हौसला बुलंद हों तो बगैर पंख के भी आसमान छुआ जा सकता है और मध्य प्रदेश के दमोह जिले की दृष्टिहीन छात्रा सृष्टि तिवारी ने इस मान्यता को सच कर दिखाया है। वह भले देख नहीं सकती, लेकिन दुनिया जीतने का जज्बा रखती है। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कला समूह में सृष्टि ने पूरे प्रदेश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। उसने परीक्षा में 500 में से 481 अंक हासिल किए है। पढ़ाई और संगीत सुनने में रुचि रखने वाली सृष्टि ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में भी दृष्टि बाधित संवर्ग में शीर्ष स्थान हासिल किया था।
वह अपनी सफलता से खुश हैं और आगे भी यह सिलसिला जारी रखना चाहती है। सृष्टि अपने नाना-नानी के पास रहकर पढ़ाई कर रही है तथा उसे इस दौरान अपने नाना-नानी का काफी साथ मिला है। वह कहती है कि उसके जैसे हर जरूरतमंद को इसी तरह का प्यार मिले तो वह भी बेहतर नतीजे दे सकता है। शारीरिक समस्या सफलता में बाधक नहीं बन सकती। सृष्टि की मां सुनीता तिवारी गृहिणी और पिता सुनील तिवारी सरकारी कर्मचारी है। उसके नाना-नानी वीरेंद्र और पुष्पा बताते हैं कि सृष्टि का पढ़ाई पर विशेष जोर रहता है और नातिन को पढ़ाने में उन्हें सुख की अनुभूति होती है।
एक तरफ जहां नाना-नानी सृष्टि की सुविधाओं का ख्याल रखते हैं, वहीं मामा सुधीर व संजय नोट्स बनाते हैं। इन नोट्स को पढ़कर नाना-नानी सुनाते हैं। वे कहते हैं कि सृष्टि की खूबी है कि वह एक बार जिस बात को सुन लेती है उसे कभी भूलती नहीं है। यही कारण है कि उसे जो भी अध्याय सुनाया गया, उसे वह याद रहा और परीक्षा में उसी के मुताबिक नतीजा आया है।
शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा के दौरान उसकी कॉपी लिखने के लिए सहायक उपलब्ध कराय गया था। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं एवं 10वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए हैं। 12वीं की परीक्षा में जहां लड़कियां ने बाजी मारी वहीं 10वीं परीक्षा में लड़के आगे रहे।
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