संसद हमले मामले के दोषी अफजल गुरू को फांसी के फंदे से लटकाए जाने के विवाद के बीच प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले दोषियों के परिजनों को सजा के बारे में पूर्व सूचना दी जानी चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर छिड़े विवाद को यह कहते हुए तवज्जो नहीं दी की कि पिछली घटनाएं दोहराई नहीं जानी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पहले से भी ऐसा प्रक्रिया रही है कि उन्हें सूचित किया जाना चाहिए और जहां तक मेरी जानकारी है उन्हें सूचित करने के लिए कदम उठाये गए। संसद भवन पर हमला मामले में दोषी ठहराये गए अफजल के परिवार को उसे फांसी के फंदे से लटकाए जाने से पहले सूचना नहीं दिए जाने के मददेनजर प्रधान न्यायाधीश की यह टिप्पणी आई है।
अफजल की दया याचिका को खारिज किए जाने और इसके बाद उसे फांसी दिए जाने से जुड़ी सूचना फांसी दिए जाने के दो दिन बाद उसके रिश्तेदारों को पहुंची थी। मुख्यमंत्री एवं उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के समापन पर प्रधान न्यायाधीश विधि मंत्री अश्विनी कुमार के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि विधि मंत्री ने ठीक ही कहा है कि ये ऐसे मुद्दे हैं जो बीत चुके हैं और मुझे लगता है कि इन चीजों को आज दोबारा नहीं उठाना चाहिए। लेकिन सिद्धांत हमेशा से रहा है कि परिजनों को इस बारे में सूचना दी जाए कि ये चीजें कब होंगी। हालांकि, कुमार ने इस विवाद में शामिल नहीं होने को वरीयता देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि मेरा व्यक्तिगत विचार मायने रखता है। विधि मंत्री होने के नाते मैं उन चीजों के बारे में बात करूंगा कि जो भविष्य में होंगी। ये ऐसे विषय हैं जो बहुत विषयनिष्ठ हैं। मैं टिप्पणी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि दया याचिका का मुद्दा शीर्ष न्यायालय में लंबित है और वह इस जैसे विषय पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें