कैंसर, डायबिटीज, हृदय व अन्य गंभीर रोगों से जूझ रहे गरीब मरीजों को जल्द राहत मिलने वाली है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जारी अध्यादेश के बाद 348 तरह की दवाओं को ड्रग प्राइस कंट्रोल एक्ट के दायरे में लाया गया है। अब डेढ़ से दो माह के अंतराल में ये दवाएं पहले से 60 से 70 प्रतिशत कम दाम पर मिल सकेंगी। इन दवाओं का मूल्य नियंत्रण न होने से दवा कंपनी व दवा विक्रेता मुनाफा घटने से निराश हैं। देश में जरूरी दवाओं के दामों पर नियंत्रण के लिए ड्रग प्राइस कंट्रोल एक्ट बना है। अब तक केवल 76 दवाएं ही इस एक्ट के दायरे में थीं। वहीं, 348 तरह की जीवनरक्षक दवाएं मनमाने दामों पर बिक रही थीं। इसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई थी।
मामले की सुनवाई में यह बात सामने आई कि कंपनियां दवा के कारोबार में 800 से 1200 प्रतिशत तक मुनाफा कमा रही हैं। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को 348 जरूरी दवाओं के दामों पर नियंत्रण के आदेश दिए गए थे। इस कड़ी में बीते दिनों इन दवाओं को डीपीसीए के दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। फुटकर दवा व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय मेहरोत्रा के मुताबिक, मूल्य नियंत्रण होने के बाद नए बैच की दवाएं बाजार में आने तक डेढ़ से दो माह का वक्त लग सकता है। इस अवधि के बाद मरीजों को पहले से 60 से 70 प्रतिशत कम दाम पर दवाएं मिल सकेंगी।
मेहरोत्रा ने बताया कि जब 348 दवाओं के दामों पर नियंत्रण नहीं था, उस दौरान थोक विक्रेता को 10 प्रतिशत व फुटकर विक्रेता को 20 प्रतिशत मुनाफा मिलता था। अब यह मुनाफा घटकर 8 व 16 प्रतिशत हो जाएगा। उन्होंने बताया कि कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दर्द, बुखार, हृदयरोग, एलर्जी, न्यूरो रोग, मनोरोग, तनाव व कई तरह की एंटीबायोटिक दवा, ओआरएस घोल व ग्लूकोज तो सस्ते होंगे ही, बीसीजी वैक्सीन, डीपीटी टीका, रैबीज वैक्सीन, एंटी स्नेक वैक्सीन तथा विटामिन ए और डी की गोलियां भी सस्ती होंगी।
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