लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चीन सेना की घुसपैठ के मुद्दे पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच मंगलवार को दो दौरा की वार्ता हुई लेकिन कोई नतीजा दिखाई नहीं दे रहा है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच सीमा पर अब भी तनाव बरकारार है.
लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ को देखते हुए वहां और ज्यादा संख्या में सेना तैनात किया जा सकता है, जिसके बाद भारत-चीन के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है.चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के तकरीबन 50 सैनिकों ने 15 अप्रैल की रात से ही वहां कब्जा जमा रखा है.
मंगलवार को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच तकरीबन तीन घंटे तक चली 'फ्लैग मीटिंग' बेनतीजा रही. यह मीटिंग वहां से काफी दूर चुशूल में हुई.सेना के महानिदेशक (पीआई) लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन ने इस बात को स्वीकार किया कि चीनी सैनिक फ्लैग मीटिंग के बाद भी डीबीओ में जमे हुए हैं. इस विशेष दल में आईटीबीपी के जवान शामिल होते हैं. सूत्रों ने मंगलवार को यहां कहा, अगर स्थिति नहीं सुधरती है और चीनी सैनिक अपने पुराने स्थान पर नहीं लौटते हैं तो क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती हो सकती है.
चीनी सैनिकों के एक शिविर स्थापित करने का पता चलने के तुरंत बाद भारतीय सेना ने इससे पहले पहाड़ी युद्ध में विशेषज्ञ 'लद्दाख स्काट्स, का एक दल दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर भेजा था. सूत्रों के मुताबिक अगर लद्दाख क्षेत्र में हालात जल्द नहीं सुधरे तो वहां पर और ज्यादा संख्या में सेना को तैनात किया जा सकता है, जिसके बाद तनाव और बढ़ने की आशंका होगी. फिलहाल यहां पर लद्दाख स्कॉउट इंफैन्टरी बटालियन के 50 से 60 जवान और आईटीबीपी के जवान तैनात हैं.
भारत ने चीन से घुसपैठ से पहले की यथास्थिति बनाए रखने की मांग की है. फिलहाल भारतीय सेनाओं ने भी चीन सेना के कैंप के सामने अपने कैंप लगा लिए हैं. हालांकि चीन का कहना है कि वह मामले की पड़ताल कर रहा है. इससे पहले चीन ने कहा था कि उसकी सेना ने कभी भी एलएससी को पार नहीं किया. इस बीच रक्षामंत्री ए के एंटनी ने कहा है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें