जब महिलाओं को सूदखोरों से मिल गयी मुक्ति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

जब महिलाओं को सूदखोरों से मिल गयी मुक्ति


महिला सशक्तीकरण का दिखा प्रभाव


गया। अगर आपको महिला सशक्तीकरण का असर देखना है तो आपका चोरदहा गांव में स्वागत है। महज 9 माह के पहले 20 महिलाओं ने मिलकर 26 जुलाई 2012 को स्वयं सहायता समूह गठन किये। महादलित मुसहर समुदाय के रामदेव मंडल की पत्नी गीता देवी (23 साल) के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह कामयाबी की शिखर पर चढ़ने लगी। समूह अपने उद्देष्य की प्राप्ति करने की दिशा में अग्रसर है। गया जिले के प्रखंड बाराचट्टी में पंचायत झाझ पड़ता है। इस पंचायत में ग्राम चोरदहा हैं। अब इस गांव की महिलाएं सूदखोरों के दलान में जाकर माथा नहीं झुकाती हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं स्वाभिमान से बचत करती हैं। प्रत्येक माह 20 रूपये जमा करती हैं। इन बचत की गयी राशि से ही समूह की बहिनों को मदद करती हैं।

समूह की सचिव आशा देवी कहती हैं कि मेरे पतिदेव प्रमोद मंडल ने सामाजिक-आर्थिक कार्य करने की सहुलियत दे रखी है। इसी कारण हम लोग मिलकर समूह चलाने में सफल हो रहे हैं। बगल में कोषाध्यक्ष दुलारी देवी खड़ी थीं। उन्होंने विस्तार से बताया कि यहां के गरीब महादलित मुसहर समुदाय को अपने किसी तरह के काम निपटारा करने के लिए दूसरे गांव में जाकर 10 रूपये सैकड़ा व्याज पर रकम लेकर आते थे। मासिक व्याज और मूलधन वापस नहीं करने से सूदखोर एक साल से अधिक हो जाने के बाद जमीन पर धांवा बोलकर जमीन हड़प लेता था। निर्धनत समक्ष कर ले लेते थे। महादलित महिलाओं का नेतृत्व में आने के बाद उसका प्रभाव मात्र 9 महीने के बाद देखा जा रहा है। अब चोरदहा की महिलाएं सूदखोरों के पास जाकर 10 रूपये प्रति सैकड़ा की दर से ऋण नहीं ले रही हैं। अब उनको घर की जमीनी कागजात को गिड़वी रखने की नौबत नहीं आ रही है। 

वहां की दीदी ने बचत समूह प्रतिमाह 20 रूपये की दर में बचत कर रहे हैं। इस समूह में 22 दीदी लोग हैं। जब को पैसा की काम आता है। तो अपने समूह में 2 रूपये व्याज की दर से लेते हैं। अपने काम लिपटा कर के व्याज के साथ पैसा समूह में जमा कर देते हैं। तो यहां की दीदी ने बताया कि जो हम लोग को 8 रूपये व्याज अब बच जाता है। 


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