दादा साहब फाल्के पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंचीं माला सिन्हा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 3 मई 2013

दादा साहब फाल्के पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंचीं माला सिन्हा.


गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा माला सिन्हा दादा साहब फाल्के पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंचीं क्योंकि वह अपने प्रति पुरस्कार समिति के असम्मान से आहत थीं. उन्हें मंगलवार को दादा साहब पुरस्कार ग्रहण करना था लेकिन निमंत्रण पत्र पर उनका और उन्हें दिए जाने वाले पुरस्कार का कोई जिक्र नहीं था.
      
माला सिन्हा ने कहा, ‘‘मुझे कहा गया है कि मुझे फाल्के अकादमी पुरस्कार मिल रहा है लेकिन यह बिल्कुल चौंकाने वाली बात है कि मेरा नाम ही नहीं था और कौन सा पुरस्कार मुझे मिलेगा, उसका भी जिक्र नहीं था. मैंने तो पुरस्कार नहीं मांगा, उन्होंने ही मुझे यह देने का निर्णय लिया. मुझे पता नहीं कि मुझे कौन सा पुरस्कार मिल रहा है, यह बहुत अपमानजनक है. मैं खुद को ठगा महसूस कर रही हूं’’
      
‘प्यासा’ (1957), ‘धूल का फूल’ (1959), ‘दिल तेरा दिवाना’ (1962), ‘गुमराह’ (1963), ‘हिमालय की गोद में’ (1965), ‘आंखे’ समेत 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी माला सिन्हा ने कहा कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा जानी मानी गायिका आशा भोंसले और दिवंगत फिल्मकार यश चोपड़ा के नाम के साथ की गयी थी. उन्होंने 25 अप्रैल को पुरस्कार की घोषणा संबंधी संवाददाता सम्मेलन में भी हिस्सा लिया और वह यह पुरस्कार मिलने से काफी रोमांचित थीं.

कोई टिप्पणी नहीं: