बीजेपी से सस्पेंड किए गए लीडर और सीनियर वकील राम जेठमलानी ने प्रतिबंध के बावजूद मंगलवार को पार्टी की संसदीय दल की बैठक में पहुंच गए। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में जेठमलानी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह यूपीए पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर नरम रुख अख्तियार किए हुए है। गौरतलब है कि हर हफ्ते होने वाली बीजेपी संसदीय पार्टी की बैठक में राम जेठमलानी को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है।
जेठमलानी जब पार्टी के रुख की आलोचना कर रहे थे, उस समय बैठक में लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, जेठमलानी ने सुझाव दिया कि बीजेपी को सरकार को जोरदार ढंग से घेरना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के रुख से ऐसा लगता है कि वह सत्ताधारी पार्टी के साथ खड़ी है। जेठमलानी ने यह भी पूछा कि उन्हें निलंबित किए जाने के संबंध में 3 महीने का नोटिस दिया गया और समय गुजर जाने के बाद भी कोई अंतिम फैसला क्यों नहीं हुआ?
पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने स्वीकार किया कि जेठमलानी बैठक में आए थे और उन्होंने कुछ ऐसी बातें कहीं, जो उचित नहीं थीं। उधर, पार्टी के कई नेताओं ने जेठमलानी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कुछ सांसदों का मानना है कि उन्हें 'कारण बताओ नोटिस' दिया जाए। वहीं अनंत कुमार, रविशंकर प्रसाद और शाहनवाज हुसैन जैसे नेताओं ने मांग की है कि जेठमलानी को पार्टी से निकाला जाए। पार्टी लीडरशिप का मानना है कि ऐसा करने से जेठमलानी की पार्टी को नुकसान पहुंचाने की क्षमता बढ़ जाएगी और वह राज्यसभा में अपने मनमाफिक कुछ भी बोल सकेंगे।
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