अतिगुप्त श्री मां बगलामुखी बृह्मास्त्र से डाली गई आहुतियां
छतरपुर । नवरात्री के चौथे पर्व पर प्रसिद्ध पीताम्बरा शक्ति पीठ में अति विशिष्ट मां बगलामुखी महायज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में साधकों ने अग्निदेव को आहुतियां समर्पित कर प्राणीमात्र के कल्याण की कामना की । यज्ञ का आयोजन मंदिर समिति व्दारा किया गया। सनातन धर्म से जुडे आदिग्रन्थों की कुछ पद्धतियां सदियों पहले लुप्त हो गई थी जिसमें श्री बगलामुखी सहस्त्रनामावली स्तोत्रम् का बृहद प्रयोग प्रमुख था, किन्तु उसका मैथली भाषा का संस्करण सन् 1297 में बनारस के विव्दानों ने खोज निकाला। इस प्रयोग की साधना वरिष्ट साधकों के निर्देशन में विशेष पर्वों पर ही कराई जाती है।
गुरू परम्परानुसार स्थापित इस शक्तिपीठ के संस्थापक शिव नारायण खरे ने बताया कि वैश्विक समस्याओं का समाधान मानसिक परिवर्तन के साथ ही सम्भव है, और यह मानसिक परिवर्तन केवल आध्यात्मिक प्रयोगों व्दारा ही किया जा सकता है। आधुनिकता की दौड में अशांत मानव की मशीनी क्रियायें, भावनाओं और संवेदनाओं को हाशिये पर धकेल रहीं हैं, ऐसे में सूक्ष्म जगत की अतिसूक्ष्म तरंगों के माध्यम से ही मशीन से पुनः मानव बनाने की प्रक्रिया दोहराई जा सकेगी। वर्तमान समस्यायें स्वयं की उत्पन्न की हुई हैं, कोई प्राकृतिक प्रकोप या घटना का परिणाम नहीं है। हमें ही साधना की संजीवनी से समस्याओं का अंत करना होगा, तभी कल्याण सम्भव है।
शहर के सटई रोड स्थित पीताम्बरा शक्ति पीठ में साधकों के लिए आग्नेय कोण में पंचकुण्डीय यज्ञशाला की स्थापना की गई है जिसमें दौनों नवरात्रि, महाशिवरात्रि, बसंत पंचमी, दीपावली, होली, अक्षय तृतीया तथा शरद पूर्णिमा पर्व पर मां बगुलामुखी की साधना के विशिष्ट प्रयोग किये जाते हैं। इसी क्रम में यज्ञाचार्य की भूमिका का निर्वहन करते हुये लक्ष्मी नारायण सोनी के निर्देशन में श्री बगलामुखी सहस्त्रनामावली स्तोत्रम् तथा श्री बगलामुखी बृह्मास्त्र के विस्त्रित कर्मकाण्ड के साथ प्रत्येक साधक ने 1250 आहुतियां यज्ञवेदी में समर्पित की गई। महायज्ञ के उपरान्त नगर कन्या भोज और विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें