केंद्र की संप्रग 2 सरकार द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि में बिहार के लिए 12 हजार करोड़ रुपये की मदद पर सत्तारुढ़ जदयू और भाजपा ने असंतोष जताया है, जबकि प्रदेश कांग्रेस ने इसे स्वागत योग्य कदम करार देते हुए राज्य के विकास में अहम योगदान करने वाला बताया। केंद्रीय कैबिनेट ने कल 12वीं पंचवर्षीय योजना के शेष चार वर्ष के लिए बिहार के लिए 12 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को अनुमति दी थी।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने छलावा किया है। 12 हजार करोड़ रुपये कोई नया विशेष पैकेज नहीं है। केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने बिहार विभाजन के बाद जिस विशेष पैकेज की शुरुआत की थी, मौजूदा सरकार ने भी केवल उसे जारी रखने का फैसला किया है।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि केंद्र ने जिस पैकेज की घोषणा की है। वह राज्य की अपेक्षा के अनुएप नहीं है। बिहार सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। अभी वह पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मिकीनगर क्षेत्र के दौरे पर हैं। बिहार विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने विशेष पैकेज की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बिहार का विकास होगा। राजद ने कहा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह ने जो प्रयास किये हैं उसके फलस्वरूप 12 हजार करोड़ रुपये बिहार को मिले हैं। यह नीतीश सरकार की उपलब्धि नहीं है।
मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछडा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) के तहत 20 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केवल 12 हजार करोड़ की स्वीकति दी गयी। केंद्र ने 2013-14 के बजट में बीआरजीएफ के आवंटन में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 1800 करोड़ रुपये कम कर दिये हैं। ऐसे में आशंका है कि बिहार को पंचवर्षीय योजना के शेष चार वर्ष में 12 हजार करोड़ भी मिलेंगे कि नहीं। मोदी ने कहा कि केंद्र लगातार बिहार के साथ नाइंसाफी और छल कर रहा है। बिहार को इसका हक देना चाहिए।
सदानंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिहार का ध्यान रखा है। नीतीश सरकार 12 हजार करोड़ का ठीक ढंग से उपयोग कर लेगी तो बिहार का काफी भला हो जाएगा। केंद्र सभी राज्यों पर ध्यान दे रहा है। बिहार को भी इस नजरिए से विकास के लिए मदद दी गयी है। उपमुख्यमंत्री द्वारा छलावा कहे जाने पर सिंह ने कहा कि सुशील कुमार मोदी को बताना चाहिए कि जब राजग की केंद्र में सरकार थी तो उस समय क्यों मदद नहीं दी गयी। राजग सरकार के अंत के समय मदद शुरू की गयी।
जदयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि 12 हजार करोड़ रुपये की स्वीकति के राजनीतिक मायने निकालने की जरूरत नहीं है। अनियमित तौर पर केंद्र से मदद मिलना भी बिहार के पिछड़ेपन का कारण रहा है। पूर्ववर्ती सरकार (राजद) फंड का उपयोग नहीं कर पायी। उन्होंने कहा कि मदद कम मिली है, इसलिए वह इस निर्णय का स्वागत नहीं करेंगे। भाडा समानीकरण और बिहार विभाजन के कारण ऐतिहासिक रूप से बिहार पहले से ही पिछडा था। केंद्र को ऐसे में बिहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।सिंह ने कहा कि राज्य के विकास के लिए जदयू बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है। पटना और नयी दिल्ली में हुई अधिकार रैली के दबाव का असर दिखने लगा है। केंद्र जब आर्थिक समीक्षा में बिहार के विकास की बात स्वीकार कर रहा है तो उसे मदद अधिक से अधिक देनी चाहिए।
जदयू नेता ने कहा कि बिहार में नीतीश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, अल्पसंख्यक विकास आदि क्षेत्रों में काफी खर्च कर रही है। इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये की मांग की गयी थी। बिहार विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचना चाहता है। राज्य के विकास से देश का विकास होगा। केंद्र सरकार को यह बात समझनी चाहिए कि बिहार के विकास से देश का विकास होगा। राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि यह नीतीश सरकार की कोई उपलब्धि नहीं है। यह कोई नया पैकेज नहीं है। संप्रग-1 में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद के प्रयासों से बिहार के सभी जिले बीआरजीएफ के तहत शामिल हुए थे। 12 हजार करोड़ मिलना राजद के उन्हीं प्रयासों का फल है।
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