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मंगलवार, 7 मई 2013

सरकारी बैंक और बीमा कम्पनियां भी धनशोधन में शामिल .


वित्तीय संस्थानों पर कोबरा पोस्ट के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप के कुछ ही घंटे बाद वित्त मंत्रालय ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों और एलआईसी से उन कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल कदम उठाने को कहा है जो केवाई और मानदंडों के उल्लंघन को लेकर ग्राहकों को गलत सलाह देते हैं।

वित्तीय सेवा सचिव राजीव टकरू ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तथा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रमुखों से कहा है कि मामले में जांच शुरू की जानी चाहिए और शीघ्रता से पूरी की जानी चाहिए। वहीं बीमा नियामक इरडा ने भी स्वतंत्र रूप से मामले की जांच शुरू करने की बात कही है।

इस साल मार्च में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक के खिलाफ कथित रूप में मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा करने के बाद खोजी साइट कोबरा पोस्ट ने कुछ और बैंकों व इंश्योरेंस कंपनियों पर काला धन को सफेद करने के कारोबार में शामिल होने का दावा किया। स्टिंग ऑपरेशन 'रेड स्पाइडर 2' के जरिए कोबरा पोस्ट ने दावा किया कि उसके पास 23 बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों के मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के सबूत हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये विडियो दिखाए भी गए।

स्टिंग ऑपरेशनों के जरिए कई सनसनीखेज खुलासा कर चुकी कोबरा पोस्ट का दावा है कि ब्लैक मनी को वाइट बनाने का धंधा हमारे बैंकिंग सिस्टम में समानांतर रूप से चल रहा है और इस मामले में सरकारी बैंक प्राइवेट बैंकों से पीछे नहीं है। कोबरा पोस्ट के अंडरकवर रिपोर्टर करीब छह महीने तक उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की खाक छानते रहे। इस दौरान उन्हें भारतीय फाइनैंशल सेक्टर में महामारी का रूप अख्तियार कर चुके हवाला कारोबार के धंधे के बारे में कई सनसनीखेज सबूत मिले। कई बैंकों के सीनियर अधिकारी कैमरे पर काला धन खपाने के लिए अंडरकवर रिपोर्टरों को टिप्स देते हुए रिकॉर्ड किए गए हैं।

पिछली बार कोबरा पोस्ट ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में प्राइवेट बैंकों की पोल खोली थी। इस बार उसके खुलासे में मुख्य रूप से सरकारी बैंकों को निशाना बनाया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, रिलायंस लाइफ, केनरा बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई, यस बैंक, एचडीएफसी, एक्सिस, आईसीआईसीआई, ओबीसी, इंडियन ओवरसीज बैंक, टाटा एआईजी, फेडरल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, डीसीबी बैंक, देना बैंक और धनलक्ष्मी बैंक में कोबरा पोस्ट के रिपोर्टरों ने स्टिंग करते हुए दावा किया है कि यहां पर नियमों का ताक पर रखकर हवाला का कारोबार चल रहा है।

नोएडा में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर पी. कुमार कैमरे पर कोबरा पोस्ट के अंडरकवर रिपोर्टर से कहते हुए दिखाए गए है कि 5-6 करोड़ की ब्लैक मनी खपाने के लिए 5-5 अकाउंट्स खुलवा लीजिए और उसमें धीरे-धीरे किस्तों में पैसे डालिए। वह कहते हैं कि सारे अकाउंट्स में अभी शुरू में 5-5 लाख ही डालना। उसके बाद वह तीन-चार लॉकर लेकर हरेक में करीब 40-50 लाख रुपये रखने की सलाह देते हैं। पंचकुला में एसबीआई की चीफ मैनेजर जे कौर को जब रिपोर्टर बताता है कि किसी नेता के 5 करोड़ इन्वेस्ट करने हैं, तो वह म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह देती हैं। इसके बाद जब उन्हें पता चलता है कि ब्लैक मनी निवेश करना है तो बैंक में तीन अकाउंट खुलवाने को कहती हैं और फिर सुरक्षित निवेश के तमाम विकल्प सुझाती हैं।

कोबरा पोस्ट के अनिरुद्ध बहल ने पहले चरण में उनके द्वारा किए गए खुलासों पर कोई खास कार्रवाई न करने पर रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय और बैंकों ने खुद को यह कहते हुए क्लीन चिट दे दिया था कि केवल केवाईसी नॉर्म्स का उल्लंघन हुआ था। बैंकों और आरबीआई का तर्क था कि स्टिंग ऑपरेशन में पैसे का ट्रांजैक्शन नहीं हुआ था, इसलिए हवाला कारोबार हुआ ही नहीं।

बहल ने कहा कि काले धन को सफेद करने के खेल में इंश्योरेंस कपंनियां बैंकों की पार्टनर हैं। उन्होंने बताया कि जिन बैंक के पास अपनी इश्योंरेंस कंपनी नहीं है उनका किसी न किसी के साथ गठजोड़ हैं। यस बैंक का बजाज अलियांज के साथ साझेदारी है, जो एक करोड़ रुपये से कम के निवेश पर निवेशकों से सवाल तक नहीं करती है। ऐसे निवेश कैश में कराए जाते हैं। अनिरुद्ध ने कहा, 'बैंक चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, जैसे ही हमने बताया कि ब्लैक मनी इन्वेस्ट करना है, उन्होंने तुरंत अपनी साझेदार इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजर को बुला लिया। यह बताता कि इस खेल में बैंकों के साथ-साथ इंश्योंरेस कंपनियां भी शामिल हैं।'

अनिरुद्ध बहल ने कहा कि इससे अटपटी कोई बात नहीं हो सकती है। हमारे पहले ऑपरेशन में बैंकों के अधिकारी अंडरकवर रिपोर्टरों से कैमरे पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की बात कबूल कर रहे हैं। ऑपरेशन के दूसरे पार्ट में भी हमने इसे और पुष्ट ही किया है। बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारी कैमरे पर कह रहे हैं कि वे अतीत में कई बार ऐसा कर चुके हैं और हमारे लिए भी करेंगे। यह साफ-साफ आईपीसी और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत अपराध है। इसमें कोई संदेह नहीं है। अनिरुद्ध ने यह सवाल भी उठाया कि अगर बैंकों की ही माल लें तो भी केवाईसी नॉर्म्स का पालन क्यों नहीं किया गया।

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