प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि भावुकता में विवेक और तर्क नहीं खोना चाहिए। प्रधानमंत्री ने ये बातें राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कही। उन्होंने दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद देशभर में व्याप्त नाराजगी के संदर्भ में लोगों से समझदारी व संयम बनाए रखने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी दिनचर्या को नियंत्रित करने वाले कानून स्पष्ट, स्थिर और उचित होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अदालतों में लंबित पड़े मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य सरकारों को इनके जल्द निपटारे के लिए न्यायिक अधिकारियों की संख्या दोगुनी करनी चाहिए और न्यायिक बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना चाहिए। सम्मेलन को सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर ने भी संबोधित किया। उन्होंने अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने में कमी और जांच के दोषपूर्ण होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन दिनों जांच वैसी नहीं हो रही है, जैसी होनी चाहिए।
इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने किया। इसमें जिला एवं अधीनस्थ अदालतों की संख्या दोगुनी करने, उच्च न्यायालयों तथा निचली अदालतों में रिक्तियां भरने, त्वरित अदालतें गठित करने तथा मामलों के जल्द निपटारे के लिए बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने पर चर्चा होने वाली है। देश की विभिन्न अदालतों में तीन करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
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