उत्तराखंड की खबर (03 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 3 मई 2013

उत्तराखंड की खबर (03 मई)


बहुगुणा की हनक की राजनीति से अब शुरू हुई सनक की राजनीति!

देहरादून, 3 मई। बीते 15 माह से हनक से राजनीति कर रहे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अचानक सनक की राजनीति पर उतर आए हैं। देर रात प्रदेश की नौकरशाही को एक बार फिर ताश के पत्तों की तरह फेंट दिए जाने के राजनैतिक गलियारों में कई मायने लगाये जा रहे हैं। बीते दिन तक जहां उनके चहते प्रमुख सचिव राकेश शर्मा के मुख्य सचिव बनने की चर्चाओं का बाजार गर्म था लेकिन बीती रात ऐसा क्या हो गया कि जिस मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री बनते ही बहुगुणा ने दरकिनार कर दिया था उन्हें ही एक बार फिर मुख्य सचिव बनाना पड़ा। गौरतलब हो कि बीते दिन देर रात मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की नौकरशाही में भारी फेरबदल किया गया। कल तक मुख्यमंत्री के सबसे चहते व प्रदेश में कई विभागों पर एक छत्र साम्राज्य चलाने वाले व भ्रष्टाचार के लिए चर्चित वरिष्ठ आईएएस को मुख्यमंत्री ने दूध की मक्खी की तरह किनारे कर डाला। मुख्यमंत्री के सबसे करीबी अधिकारी के इस तरह हटाए जाने से प्रदेश के आईएएस बिरादरी भी सकते में है। मुख्यमंत्री के इस कदम से कल तक ताकतवर अधिकारी के रूप में स्थापित राकेश शर्मा के पर कतरे जाने से राज्य के राजनीतिक हलकों में भी चर्चाएं गर्म हैं। चर्चाओं के अनुसार प्रदेश में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के अपेक्षित परिणाम न आने का ठीकरा मुख्यमंत्री ने आलाकमान का ध्यान हटाने के लिए राकेश शर्मा का सिर फोड़ा है। चर्चाएं तो यहां तक है कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जिस हनक से अब तक प्रदेश में काम कर रहे थे जनता को उनकी वह हनक पंसद नहीं आई यही कारण रहा कि प्रदेश की जनता ने स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को आईना दिखा दिया। यहीं कारण है कि मुख्यमंत्री के निर्णयों में अब सनक की राजनीति दिखाई देने लगी है। पिछले 12 घंटों में ब्यूरोक्रेसी में हुये परिवर्तन को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। खासतौर पर मुख्य सचिव के पद पर एकाएक फेरबदल को लेकर इस तरह की बात उठ रही है। एक तरफ बीती रात राकेश शर्मा के भारी भरकम विभाग छीन लिए जाने के पीछे उनके समर्थक यह प्रचारित कर रहे थे कि शर्मा को मुख्य सचिव बनाया जा रहा है। लेकिन आज अचानक सुभाष कुमार की ताजपोशी होने के बाद राकेश शर्मा की स्थिति उस बेवा जैसी हो कर रह गयी है जो डोली चढ़ने से पहले विधवा हो गयी हो। सूत्रों के अनुसार सुभाष कुमार की ताजपोशी उनके पर्वतीय और उनके राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की व्यापक जानकारी होने के नाते कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर की गयी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सुभाष कुमार के सेवा काल का अधिकांश समय उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ही गुजरा है और उन्हें राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों व यहां की संस्कृति, सांस्कृतिक परिवेश व समाज की गहरी समझ भी है। यहीं कारण रहा है कि प्रदेश सरकार को उन्हें एक बार फिर मुख्य सचिव बनाना पड़ा।

बहुगुणा और आर्य के लिए मुसिबत बनेगी हार!

देहरादून, 3 मई। भले ही प्रदेश कांग्रेस संगठन और सरकार के साथ ही कांग्रेस हाईकमान सूबे में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में मिली हार के मंथन की बात कर रहे हों और इस चुनाव को ज्यादा महत्व वाला चुनाव न मान रहे हों, लेकिन इस चुनाव में मिली हार मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य के लिए मुसिबत बन सकती है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इन चुनावों में भले ही हाईकमान इतना ज्यादा ध्यान न दे रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य के विरोधियों ने अब कर रणनीति तैयार कर ली है जिसके तहत प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने और सरकार की असफलता को लेकर मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़े किया जाना तय है, वहीं अब ये विरोधी प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पूरा जोर लगाने में जुट गए हैं। कांग्रेस भले ही नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव परिणामों को उतनी गंभीरता से न ले रही हो, लेकिन राज्य के जिन छह नगरों में मेयर पदों पर कांग्रेस को करारी हार मिली है वह अपने आप में एक गंभीर विषय है। इन छहः मेयर पदों के साथ ही गैरसैंण नगर पंचायत को लेकर कांग्रेस में खासा हो-हल्ला हो रखा है। वहीं कांग्रेस की गैरसैंण में हार सबसे हैरानी की बात है, कांग्रेस सरकार द्वारा यहां कैबिनेट की बैठक आयोजित करने से लेकर विधानसभा भवन बनाने तक की कवायदों के बावजूद भी नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं सांसद सतपाल महाराज से लेकर केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत अथवा मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा या फिर खुद प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य के साथ ही संसदीय कार्य मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक जैसे कोई भी नेता अपने क्षेत्र में कांग्रेस का झण्डा नहीं लहरा पाए।

जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक विधायक के आगे नतमस्तक: मर्तोलिया

पिथौरागढ़/देहरादून, 3 मई । भाकपा (माले) के जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए पिथौरागढ़ के पुलिस-प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि धारचूला के विधायक हरीश धामी के खिलाफ न्यायालय के द्वारा जारी गैरजमानती वारंट को तामिल तक नहीं किया गया। उसके बाद न्यायालय ने विधायक को फरार मानते हुए 23 मार्च 2013 को विधायक हरीश धामी की संम्पत्ति कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए। एक माह बीत जाने के बाद भी जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक विधायक के आगे नतमस्तक है। विधायक तथा राज्य के मुख्यमंत्री के तले जिले का पुलिस व प्रशासन का महकमा दबा हुआ है। वह स्वतंत्र तरीके से कार्य नहीं कर रहा है। दबंगई दिखाने वाले विधायक को पुलिस -प्र्रशासन ने खुली छूट दे रखी है। माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने पार्टी के जिला कमेटी के सदस्यों के साथ स्थानीय पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में विधायक हरीश धामी ने मुनस्यारी में पुलिसकर्मियों, महिलाओं, व्यापारियों तथा बच्चों के साथ मारपीट की थी। जौहार क्लब की खेल प्रतियोंगिता में खलल डालने के बाद उक्त दबंगई के खिलाफ मुनस्यारी थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506, 427 के अर्न्तगत मुकदमा दर्ज किया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट डीडीहाट के न्यायालय में फौजदारी संख्या 853/2007 के अर्न्तगत सरकार बनाम हरीश धामी आदि के खिलाफ वाद चल रहा है। न्यायालय में लगातार अनुपस्थित रहने के कारण विधायक हरीश धामी के खिलाफ बतौर अभियुक्त 8 नवंबर 2012 को न्यायलय ने गैर जमानती वारंट जारी किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने नवंबर से लेकर मार्च माह तक गैरजमानती वारंट को तामील तक नहीं किया। पिथौरागढ़ पुलिस ने विधायक धामी को गनर तक उपलब्ध कराया है। विधायक धामी विधानसभा, सरकारी बैठकों में भाग लेने के अलावा खुलेआम घूम रहे है। जिसकी जानकारी पूरे महकमे को है। उसके बावजूद विधायक को इस तरह की खुली छूट देना जिले के डीएम तथा एसपी की मिलीभगत को उजागर करती है। उन्होने बताया कि मदकोट में 10 मार्च को हुए शिवरात्रि महोत्सव में विधायक की मौजूदगी में पुलिस के डी.आई.जी पिथौरागढ़ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहते है लेकिन उन्हें न्यायालय द्वारा गैरजमानती वारंट के रूप में घोषित किया गया अभियुक्त वर्तमान विधायक नजर नहीं आता है। जिला सचिव ने बताया कि नवंबर से लेकर मार्च तक पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते न्यायालय के गैरजमानती वारंट से बच रहे विधायक हरीश धामी को 23 मार्च 2013 को न्यायिक मजिस्ट्रेट डीडीहाट द्वारा उसकी संम्पत्ति की कुर्की करने का आदेश जारी किया गया है। न्यायालय ने अभियुक्त हरीश धामी के विरूद्व गैर जमानती अधिपत्र, नोटिस, जामीनान अर्न्तगत धारा- 82 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंर्तगत फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा करते हुए धारा 83 के अर्न्तगत फरार विधायक हरीश धामी की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है। खुलेआम घूम रहे विधायक को न्यायालय ने फरार माना है लेकिन विधायक सरकारी कार्यक्रमों में भागीदार रहने साथ ही निकाय चुनाव में खुलेआम घूमते हुए दिखे है। इसने जिले के पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की ईमानदारी पर प्रश्न खड़े कर दिए है। यह साबित कर दिया है कि जिले के जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक सत्ता के दबाव में बेईमान हो गए है। उन्होंने कहा कि पुलिस व प्रशासन के अधिकारी एक माह की अवधि बीत जाने के बाद भी विधायक हरीश धामी की संपत्ति कुर्क नहीं कर पाए है। निकाय चुनाव में धारा 144 वाले क्षेत्रों में विधायक धामी पुलिस सुरक्षा में घुमते हुए नजर आए। 23 मार्च 2013 के आदेश में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी को यह टिप्पणी भी भेजी है कि उनके अधिनस्थ अधिकारियेां/ कर्मचारियों द्वारा न्यायालय के आदेश का अनुपालन कठोरता से नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक कानून के रक्षा करने के लिए तैनात है कि अभियुक्त विधायक को बचाने के लिए इसका जवाब इस देश के नागरिकों को चाहिए। प्रेस वार्ता में भाकपा माले के जिला प्रवक्ता गोंविन्द कफलिया, नगर सचिव सुशील खत्री, छात्रसंघ अध्यक्ष हेमंत खाती, किसानमहासभा विण के संयोजक हीरा सिंह मेहता मौजूद थे।

पी.के. जोशी के निधन पर किया शोक व्यक्त

देहरादून, 3 मई। उत्तराखण्ड पुलिस में पुलिस महानिरीक्षक के पद से सेवा निव्त्त श्री पी0 के0 जोशी सेवानिवृत्त आई0पी0एस0 का शुक्रवार को लम्बी बीमारी के उपरान्त निधन हो गया है श्री जोशी जनपद अल्मोड़ा के निवासी थे तथा इनका जन्म 09.06.1947 को हुआ था। श्री जोशी वर्ष 1976 में उत्तर प्रदेश पुलिस में राज्य पुलिस सेवा में चयनित हुए तथा सेवा काल के आरम्भ में पी0टी0सी0 व विभिन्न जनपदों में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्त रहे। तथा दिनांक 01.02.1991 को भा0पु0से0 में प्रोन्नत हुए। उत्तराखण्ड राज्य में उन्होने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून, पुलिस उपमहानिरीक्षक नैनीताल परिक्षेत्र, पुलिस उपमहानिरीक्षक पी0ए0सी0, पुलिस उपमहानिरीक्षक अर्द्धकुम्भ मेला हरिद्वार, पुलिस महानिरीक्षक अभिसूचना/सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत रहे तथा जून 2007 में सेवानिवृत्त हुए। इन्हे वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। श्री जोशी के परिवार में उनकी पत्नि व दो पुत्र है। श्री जोशी के निधन पर उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, संसदीय कार्य मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक, चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. हरक सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूडी, पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट सहित उत्तराखण्ड पुलिस परिवार द्वारा उनके इस आकस्मिक निधन पर गहरा दुखः प्रकट करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की गई।

अब वाहन कर जमा करने के लिए परिवहन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं, वाहनों का कर अब ऑन लाइन जमा होगा

देहरादून, 3 मई । देश व प्रदेश के वाहन स्वामी अपने वाहनों का कर अब ऑन लाइन जमा कर सकेंगे। वाहन स्वामियों को वाहन कर जमा करने के लिए अनावश्यक रूप से परिवहन कार्यालय नही जाना होगा। परिवहन विभाग में ई-पेमेंट व्यवस्था का शुभारम्भ प्रदेश के परिवहन मंत्री सुरेन्द्र राकेश ने स्थानीय होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में किया। अपने सम्बोधन में राकेश ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का 13वां राज्य होगा जहां के परिवहन विभाग मंें ऑनलाइन व्यवस्था प्रारम्भ कर दी गयी है। इस व्यवस्था के लागू होने से जहां प्रदेश के राजस्व में आशातीत वृद्वि होगी वहीं वाहन स्वामी एवं जनसाधारण को आरटीओ कार्यालय के अनावश्यक चक्कर नहीं लगाने होंगे साथ ही इससे उनके धन एवं समय की भी बचत होगी। उन्होने कहा कि इस व्यवस्था से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन के विकास के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढेगे। इस व्यवस्था के चलते बाहर से आने वाले पर्यटक अपने वाहनों का टैक्स ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। कर के ऑनलाइन होने से परिवहन सेवाएं और अधिक सुगम, त्वरित एवं जनपयोगी हो सकेंगी। इस व्यवस्था के लागू होने से प्रदेश के परिवहन विभाग में नयी क्रान्ति का आगाज हुआ है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए उन्होने परिवहन महकमें के अलावा एनआईसी तथा भारतीय स्टेट बैंक को भी बधाई दी। उन्होने बताया कि भविष्य में स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण व्यवस्था को भी जल्द ही ऑनलाइन किया जायेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जीपीआरएस सिस्टम की भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होने बताया कि परिवहन विभाग मंे लक्ष्य से अधिक राजस्व वसूल कर कीर्तिमान स्थापित किया है। इसी प्रकार परिवहन निगम की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होने कहा कि बिना बस का किराया बढाये परिवहन निगम के 25 करोड़ रूपये के घाटे को कम किया गया है। वर्तमान में यह घाटा मात्र 12 करोड रूपये शेष रह गया है। परिवहन निगम की आय बढाने के लिए नयी बसों का बेडा भी शामिल किया जा रहा है। कार्यक्रम में सचिव परिवहन डॉ उमाकांत पंवार, अपर सचिव नितेश झा, उपमहानिदेशक एनआईसी डॉ. गौतम घोष, उप महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक भगवत सिंह, निदेशक एनआईसी, डॉ. बीआर शुक्ला के अलावा सम्भागीय परिवहन अधिकारी सनत कुमार सिंह, सुधाशुं गर्ग, सहायक परिवहन अधिकारी दिनेश चन्द्र पठोई, राजीव मेहरा, संदीप सैनी के अलावा बडी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ निदेशक एनआईसी डॉ.एसपी कुलश्रेष्ठ द्वारा किया गया।

जौनसार-बावर में अतिरिक्त बसें चलाने की मांग

देहरादून, 3 मई । न उत्तराखंड परिवहन निगम की ही बसें जौनसार-बावर क्षेत्रों के अधिकांश रूटों पर संचालित हो रही हैं और नहीं प्राइवेट बसें। क्षेत्रवासियों को बसों का संचालन न होने से खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बसों के अभाव में क्षेत्रवासियों के लिए आवागमन का एकमात्र साधन यूटिलिटी हैं। लोग जान-जोखिम में डालकर यूटिलिटी में लटकर जाने को मजबूर हैं। बसों का भारी टोटा जौनसार-बावर क्षेत्र में है, क्षेत्र के कई मार्गों पर न परिवहन निगम की बसें चलती हैं और न ही निजी बसें संचालित हो रही हैं। परिवहन निगम द्वारा क्षेत्र के विभिन्न रूटों पर कुछ वर्षों पूर्व 15 बसें लगाई गई। थीं लेकिन यह बसें कुछ समय ही चली, पिछले तीन वर्षों से क्षेत्र के रूटों पर एक बस ही संचालित हो रही है, शेष बसें बंद हो चुकी हैं। बसों के अभाव में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर यूटिलिटी की छतों पर बैष्कर सफर करने को मजबूर हैं। बसें न चलने क्षेत्रवासियों को आवागमन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साहिया-पजिटिलानी, बैराटखाई-बिसोगलानी, कालसी-खंडकांडी, कोटा-डिमऊ, कालसी-लखवाड़, नागताथ-कालसी, हाजा-दसोई-फिडोलानी, देहरादून-माक्टी मोटर मार्ग पर एक भी बस का संचालन नहीं हो रहा है। इन मोटर मार्गों से क्षेत्र के कई गांव जुड़े हुए हैं। बसें संचालित न होने से लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक साल पूर्व उत्तराखंड परिवहन निगम द्वारा जौनसार-बावर क्षेत्र के विभिन्न रूटों के लिए 15 बसें शुरू की गई थीं लेकिन ये बसें एक माह भी नहीं चलीं और बीच में ही बंद हो गई। वर्तमान में कालसी-साहिया मोटर मार्ग पर निगम की मात्र एक बस का संचालन हो रहा है। यह बस कालसी से साहिया के लिए सायं पांच बजे निकलती है। बसों के अभाव में क्षेत्रवासियों को यूटिलिटी की छतों पर लटककर सफर करना पड़ता है। क्षेत्र के रूटों पर यूटिलिटी में 50-50 सवारी लटक के जाती हैं, जिस कारण दुर्घटना की बराबर आशंका बनी रहती है। यूटिलिटी में क्षमता से अधिक सवारी बैष्ने पर क्षेत्र में आए दिनों दुर्घटनाएं हो रही हैं। जौनसार-बावर महासभा के अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी, केएस पंवार, रणवीर सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि क्षेत्र के रूटों पर बसों के संचालन के संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को लिखा जा चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

वनों में बहुमूल्य वन संपदा लावारिस हालत में 

देहरादून, 3 मई । खत वनों की सुरक्षा देहरादून जनपद के जौनसार-बावर क्षेत्र में भगवान भरोसे है। न वन विभाग और न ही राजस्व विभाग इन वनों की सुरक्षा व्यवस्था की अपनी जिम्मेदारी समझता है। इसके चलते वनों में बहुमूल्य वन संपदा लावारिस हालत में पड़ी है। सुरक्षा के अभाव में इन वनों में धड़ल्ले से अवैध कटान चल रहा है। ब्रिटिश काल में क्षेत्र के वनों को तीन श्रेणियों में बांटा गया था, इसमें प्रथम श्रेणी के वनों को पूरी तरह से सरकारी संपत्ति माना गया जिनको कि आरक्षित वन कहा जाता है। द्वितीय श्रेणी के वनों को सरकारी देख-रेख में तो रखा गया, लेकिन इनके कुछ अधिकार जौनसार-बावर क्षेत्र की जनता को भी दिए गए। तृतीय श्रेणी के वन जिन्हें कि खत वन कहा जाता है इनको पूरी तरह जनता को दे दिया गया, लेकिन उनमें वन लकड़ी का उपयोग केवल घरेलू कार्यों में ही करने का उल्लेख किया गया था। 19 सितंबर 1918 में जारी किए गए आदेश द्वारा प्रथम व द्वितीय श्रेणी के वनों का अंतर हटाकर वे पूरी तरह आरक्षित माने गए और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से वन विभाग को सौंप दी गई। जबकि तृतीय श्रेणी के वनों की सुरक्षा का जिम्मा औपचारिक रूप से राजस्व विभाग को दिया गया। इन अनारक्षित वनों की देखभाल के लिए शासन स्तर से कोई धनराशि आवंटित नहीं की जाती है, जिस कारण ये वन लावारिस हालत में हैं। इन खत वनों में बेरोकटोक अवैध पातन होता रहता है। जौनसार-बावर क्षेत्र में खत वन 3898.52 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले हुए हैं। इन वनों देवदार, बांज, बुरांस, कैल आदि के पेड़ हैं। लावारिश हालत में होने के कारण इन वनों में धड़ल्ले से अवैध पातन हो रहा है। सैकड़ों पेड़ तस्करी के लिए काटे जा चुके हैं। ब्रिटिश काल में जो अधिकार जौनसार-बावर के लोगों को इन वनों के मिले थे, वे समाप्त कर दिए गए, जिस कारण स्थानीय लोग भी इन्हें अपनी संपदा नहीं मानते।

ईको सेंसेटिव जोन के विरोध में प्रधानमंत्री से मिलेगा राज्य प्रतिनिधि मंडल 

देहरादून, 3 मई। ईकों सेंसेटिव जोन को लेकर मुख्यमंत्री सहित राज्य कैबिनेट के कई मंत्री छह मई को प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से मिलने दिल्ली जाएंगे। यह बात आज यहां विजय बहुगुणा ने पत्रकारों से एक मुलाकात के दौरान कहीं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक केंद्र सरकार द्वारा ईकों सेंसेटिव जोन उस क्षेत्र के विकास के खिलाफ है ईको सेंसेटिव जोन घोषित हो जाने के बाद इस क्षेत्र का विकास कार्य रोक जाएगा। लिहाजा राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया कि प्रदेश सरकार अपना पक्ष केंद्र के सामने रखेगी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य के सांसदों से अपेक्षा की है कि छह मई को प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में राज्य के पांचों सांसदों को भी शामिल होना चाहिए।



(राजेन्द्र जोशी)

कोई टिप्पणी नहीं: