एक जमाने के मशहूर खलनायक और चरित्र अभिनेता दादा साहब प्राण को फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पिछले कुछ माह से बीमार चल रहे 93-वर्षीय प्राण को इस सम्मान के अंतर्गत स्वर्ण कमल, एक शॉल तथा नकद राशि प्रदान की जाएगी।
वर्ष 2001 भारत सरकार की ओर से देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से भी नवाज़े जा चुके प्राण ने सैकड़ों फिल्मों में बेहद यादगार भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने जहां एक ओर खलनायक के किरदार निभाकर अपने जीवन्त अभिनय से दर्शकों के मन में डर और खौफ पैदा किया, वहीं बेहद पसंद किए जाने वाले चरित्र भी कामयाबी से निभाए। बतौर फोटोग्राफर लाहौर (अब पाकिस्तान) में अपना करियर शुरु करने वाले प्राण ने वर्ष 1940 में फिल्म 'यमला जट' से अभिनय यात्रा शुरू की थी।
कहा जाता है कि बहुत-सी फिल्मों में प्राण को नायक से भी अधिक पारिश्रमिक दिया गया। उनकी बेहद चर्चित और प्रसिद्ध फिल्मों में 'उपकार', 'ज़ंजीर', 'डॉन' शामिल हैं। उन्हें वर्ष 1968 में 'उपकार', वर्ष 1970 में 'आंसू बन गए फूल' और वर्ष 1973 में 'बेईमान' फिल्म में अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, और वर्ष 1997 में फिल्मफेयर की ओर से उन्हें लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार भी प्रदान किया गया। खेलों के प्रति भी उनके दिल में काफी लगाव रहा है, और '50 के दशक में उनकी अपनी फुटबॉल टीम 'डायनॉमोस फुटबाल क्लब' काफी चर्चित रही है।
प्राण ने 60 साल से भी ज़्यादा समय तक चले अपने करियर के दौरान बॉलीवुड के हर बड़े और प्रसिद्ध अभिनेता के साथ काम किया, जिनमें ब्लैक एंड व्हाइट युग के 'त्रिदेव' कहे जाने वाले दिलीप कुमार, राजकपूर और देवानंद भी शामिल हैं। 'सुपरस्टार ऑफ द मिलेनियम' कहे जाने वाले 'बॉलीवुड के शहंशाह' अमिताभ बच्चन के उद्भव में भी उनका महती योगदान रहा, क्योंकि बिग बी के करियर को नया आयाम देने वाली फिल्म 'ज़ंजीर' के लिए निर्माता प्रकाश मेहरा से अमिताभ के नाम की सिफारिश प्राण ने ही की थी।
'90 के दशक में फिल्मों से रिटायरमेंट लेने के बाद उन्होंने अब तक सिर्फ दो ही फिल्मों - मृत्युदाता और तेरे मेरे सपने - में काम किया, जो उनके मित्र अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल ने बनाई थीं। वह अंतिम बार सार्वजनिक रूप से अमिताभ बच्चन की ही 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में दिखाई दिए थे।
अपने करियर के दौरान लगभग 350-400 हिन्दी-पंजाबी फिल्मों में काम कर चुके प्राण का जन्म वर्ष 1920 में 12 फरवरी को दिल्ली में लाला केवलकृष्ण सिकंद के घर में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी ठेकेदार थे, जो आमतौर पर सड़कों और पुलों का निर्माण करते थे। प्राण की शिक्षा-दीक्षा पंजाब के कपूरथला, मध्य प्रदेश के उन्नाव, उत्तर प्रदेश के मेरठ, देहरादून और रामपुर में हुई।
प्राण साहब से पहले फिल्मोद्योग के इस सबसे बड़े पुरस्कार से दिग्गज निर्देशक सत्यजीत रे, अभिनेता देव आनंद और निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा भी सम्मानित किए जा चुके हैं। पिछले वर्ष यह पुरस्कार बांग्ला अभिनेता सौमित्र चटर्जी को प्रदान किया गया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें