भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराए जाने की शनिवार को मांग की। भाजपा ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने देगी। एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि संप्रग सरकार ने, कोयला घोटाले की जांच से सम्बंधित स्थिति रपट को सर्वोच्च न्यायालय को सौंपे जाने से पहले उसका पुनरीक्षण किया था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इस रपट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते शनिवार को कहा कि यह बहुत ही गम्भीर मामला है। स्वराज ने ट्विटर पर कहा है, "यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है। यह प्रधानमंत्री को बचाने के लिए सीबीआई पर सरकार के दबाव का सबूत है।"
अखबार की रपट में कहा गया है कि पिछले महीने सौंपी गई सीबीआई रपट का केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों द्वारा पुनरीक्षण किया गया था। रपट में कहा गया है कि स्थिति रपट सौंपे जाने के कुछ दिनों बाद सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा सहित सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को अश्विनी कुमार ने सम्मन किया था। अखबार की रपट में कहा गया है कि मुलाकात के दौरान स्थिति रपट में कई संशोधन सुझाए गए और कुछ संशोधन सीबीआई ने भी शामिल किए थे।
भाजपा नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि अखबार की रपट से पता चलता है कि सरकार सीबीआई को ईमानदारी के साथ अपना काम नहीं करने देगी।जेटली ने कहा, "एक स्वतंत्र एजेंसी की सीबीआई की छवि पूरी तरह ध्वस्त और छिन्न-भिन्न हो गई है। सीबीआई इस मामले के तह तक नहीं जा सकती और सच्चाई का पता नहीं लगा सकती, संप्रग कपटी सरकार है, जो उसे स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने देगी।" जेटली ने कहा, "इसलिए व्यवस्था को इस पर गम्भीरता से विचार करना होगा कि कोयला घोटाले की जांच हर हाल में एसआईटी करे।"
जेटली ने कहा कि सच पता करने की प्रक्रिया के साथ हस्तक्षेप किया गया है, और यह सब मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों के स्तर पर किया गया है, जो कि गम्भीर प्रश्न खड़े करता है। जेटली ने कहा, "संप्रग, आरोपियों के दोष कम करना चाहती है। रिपोर्ट में दोष कम करना ही इस बैठक का एजेंडा था।" जेटली ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश में सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप की मनाही की गई है। भाजपा नेता ने कहा, "सीबीआई की स्वायत्तता और स्वतंत्रता से सम्बंधित एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंग्रेजी सिद्धांत का उद्धरण देते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार का कोई भी मंत्री सीबीआई के साथ न तो हस्तक्षेप कर सकता है और न तो यह कह सकता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है, और न्यायालय के इस आदेश का यहां पूरी तरह उल्लंघन किया गया है।"
ज्ञात हो कि देश के आधिकारिक लेखाकार ने पिछले वर्ष खुलासा किया था कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकारी खजाने को 11 मार्च, 2011 तक 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। लेखा रपट में प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय पर सीधे तौर पर उंगली नहीं उठाई गई थी, लेकिन कोयला ब्लॉक आवंटन के समय कोयला विभाग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास (जुलाई 2004 से मई 2009 तक) ही था।
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