शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड (टेल्को) को निर्देश दिया है कि वह अपने एक ग्राहक को खराब कार बेचने के मामले में मुआवजे के तौर पर 2.5 लाख रुपये अदा करे।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश सुनाया। राज्य उपभोक्ता आयोग ने टेल्को को मुआवजा अदा करने का निर्देश दिया था।
एनसीडीआरसी ने अपने आदेश में कहा कि मई, 1999 से नवंबर, 2000 के बीच कार को 36 बार मरम्मत के लिए ले जाया गया और करीब करीब उसके हर पुर्जे में कोई न कोई समस्या थी जिसमें सबसे गंभीर समस्या इंजन में थी। आयोग ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता टेल्को और उसके सर्विस सेंटर ने वारंटी की अवधि समाप्त हो जाने के बाद इंजन बदला जिससे संकेत मिलता है कि इसमें जो भी खामियां थी वो इसके निर्माण में ही थी और मरम्मत के दौरान उन्हें परखा नहीं जा सका।
न्यायमूर्ति अशोक भान की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वारंटी की अवधि के दौरान कार को मई, 1999 से नवंबर, 2000 के बीच 36 मौकों पर वर्कशॉप ले जाना पड़ा। कार के लगभग हर पुर्जे में कोई न कोई दिक्कत थी। सबसे गंभीर समस्या इंजन में थी। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता ने पूरे इंजन को बदल दिया, इससे संकेत मिलता है कि उसमें जो भी कमियां थी वो इसके निर्माण में ही थीं जिन्हें दुरुस्त नहीं किया जा सका। पीठ ने यह भी कहा कि मामले में फरियादी दिल्ली निवासी सुभाष आहूजा को परेशानी उठानी पड़ी।
टेल्को ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा था कि उसने सदभावनापूर्ण कदम के तौर पर वारंटी की अवधि समाप्त होने के बाद भी इंजन बदल दिया। आयोग ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा, अगर इंजन में कमियों को मरम्मत के दौरान पता लगाया जा सकता तो कोई कार निर्माता इंजन नहीं बदलेगा।
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