महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऑक्ट्रॉय की जगह स्थानीय निकाय कर (एलबीटी) लगाने के विरोध में मुम्बई के 15 लाख से अधिक व्यापारी मंगलवार को दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। मुहल्ले की खुदरा दुकानें, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, धातु, परिधान, अनाज, फल और सब्जियों के थोक व्यापार तथा सभी प्रकार की विनिर्माण गतिविधियों के बंद रहने से लाखों ग्राहकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष मोहन गुरमानी ने कहा कि मुम्बई में पांच लाख थोक कारोबारी और व्यापारी और 10 लाख से अधिक खुदरा कारोबारी मंगलवार से हड़ताल में शामिल हैं। औषधि जैसी आवश्यक वस्तुओं के कारोबारी इसमें शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 1979 की प्रसिद्ध अखिल भारतीय हड़ताल के बाद यह सबसे बड़ी हड़ताल है। उन्होंने कहा कि मुम्बई और राज्य के अन्य हिस्सों के व्यापारी समुदाय ने बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया है।
मुम्बई की फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडस वेलफेयर एसोसिएशन (एफआरबीडब्ल्यूए) महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों के 10 लाख से अधिक हड़तालियों के साथ जुड़ गई है, जो कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की अपील पर 22 अप्रैल से ही हड़ताल या प्रदर्शन कर रहे हैं। एफआरटीडब्ल्यूए के प्रमुख विरेन शाह ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ''यदि राज्य सरकार एलबीटी को वापस नहीं लेती और ऑक्ट्रॉय को फिर से शुरू नहीं करती है, तो इसका मतलब है सिर्फ मुम्बई में ही रोज करीब 50 लाख रुपये का नुकसान।''
महाराष्ट्र के अधिकतर हिस्सों में ऑक्ट्रॉय की जगह एलबीटी एक अप्रैल से लागू हो गया है, जबकि मुम्बई में यह एक अक्टूबर से लागू होगा। राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने हालांकि सोमवार शाम को कहा था कि व्यापारियों की मांग के बावजूद एलबीटी लागू होगा।
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