वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किए जाने के दिल्ली की एक अदालत के फैसले को सीबीआई दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। एजेंसी ने अपनी याचिका के लिए मजबूत आधार होने की बात कही है। सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी मामले में दोषी ठहराये गए लोगों के लिए अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने तक इंतजार कर सकती है।
जिला और सत्र न्यायाधीश जेआर आर्यन ने 30 अप्रैल को सज्जन कुमार को 29 साल पुराने इस मामले में बरी कर दिया था जिसमें उन पर दिल्ली छावनी इलाके में पांच सिखों को मारे वाली दंगाई भीड़ को उकसाने और हत्या के आरोप थे।
31 अक्तूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों में शामिल होने के मामले में पांच अन्य लोगांे को दोषी ठहराया गया जिनमें पूर्व पाषर्द बलवान खोक्कर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, किशन खोक्कर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल हैं।
बाहरी दिल्ली से लोकसभा सदस्य रह चुके सज्जन को वर्ष 2009 में कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया था। वह 1984 के दंगों से जुड़े एक और मामले में अब भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। तीसरे एक और मामले में दिल्ली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है, जिसके मुताबिक, कुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।, सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी के विधि विभाग ने फैसले का अध्ययन किया और कई मजबूत आधार गिनाये जिनकी बुनियाद पर वह कुमार को बरी किए जाने के निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकती है। सज्जन को बरी करने के खिलाफ दिल्ली और पंजाब के कुछ हिस्सों में सिख समुदाय ने प्रदर्शन भी किए।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय में अपील करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कानून मंत्रालय से मंजूरी मांगेगी।
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