साथ लेकर ना चल पाए।
बीजेपी को दिसंबर तक प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय करने का अल्टीमेटम देते हुए जेडीयू ने अधिवेशन में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में भी साफ कहा है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो धर्मनिरपेक्ष हो और पिछड़े राज्यों और समावेशी विकास के एजेंडे को लेकर आगे बढ़े। अनुच्छेद 370, समान आचार संहिता और अयोध्या मसले पर बीजेपी अपनी राय साफ करे। दरअसल मोदी पर निशाना साधते हुए नीतीश अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को संबोधित करते रहे। नीतीश ने मोदी के विकास के मॉडल का भी माखौल उड़ाते हुए उन्हें तानाशाह करार दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि इमरजेंसी में क्या हुआ था, एक राज्य में ये सब ठीक है लेकिन पूरे देश में नेतृ्त्व वही दे सकता हो जो सबको साथ लेकर चले।
नीतीश ने यहां तक कह दिया कि वो कुर्सी खोने को तैयार हैं लेकिन मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनने देंगे। नीतीश के मोदी विरोध ने बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। पार्टी में सत्ता संघर्ष चरम पर है और नीतीश के ऐलान ने आग में घी का काम किया है। तिलमिलाई बीजेपी ने सख्त लहजे में जेडीयू को यूपीए के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई लड़ने की नसीहत दी। मोदी के खिलाफ नीतीश के बयानों को पार्टी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साफ है नीतीश के भाषण के बाद जेडीयू और बीजेपी में तनाव बढ़ता दिख रहा है। नीतीश कुमार का मोदी विरोध काफी आगे बढ़ चुका है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर नीतीश का ये कैसा विरोध है जहां वो मोदी को सांप्रदायिक और बीजेपी को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं। फिलहाल दोनों पार्टियां गठबंधन चलाने की बात कर रही हैं लेकिन सवाल ये भी है कि मोदी और नीतीश के बीच छिड़े जंग के बीच क्या 17 साल पुरानी दोस्ती बचेगी।
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