कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 61 फीसद वोटिंग की सूचना है. सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ शाम 6 बजे तक हुआ. भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का टक्कर चल रहा है. दोनों पार्टियां सरकार बनाने का दावा कर रही है. भाजपा की सरकार होने का बाद भी येदुरप्पा की बगावत से भाजपा को नुकसान हो सकता है. वहीं कांग्रेस में अंदरुनी टूट का असर पड़ सकता है.
कर्नाटक में 224 विधानसभा सीट हैं लेकिन मैसूर में भाजपा उम्मीदवार के निधन की वजह से एक सीट पर चुनाव टल गया है. चुनाव आयोग ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से चुनाव संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं. कुल 9954 मतदान केंद्रों की पहचान अतिसंवेदनशील, 14 209 केन्द्रों की संवदेनशील और 27 287 केन्द्रों की सामान्य केंद्रों के रूप में पहचान की गई है.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बिपिन गोपालकृष्णा ने बताया कि नक्सल प्रभावित 149 बूथों पर अतिरिक्त केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है. कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनिल कुमार झा के अनुसार करीब 2.5 लाख राज्य कर्मचारी और स्टाफ को चुनावी ड्यूटी पर लगाया गया है. चुनाव मैदान में कुल 2939 उम्मीदवार हैं जिनमें 170 महिला उम्मीदवार हैं. कांग्रेस 223, भाजपा 222, जद एस 221, राकांपा 24, बसपा 174, भाकपा 08 और माकपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं.
चुनाव मैदान में 1222 निर्दलीय उम्मीदवार हैं और शेष उम्मीदवार कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) और बीएसआर कांग्रेस समेत क्षेत्रीय पार्टियों से है. मतदान सुबह सात बजे शुरू होकर शाम छह बजे तक चला. मतगणना आठ मई को होगी. मतगणना के लिए 35 केंद्र बनाए गए थे.
जिन प्रमुख उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का रविवार को फैसला होगा उनमें मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, उपमुख्यमंत्री आर अशोक, उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रमुख जी परमेश्वर, विपक्ष के नेता सिद्धरमैया और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी श्रीनिवास प्रसाद शामिल हैं. मुख्य मुकाबला वर्ष 2008 में इस दक्षिण भारतीय राज्य में पहली बार सरकार बनाने वाली भाजपा, कांग्रेस और जद (एस)के बीच है. हालांकि भाजपा छोड़कर कर्नाटक जनता पक्ष पार्टी बनाने वाले येदियुरप्पा और भाजपा के पूर्व मंत्री बी श्रीरामलु भी चुनाव मैदान में अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाएंगे.
कांग्रेस को करीब 10 वर्षो के बाद राज्य में सत्ता पर फिर से काबिज होने की उम्मीद है तो भाजपा ने विकास को लेकर अपना अभियान चलाया है. हालांकि भाजपा को राज्य में अपने पांच वर्षो के शासनकाल में तीन मुख्यमंत्रियों को बदलना पड़ा और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे.
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