एक मीडिया रपट में कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग सरकार ने, कोयला घोटाले की जांच से सम्बंधित स्थिति रपट को सर्वोच्च न्यायालय को सौंपने से पहले उसका निरीक्षण किया था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने शनिवार को कहा कि यह बहुत ही गम्भीर मामला है। स्वराज ने आरोप लगाया कि रपट का निरीक्षण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाने की एक कोशिश का हिस्सा था।
स्वराज ने ट्विटर पर कहा है, "यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है। यह प्रधानमंत्री को बचाने के लिए सीबीआई केंद्रीय जांच ब्यूरो पर सरकार के दबाव का सबूत है।" एक राष्ट्रीय दैनिक में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि पिछले महीने सौंपी गई सीबीआई रपट की केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया था।
रपट में कहा गया है कि स्थिति रपट सौंपे जाने के कुछ दिनों बाद सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा सहित सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को अश्विनी कुमार ने सम्मन किया था। अखबार की रपट में कहा गया है कि मुलाकात के दौरान स्थिति रपट में कई संशोधन सुझाए गए और कुछ संशोधन सीबीआई ने भी शामिल किए थे।
ज्ञात हो कि देश के आधिकारिक लेखाकार ने पिछले वर्ष खुलासा किया था कि निजी कम्पनियों को कोल ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकार खजाने को 11 मार्च, 2011 तक 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। लेखा रपट में प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय पर सीधे तौर पर उंगली नहीं उठाई गई थी, लेकिन कोल ब्लॉक आवंटन के समय कोयला विभाग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास (जुलाई 2004 से मई 2009 तक) ही था।
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