संसद में मंगलवार को कोयला घोटाले और रेल घूसकांड पर हंगामे के चलते कार्रवाई बाधित रही और लोकसभा बुधवार तक स्थगित हो गई. हंगामे के चलते लोकसभा की कार्रवाई पहले मंगलवार को 1 बजे तक स्थगित हुई बाद में लोकसभा बुधवार तक स्थगित हो गई.
गौरतलब है कि संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से के महज चार दिन बचे हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी सरकार के कई अहम बिल अभी भी लटके हुए हैं.
सुषमा ने यह संकेत दे रखा है कि सरकार चुनावी लिहाज से अहम मान रही खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराना चाहती है तो दोनों मंत्रियों को इस्तीफा देना होगा. अब तक अश्विनी और बंसल के इस्तीफे से इन्कार करती रही सरकार को अब यह फैसला लेना होगा कि उन्हें दो मंत्री चाहिए या फिर वे दो विधेयक.
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने चेतावनी दी कि रेल मंत्री पवन बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे तक सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी. लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज के मुताबिक सभी इस बात को मानते हैं. कोई बिल भी हंगामे के बीच पास नहीं होना चाहिए. खास तौर पर खाद्य सुरक्षाऔर भूमि अधिग्रहण बिल पर विपक्ष चर्चा चाहता है. सरकार दोषी मंत्रियों का इस्तीफा ले और सदन चलाए. अगर जबरदस्ती संसद चलाने की कोशिश होगी और सरकार बिल पास कराने की कोशिश करेगी तो बीजेपी इसे नहीं होने देगी. दोनों मंत्रियों के मामलों में पवन बंसल का मामला सीधे भ्रष्टाचार का है.जेटली और सुषमा ने कानूनी पहलू को बिंदुवार सजाते हुए कहा कि महेश कुमार को पदोन्नत करने का फैसला रेल मंत्री बंसल का था. जबकि मध्यस्थ कोई अनजान नहीं था. वह रेल मंत्री का करीबी था. वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सीबीआइ के शपथ पत्र में यह साबित हो गया कि कानून मंत्री व पीएमओ के संयुक्त सचिव ने रिपोर्ट में बदलाव कराए थे. इसके बाद सुषमा और जेटली ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि सरकार के अटार्नी जनरल और एडिशनल सालिसिटर जनरल ने कोर्ट में झूठ कहा था, तो कानून मंत्री ने भी गलतबयानी की थी.
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