बिहार में निगरानी विभाग ने इस वर्ष अप्रैल तक नौ मामलों में ट्रायल के उपरांत 26 अभियुक्तों को सजा दिलवाई है तथा 14 ट्रैप कांडों में 14 लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है तथा शिकायतकर्ता को 1़ 60 लाख रुपये लौटाए गए हैं। पटना में पत्रकारों को जानकारी दते हुए निगरानी विभाग के प्रधान सचिव एस.के. नेगी ने गुरुवार को बताया कि बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 के तहत अवैध संपत्ति अधिहरण के लिए विशेष न्यायालयों में 49 मामले दायर किए गए हैं। इनमें से चार मामलों में संपत्ति जब्त कर उनमें सरकार के निर्णयानुसार विद्यालय या छात्रावास खोल दिए गए हैं।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा वर्ष 2006 से 2010 तक कुल 25 मामलों के निष्पादन किया गया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 से 2010 तक 394 ट्रैप कांडों में 458 गिरफ्तारियां की गई हैं। ब्यूरो के स्तर से वर्ष 2012 से अप्रैल 2013 तक 10 आय से अधिक संपत्ति तथा पद दुरुपयोग संबंधी 27 कांड दर्ज किए गए हैं।
नेगी ने बताया कि इस विभाग के चार विंग निगरानी ब्यूरो, तकनीकी परीक्षक, कोषांग, विशेष निगरानी तथा विद्युत बोर्ड निगरानी कोषांग हैं। उन्होंने बताया कि विशेष निगरानी इकाई निगरानी विभाग के द्वारा प्रत्यानुपातिक धनार्जन के छह मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से दो मामलों में बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 के तहत अवैध अर्जित संपत्ति जब्त है, तीन मामले विभिन्न न्यायालय स्तर पर चल रहे हैं तथा एक मामला अनुसंधानरत है।
पूर्व से कार्यरत चार विशेष न्यायालयों के अतिरिक्त छह और ऐसे विशेष न्यायालयों के संचालन किया जा रहा है जो पटना, मुजफ्फरपुर तथा भागलपुर में कार्यरत हैं। ट्रैप की राशि शिकायतकर्ता को वापस करने संबंधी मामले में बताया कि वर्ष 2011 में 10,32,500 रुपये, वर्ष 2012 में 8,65,800 रुपये तथा इस वर्ष अब तक 1़ 60 लाख रुपये लौटाए गए हैं।
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