करीब चार दशकों तक हिन्दी फिल्मों में एक से बढ़कर एक लोकप्रिय गीतों को स्वर देने वाली शमशाद बेगम का कल रात उनके पवई स्थित आवास पर निधन हो गया। उनकी बेटी उषा रातरा और दामाद योग रातरा उनके साथ अंतिम समय में मौजूद थे।
शमशाद बेगम ने 40 और 50 के दशक में हिंदी सिनेमा के अनेक मशहूर गीतों को अपनी कर्णप्रिय आवाज से सजाया था जिनमें कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना, मेरे पिया गये रंगून, कभी आर कभी पार और कजरा मोहब्बत वाला आदि काफी मशहूर हुए।
लता मंगेशकर ने अपने पार्श्व गायन की शुरुआत उस वक्त की थी जब बेगम का करियर शिखर पर था। बेगम के साथ 1949 की फिल्म अंदाज में डर ना मोहब्बत कर ले, इसी साल की पतंगा के प्यार के जहां की और 1951 की दीदार में बचपन के दिन जैसे गीतों को आवाज देने वाली लता ने कहा कि शमशाद बेगम के निधन की खबर सुनकर वह बहुत दुखी हैं। आज सुबह मुझे पता चला कि मशहूर प्लेबैक सिंगर शमशाद बेगमजी हमारे बीच नहीं रही, ये सुनके मुझे बहुत दुख हुआ, मैंने उनके साथ काफी फिल्मों में गाने गाये। वह बहुत अच्छी हंसमुख और सीधी सादी शख्सियत थीं। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
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