अनियंत्रित जीवनशैली के कारण अनियंत्रित उच्च रक्तचाप महामारी का रूप ले रहा है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 अप्रैल 2013

अनियंत्रित जीवनशैली के कारण अनियंत्रित उच्च रक्तचाप महामारी का रूप ले रहा है


मेट्रो हास्पीटल एंड हार्ट इंस्टीच्यूट में शीघ्र शुरू हो रही है हाइपरटेंशन के इलाज की रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित नवीनतम तकनीक 


गलत जीवनशैली के कारण हमारा देश हाइपरटेंशन अथवा उच्च रक्त चाप के मरीजों का केन्द्र बनता जा रहा है। भारत में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप वाले 13 करोड़ 90 लाख लोग हैं जो विश्व की आबादी का 14 प्रतिषत है। विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में 1960 के दशक में उच्च रक्त चाप 5 प्रतिशत से बढ़कर 1990 के दशक में करीब 12 प्रतिशत हो गया और 2008 में 30 प्रतिशत से भी अधिक हो गया। यही नहीं अब तो 20 से 30 साल के युवाओं में भी उच्च रक्तचाप के मामले पाये जाने लगे हैं। अध्ययन में 25 साल और इससे अधिक उम्र वाले युवाओं में बढ़ा हुआ रक्तचाप या उच्च रक्तचाप करीब 40 प्रतिशत पाया गया है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2013 की पूर्व संध्या पर पदम विभूशण और बी. सी राश्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मेट्रो ग्रूप आॅफ हास्पिटल्स के अध्यक्ष तथा मेट्रो हाॅस्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीच्यूट के प्रमुख हृदय रोग विषेशज्ञ डॉ. पुरूशोत्तम लाल ने हाइपरटेंन के इलाज में इंटरवेंशनल कार्डियोलाॅजी की भूमिका का जिक्र करते हुये बताया कि मेट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीच्यूट शीघ्र ही हाइपरटेंशन के इलाज के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित आधुनिक उपचार शुरू करने जा रहा है। यह तकनीक भारत के कुछ चुनिंदा केन्द्रों में ही उपलब्ध है। डा. लाल ने हाइपरटेंशन के बारे में बताया, ‘‘बढ़ा हुआ रक्तचाप या उच्च रक्तचाप मूक हत्यारा है क्योंकि इसके लक्षण शायद ही दिखते हैं और इस कारण इसके अधिकतर मामलों की पहचान नहीं हो पाती है। भोजन में कम नमक और कम चीनी के सेवन और आहार में पर्याप्त मात्रा में पोटाषियम के सेवन के साथ वजन को कम करना उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए एक स्वस्थ दृष्टिकोण हो सकता है।’’ उच्च रक्तचाप दिल और रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है और यह विष्व में हृदय रोग से अकाल मृत्यु के लिए प्रमुख रोके जा सकने वाले जोखिम कारकों में से एक है। यह हर साल दुनिया भर में 70 लाख 50 हजार लोगों की मौत का कारण है जो एड्स, सड़क दुर्घटनाओं, मधुमेह और तपेदिक को एक साथ मिलाकर होने वाली मौत से भी अधिक है।

मेट्रो हास्पीटल के वरिश्ठ कार्डियोलाॅजिस्ट डा. पी टी उपासनी ने कहा कि जब हमारा दिल धड़कता है, तो यह हमारी धमनियों में रक्त को भेजता है। यह फोर्स रक्त चाप कहलाता है। जब यह दबाव बहुत अधिक होता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। उच्च रक्तचाप का अर्थ यह हो सकता है कि आपके दिल को रक्त को पंप करने के लिए कठिन काम करना होगा। आपकी धमनियां संकीर्ण या कठोर हो सकती हैं। दिल का अतिरिक्त कार्य हृदय रोग, स्ट्रोक, और अन्य समस्याओं के खतरे को बढ़ाता है। डा. पुरूशोत्तम लाल कहते हैं,, ‘‘क्लिनिकल प्रैक्टिस में हमने पाया है कि उच्च रक्तचाप से पीडि़त करीब 50 प्रतिषत लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि उन्हें उच्च रक्तचाप है और जो 60 प्रतिषत लोगों को इसके बारे में पता होता है वे इसे कारगर ढंग से नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। यह युवा रोगियों में भी कम उम्र में ही दिल और अन्य रोगों के विकास के लिए जिम्मेदार होता है।’’ अपने आहार में नमक की मात्रा को कम करने से उच्च रक्तचाप को कम करने में काफी मदद मिलेगी। दैनिक नमक के सेवन को 4 ग्राम से कम कर 2.3 ग्राम करने पर उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में रक्तचाप पारा 5/ 3 एमएम कम हो सकता है।

उच्च रक्तचाप भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह एक आधुनिक महामारी और एक मूक हत्यारा है। वास्तव में, उच्च रक्तचाप भारत में सबसे अधिक प्रचलित पुरानी बीमारी है। महामारी विज्ञान के अध्ययनो से पता चलता है कि यहां पिछले 50 सालों में उच्च रक्तचाप के प्रसार में तेजी से वृद्धि हुई है जबकि विकसित देशों मंे तेजी से गिरावट आई है। हमारे देश में करीब 14 करोड़ लोगों के उच्च रक्तचाप से पीडि़त होने का अनुमान है और वर्श 2030 में इस संख्या के 21 करोड़ 40 लाख के आंकड़े को भी पार कर जाने की उम्मीद है। विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में वर्श 2012 में 25 से अधिक उम्र वाले 23 प्रतिषत पुरुश और 22 प्रतिषत महिलाओं को उच्च रक्तचाप होने का अनुमान था। मेट्रो मल्टी स्पेषियलिटी अस्पताल के किडनी रोग विषेशज्ञ डा. राजेष बंसल ने कहा कि भारत में काफी संख्या में स्वस्थ बच्चों और किशोरों में उच्च रक्तचाप की पहचान हो रही है, जो एक उभरती हुई समस्या है जिसकी कोई भी अवहेलना नहीं कर सकता है। अध्ययनों के सबूत से पता चलता है कि बच्चों और युवा वयस्कों में उच्च रक्तचाप के प्रकोप में हाल में तेजी से वृद्धि हो रही है। 

डा. पुरूशोत्तम लाल ने कहा, ‘‘उच्च रक्तचाप में वृद्धि का संबंध बढ़ती जनसंख्या - मध्यम सिस्टोलिक रक्तचाप से है और यह आराम तलब जीवन शैली, मानसिक तनाव, नमक और शराब का अधिक सेवन और मोटापे जैसे उच्च रक्तचाप के जोखिम कारकों से संबंधित है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप से पीडि़त हर ज्ञात व्यक्ति के साथ दो व्यक्तियों में या तो उच्च रक्तचाप अज्ञात होता है या पूर्व उच्च रक्तचाप की अवस्था होती है। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के गवर्निंग बोर्ड के भी सदस्य डा. पुरूशोत्तम लाल कहते हैं, ‘‘विश्व स्वास्थ्य दिवस के इस पूर्व संध्या पर, जब इस विष्व स्वास्थ्य दिवस का विशय उच्च रक्तचाप है, हमें हृदय रोग (सीवीडी) के खतरे को नियंत्रित करना नहीं भूलना चाहिए। हमें प्रारंभिक जोखिम कारकों की पहचान करनी होगी और इसका निवारण करना होगा और इस रणनीति को सफल होने के लिए हमें डायग्नोस्टिक जांच और चिकित्सकीय परामर्ष के द्वारा नियमित रूप से स्वास्थ्य की स्थिति की व्यापक समीक्षा कराने की जरूरत है।’’ 

1.2 अरब की भारी आबादी वाला देष भारत गैर संचारी रोगों (एनसीडी) के मामले में दुनिया में काफी आगे है। यह तथ्य भारत की गरीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए एक अभिषाप रहा है। कम संसाधन होने के कारण हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह या पुराने फेफड़ों के रोग के इलाज के लिए स्वास्थ्य देखभाल की लागत परिवारों की जमा पूंजी को खत्म कर निर्धन बना देती है। विष्व स्वास्थ्य संगठन के 2008 के एक आंकड़े के अनुसार भारत में गैर संचारी रोगों के कारण होने वाली मृत्यु की दर 701 - 800 प्रति लाख है और इसके अलावा एक लाख में 400 लोगों की मृत्यु के लिए कोरोनरी धमनी रोग (सीवीडी) जिम्मेदार है। भारतीय कोरोनरी धमनी रोग की जल्द शुरुआत, उच्च मृत्यु दर, पेट के मोटापे के अधिक प्रकोप और उच्च रक्तचाप के लिए जाने जाते हैं। हालांकि व्यायाम, आहार में नियंत्रण और जीवनषैली में बदलाव के संतुलित मिश्रण से कई लोगों में कोरोनरी धमनी रोग को रोका जा सकता है। इसलिए दुनिया इसके रोकने के तरीकों से लेकर इसकी भविश्यवाणी और रोकथाम पर ध्यान केंद्रित कर रही है। ऐसा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि विशेष बीमारियों के लिए जोखिम की पहचान व्यक्ति को एहतियाती उपाय करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय देता है।

उच्च रक्तचाप दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और यह कोरोनरी धमनी रोग और सेरेब्रोवैस्कुलर रोग के लिए एक जोखिम कारक है। वयस्क में उच्च रक्तचाप का बढ़ना जीवन में बहुत पहले शुरू हो सकता है इसलिए बच्चों को समय के साथ अपने रक्तचाप की स्थिति को सामान्य बनाए रखना जरूरी है। उच्च रक्तचाप तब होता है जब धमनियों में रक्त प्रवाह का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है। बढ़ा हुआ रक्तचाप अधिक खतरे वाली स्थिति है जिसके कारण भारत में स्ट्रोक से करीब 51 प्रतिषत और हृदय रोग से 45 प्रतिषत लोगों की मौत हो जाती है। यह कार्डियो-वैस्कुलर रोगों का एक बड़ा प्रमुख कारण है जिससे वर्श 2004 में 20 लाख 70 हजार लोगों की मौत हो गयी और वर्श 2030 में 40 लाख से अधिक लोगों की मौत होने का अनुमान है। उच्च रक्तचाप या बढ़े हुए रक्तचाप को हल्के ढंग से नहीं लिया जाना चाहिए। यह कुछ समय के बाद किसी भी व्यक्ति के सिस्टम पर कहर बरपा सकती है। यह किसी भी व्यक्ति में हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी और यहां तक कि अंधेपन का भी खतरा बढ़ाता है।

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